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Blog / 19 Aug 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्या है राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन? (What is National Digital Health Mission?)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्या है राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन? (What is National Digital Health Mission?)



2 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना की शुरआत की थी...वहीँ स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक नयी योजना राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की शुरआत करने की घोषणा की..गौर तलब है की यह प्रधानमंत्री का सांतवां सम्बोधन था...राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य योजना के अलावा प्रधानमंत्री ने 3 अन्य योजनाओं की भी शुरुआत की..

चलिए आज DNS में जानते है क्या है राष्ट्रीय डिजिटल स्वस्थ्य मिशन... इस मिशन से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण बातें

राष्ट्रीय डिजिटल स्वस्थ्य मिशन का मकसद एक ऐसी व्यस्था को जन्म देना है जहां हर भारतीय को एक स्वास्थ्य पहचान पत्र दिया जाएगा साथ ही उसके स्वास्थ्य का लेखा जोखा भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मौजूद रहेगा। इस स्वास्थ्य सम्बन्धी लेखे जोखे से व्यक्ति अपनी बीमारियों ,बीमारियों के दौरान हुए परीक्षणों और उससे जुड़े उपचार की पूरी जानकारी डिजिटल माध्यम से पा सकेगा।

क्या है ये मिशन

मूल रूप से NDHM का मकसद एक स्वास्थ्य सूचना संगठन और देश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है ताकि भारत के नागरिकों, स्वास्थ्य पेशेवरों, सार्वजनिक अस्पतालों के साथ-साथ निजी क्षेत्र के संस्थानों को ये सुविधाएं आसानी से मुहैया कराये जा सकें....NDHM राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य के खाके के लिए एक कार्यकारी संस्था के तौर पर काम करेगी। इसका मकसद स्वास्थ्य सम्बन्धी सूचनाओं का ऐसा डेटाबेस तैय्यार करना है जिसकी मदद से आसानी से लोग अपनी स्वास्थ्य सम्बन्धी सूचनाओं तक पहुँच सके।

हर नागरिक के स्वास्थ्य, डॉक्टर का लेखा-जोखा एक एप या वेबसाइट के जरिए संचालित होगा लेकिन ये रिकॉर्ड्स व्यक्ति तक ही सीमित रहेंगे। जब एक व्यक्ति अपने रिकॉर्ड दिखाने की अनुमति देगा तभी दूसरा डॉक्टर या व्यक्ति उस नागरिक की सारी जानकारी देख पाएगा।

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन चार अहम् स्तम्भों पर टिकाए है स्वस्थ्य पहचान पत्र या हेल्थ आई डी, डिजी डॉक्टर , स्वास्थ्य सुविधा पहचान कर्ता और निजी स्वास्थ्य रिकॉर्ड।

हेल्थ आईडी

इस योजना की सबसे ख़ास बात नागरिक को एक यूनिक हेल्थ आईडी देना है। इस हेल्थ आई डी में यह भी विकल्प होगा की इसे अपने आधार कार्ड से जोड़ा जा सके। इस आई डी के ज़रिये राज्यों, अस्पतालों, पैथालॉजिकल लैब और फार्मा कंपनियों में व्यक्ति अपनी सेहत से जुडी जानकारियां लेने में सक्षम होगा । इस आईडी की सबसे ख़ास बात यह होगी की ये पूरी तरह से व्यक्ति विशेष की मर्ज़ी के हिसाब से चलेगी।

इस आईडी में मौजूद नागरिक की जानकारी खुद ब खुद सरकारी कम्यूनिटी क्लाउड में स्टोर हो जाएगी । ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि डाटा सुरक्षित किया जा सके। ये एक तरह से डिजिलॉकर की तरह काम करेगा, जिसमें सभी जरूरी कागज इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में जमा हो जाते हैं।

इसमें एक सुविधा यह भी डी गयी है की व्यक्ति प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिए अपनी हेल्थ आईडी को आधार कार्ड से जोड़ सकता है। हालांकि अगर उसे इस तरह की सुविधा नहीं चाहिए तो आई डी को आधार से जोड़ने की कोई ज़रुरत नहीं है।

डिजिडॉक्टर

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की दूसरी सबसे ख़ास बात है डीजी डॉक्टर। इस प्लेटफॉर्म के जरिए देश के हर डॉक्टर को एक ख़ास पहचान पत्र दिया जाएगा । इस पहचान पत्र पर ,मौजूद नंबर डॉक्टर पंजीकरण संख्या से अलग होगा । ये पंजीकरण संख्या हर डॉक्टर को राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद की ओर से दिया जाएगा। इसके ज़रिये डॉक्टर को डिजिटल हस्ताक्षर भी मुहैया कराया जाएगा। इस डिजिटल हस्ताक्षर की मदद से डॉक्टर मरीज़ों को दवा के लिए पर्चा लिखने में सफल होगा ।

आम तौर पर भारत जैसे देश में डिजिटल हस्ताक्षर बनवाने के लिए शुल्क जमा करना पड़ता है । लेकिन इस सेवा के लिए ना ही उपयोगकर्ता और ना ही डॉक्टर को भुगतान करना पडेगा । इस योजना में डॉक्टरों के पंजीकरण को भी एक जगह इकठ्ठा करने की योजना है, जो कि हर राज्य में अलग-अलग होगा।

स्वास्थ्य सुविधा पहचानकर्ता

इस योजना के तहत महज़ डॉक्टर और मरीज को ही पहचान पत्र नही दिया जायेगा। इसमें हर तरह की स्वास्थ्य सुविधा को एक संख्या के ज़रिये ख़ास इलेक्ट्रॉनिक पहचान दी जाएगी। इसके ज़रिये सभी स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाओं पर नज़र राखी जा सकेगी और साथ ही उनका ऑडिट और निरीक्षण करने में भी सहूलियत होगी।

आज कल भारत में अस्पताल खोलना एक जटिल प्रक्रिया है। इसकी वजह ये है क्योंकि कई सारी ज़रूरतों के के लिए अलग-अलग एजेंसियों से अनुमति लेनी पड़ती है और कई जगह पंजीकरण कराना पड़ता है । नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत हर नागरिक को एक मंच के तहत लाने की कोशिश की जाएगी।

निजी स्वास्थ्य रिकॉर्ड्स

राष्ट्रिय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की चौथी सबसे अहम् बात है निजी स्वास्थ्य अभिलेख। इन निजी अभिलेखों में नागरिकों की सारी स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों मौजूद रहेंगी । इसमें जन्म से लेकर प्रतिरक्षा, सर्जरी, प्रयोगशाला टेस्ट तक सारी जानकारी होंगी। इसे हर नागरिक की स्वास्थ्य पहचान पत्र से जोड़ा जायेगा ।इसे निजी हेल्थ रिकॉर्ड कहने की वजह है इस रिकॉर्ड का स्वामित्व। इस रिकॉर्ड का मालिकाना हक़ उसी शख्स के पास होगा जिनके ये रिकॉर्ड हैं ।

इस एप का सबसे बड़ा फायदा है कि अगर शख्स या मरीज की सहमति नहीं होगी तो सरकार भी उसका डाटा नहीं देख पाएगी। किसी भी व्यक्ति से जुड़ा आंकड़ा देखने के लिए डॉक्टर या किसी भी संस्था को व्यक्ति की अनुमति लेनी होगी साथ ही उसे वो समय भी बताना होगा जितने समय के लिए ये आंकड़ा प्रयोग में लाया जा रहा है।

मिशन की कार्यान्यवयन संस्था

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण जो की आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री जो आरोग्य योजना के लिए भी कार्यान्यवयन संस्था केतौर पर काम करती है वह इस योजना के लिए भी कार्यानव्यवन संस्था होगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ संस्था में दो भाग होंगे एक घातक नीतियों और उनके विनियमन के लिए काम करेगा जबकि दूसरा इसे लागू करने के मद्देनज़र होगा।

और कौन से देशों में मौजूद है ऐसी संस्था

इस योजना को तैयार करने के दौरान कई देशों में मौजूद इस तरह की व्यवस्था का बारीकी से अध्ययन किया गया। इसके लिए अमेरिका में नेशनल हेल्थ सर्विस , इंग्लैंड में डिजिटल और दक्षिण कोरिया के डिजिटल हेल्थ रेकॉर्डों का गहनता से अध्ययन किया गया।

भारत में स्वास्थ्य सुविधाएँ बहुत ही लचर हालत में हैं। यहाँ सरकारी चिकित्सा सेवाओं में अक्सर ही लापरवाही , लाल फीताशाही ,संसाधनों का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर देखा जाता है । निजी स्वास्थ्य सेवाओं में भी कोई तय मानक नहीं मौजूद हैं जिसके तहत सारी सुविधाओं को एक दायरे में लाया जा सके। निजी अस्पताल कई बार नियमों की अनदेखी कर सिर्फ धन उगाही का काम करते हैं। ऐसे में राष्ट्रिय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन से इन सारी अनियमित्तातों पर लगाम लगने की उम्मीद है।