(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance)
बारिश से इंसान का नाता शुरू से ही काफी गहरा रहा है बारिश जहाँ लोगों को गर्मी से निजात दिलाने में काफी कारगर है तो वहीं बारिश से भारत की कृषि भी काफी हद तक जुडी हुई है.. सही समय पर बारिश का होना और, अच्छी बारिश का होना, जहाँ लहलहाती फसल लाती है तो वहीं बेमौसम और बेतरतीब बारिश परेशानी का सबब भी बन जाती है... सर्दियों के मौसम में हुई बारिश अक्सर पछुआ हवाओं के चलते होती है जिसे पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का भी नाम दिया जाता है...पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हुई ये बारिश खेती के लिए बेहद अहम् है ....लेकिन ये बारिश किसानों के लिए तभी फायदेमंद है जब ये सामान्य हो ....ज़रुरत से ज़्यादा बारिश या तूफ़ान से जहाँ खेती को नुक्सान पहुंचता है तो वहीं ये कई लोगों की मौत की वजह भी बन सकती है ...दो दिन हुए हुई बारिश की वजह दरहसल में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस ही है...दिल्ली और उत्तरी भारत के कई इलाके बारिश से प्रभावित रहे... ये बारिश रबी की फसल के लिए वरदान साबित होती है ...लेकिन पिछले साल इसी बारिश के चलते भारत के कई राज्यों में भीषण तबाही आयी और कई लोग मौत के आगोश में समा गए थे ।बिनमौसम बरसात और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का क्या रिश्ता है आपस में आइये इसे समझते हैं इस रिपोर्ट के ज़रिये।
इस कड़ी में एक मजेदार बात ये है कि हमारे यहां बेमौसम बारिश होने के बारे में भी यह कहा जाता है कि ये तो पछुआ पवनें या वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का असर है जो मौसम बिगड़ गया है। सभ्यता-संस्कृति के मामलों में देश पर पश्चिम किस तरह का असर डालता है, यह तो साफ-साफ नहीं कहा जा सकता, लेकिन मौसम के मामले में यह बात विज्ञान द्वारा प्रमाणित है। अचानक हुई बारिश के लिए मौसम विभाग हमेशा पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बेंस को जिम्मेदार ठहराता है। चलिए, इसबार सिर-पैर के सवाल में जानते हैं कि जब-तब आंधी-पानी की वजह बनने वाला यह वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आखिर है क्या?
पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बेंस एक तरह का उष्णकटिबंधीय तूफान है जो मेडिटरेनियन रीजन से शुरू होता है और सर्दियों के मौसम में उत्तर भारत में बारिश की वजह बनता है। इस वाक्य में तीन शब्द - वेस्टर्न डिस्टर्बेंस, उष्णकटिबंधीय तूफान और मेडिटरेनियन रीजन हैं। इनके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते, इसलिए इन्हें एक-एक करके समझते हैं......वैसे तो यह पूरा आलेख ही वेस्टर्न डिस्टर्बेंस को समझने के लिए है, लेकिन अगर पहले इसका शाब्दिक अर्थ समझ लिया जाए तो जरा आसानी हो जाएगी। वेस्टर्न डिस्टर्बेंस में जहां वेस्टर्न शब्द इस बात को दिखाता है कि इस भौगोलिक घटना में हवाएं पश्चिम से पूरब की ओर चला करती हैं, वहीं डिस्टर्बेंस शब्द से मतलब है, हवाओं के दबाव में गड़बड़ी या कमी आना। यहां पर हम स्कूलों में पढ़ा हुआ सामान्य ज्ञान फिर दोहरा लेते हैं कि गर्मियों में हवाएं गर्म होकर ऊपर उठने लगती हैं, इसलिए जमीन के पास हवा का दबाव कम हो जाता है। इसके उलट सर्दियों में हवाओं का ऊपर उठना नहीं हो पाता इसलिए हवा का दबाव अधिक रहता है। यही कारण है कि अक्सर जाड़े के मौसम में ही वेस्टर्न डिस्टर्बेंस अपना असर दिखाता है, लेकिन कैसे? यह समझने लिए अब उष्णकटिबंधीय तूफान को समझना जरूरी है......वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की शुरुआत उष्णकटिबंधीय तूफान से ही होती है। अगर आप ग्लोब को ध्यान से देखें तो पाएंगे कि धरती के ठीक बीचों-बीच (कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच) से गुजरने वाली क्षैतिज पट्टी वाला क्षेत्र उष्णकटिबंध कहलाता है। यह हिस्सा सूर्य की किरणों से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है और धरती के सबसे गर्म हिस्से भी इसी कटिबंध में आते हैं। जब इस पट्टी में बाहर से आने वाली सर्द हवाएं पहुंचती हैं तो उष्णकटिबंधीय तूफान आते हैं।
ये तूफान भूमध्य सागर (मेडिटरेनियन सी) के उस हिस्से में उत्पन्न होते हैं जो यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप के बीच में पड़ता है और इस हिस्से को मेडिटरेनियन रीजन कहा जाता है....मेडिटरेनियन रीजन से पैदा हुआ यह तूफान काला सागर और कैस्पियन समुद्र से गुजरता हुआ भारी मात्रा में नमी लेकर भारत पहुंचता है। आमतौर पर गर्मियों में हवा का दबाव कम होने के कारण वायुमंडल की निचली परत में तेज हवाएं चलती हैं और ये तूफान हिमालय के ऊपर ही ऊपर निकल जाते हैं। लेकिन सर्दियों हवा का दबाव ज्यादा होता है तो ये तूफान हिमालय के नीचे से गुजरता है और भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में बारिश करवाता है। इस तरह पश्चिम यानी यूरोप से आने वाली हवाएं जो हमारे देश का मौसम कुछ समय के लिए बदल देती हैं, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस कहलाती हैं.....