(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्या है स्मॉग टॉवर (What is Smog Tower?)
पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी और पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने ३ जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक स्मॉग टावर का उद्घाटन किया आपको बता दें की नवंबर २०१८ में सर्वौच्च न्यायलय ने राजधानी में वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को दिल्ली में स्मॉग टावर स्थापित करने के निर्देश दिए थे
वायु प्रदूषण सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में एक भीषण समस्या है । भारत की राजधानी दिल्ली दुनिया में सबसे प्रदूषित शहरों में गिनी जाती है।
आज के DNS में हम जानेंगे की स्मॉग टावर क्या होता है और वायु प्रदूषण से ये कैसे दिल्ली वासियों को निजात दिलाएगा
दुनिया भर के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बना हुआ है।विश्व स्वस्थ्य संगठन के नए आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया में 10 में से 9 लोग उच्च स्तर के प्रदूषकों से युक्त हवा में सांस ले रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि प्रदूषित हवा से हर साल तकरीबन 7 मिलियन लोग मरते हैं जबकि अकेले भारत में इस से मरने वालों की संख्या तकरीबन 1।2 मिलियन है।
वायु प्रदूषण की समस्या से विश्व के कई देश जूझ रहे हैं ।बीते साल चीन की राजधानी बीजिंग में वायु प्रदूषण के चलते आपातकाल की घोषणा कर दी गयी थी बीजिंग के अलावा चीन के कई अन्य शहरों में भी हालात बहुत बुरे रह चुके हैं Iचीन ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिएकई शहरों में स्मॉग टॉवर भी लगा दिए हैं ताकि लोगों को स्वस्थ हवा दी जा सके।
स्मॉग टावरों को बड़े पैमाने पर एयर प्यूरिफायर के रूप में काम करने के लिए तैयार किया गया है। इसमें आमतौर पर एयर फिल्टर की कई परते होती हैं , जो हवा से प्रदूषकों को को साफ करते जब यह हवा इन फिलटरों से होकर गुज़रती है।
ऐसा माना जा रहा है की लाजपत नगर में स्थापित स्मॉग टॉवर हर दिन 6,00,000 क्यूबिक मीटर हवा को साफ़ करने में सक्षम है और यह हवा से तकरीबन 75 फीसदी से अधिक प्रदूषित कणों को साफ़ करेगा।
आपको बता दें की 20 मीटर (65 फीट) ऊंचे टॉवर में बड़े पैमाने पर एयर फिल्टर लगाए गए I टावर के शीर्ष पर कई सारे पंखे लगे हैं जिनके माध्यम से प्रदूषित हवा को अंदर खींचकर उन्हें फिलटरों में भेजा जाता है । फिलटरों से शुद्ध हवा को टावर के निचले भाग से छोड़ा जाता है ।
टॉवर में स्थापित फिलटरों में मुख्या घातक के रूप में कार्बन नैनोफाइबर का उपयोग किया गया है । टावर का मुख्य कार्य हवा में अभि कणों या पार्टिकुलेट मैटर को घटाना है।
स्मॉग टावर परियोजना को IIT मुंबई ने IIT दिल्ली और मिनी सोटा विश्वविद्यालय के सहयोग से अमली जामा पहनाया गया इस परियोजना में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड़ की भी मदद ली गयी I आपको बता दे की मिनी सोटा विश्वविद्यालय के ही सहयोग से ही चीन के जियान शहर में भी स्मॉग टावर स्थापित किया गया था जियान में स्थित स्मॉग टावर विश्व का सबसे बड़ा स्मॉग टावर माना जाता है ऐसा माना जाता है की इस टावर ने ६ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में PM २.५ को तकरीबन १९ फीसदी कम कर दिया है
प्रत्येक स्मॉग टॉवर की लागत लगभग 10 से 12 करोड़ रुपये आती है, जिसमें फ़िल्टरिंग उपकरण, निगरानी प्रणाली और टॉवर का निर्माण शामिल है.
इस उपकरण के समर्थकों का कहना है कि यह गंभीर वायु गुणवत्ता से कुछ राहत पाने के लिए एक अच्छी तकनीकी है, दूसरी ओर, इस उपकरण के प्रतिपक्षी कहते हैं कि यह बहुत महंगा है और इसकी प्रभावशीलता को जानने के लिए कोई प्रामाणिक डेटा उपलब्ध नहीं है.
इसलिए हमें इस स्मॉग टॉवर के वास्तविक प्रभावों को जानने के लिए कुछ और समय का इंतजार करना होगा. लेकिन यह कहा जा सकता है कि देश के नागरिकों को स्वच्छ हवा प्रदान करने के लिए यह एक अच्छा कदम है.