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Blog / 10 May 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) विज़ाग गैस त्रासदी (Vizag Gas Tragedy)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) विज़ाग गैस त्रासदी (Vizag Gas Tragedy)



1984 चौरासी के भोपाल गैस रिसाव की त्रासदी भला कौन भूल सकता है । लेकिन हाल ही में आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में हुए गैस रिसाव ने फिर से 1984 चौरासी की गैस त्रासदी के ज़ख्मों को ताज़ा कर दिया ......विशाखापट्नम गैस काण्ड में अब तक 11 लोगों के मारे जाने की खबर है जबकि विशाखापट्टनम से सटे 5 गाँवों के हज़ारों लोगों के इस हादसे में घायल होने की खबर है ...विशाखापट्टनम के आरआर वेंकटपुरम गांव में एक फैक्ट्री में गैस रिसाव की यह घटना सामने आई...आरआर वेंकटपुरम गांव की एलजी पॉलिमर उद्योग में स्टाइरीन गैस रिसाव से हुए हादसे में एक बच्चे समेत कम से कम 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इस हादसे के बाद 800 से ज़्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्राथमिक रिपोर्टों से ज्ञात हुआ है की इस प्लांट से सटे पास के गाँवों के कई लोग इस गैस के प्रभाव से सड़कों पर बेहोश होकर गिर पड़े । जो गाँव इसके असर में आये हैं वो हैं आर आर वेंकटपुरम , वेंकट पुरम , बी सी कॉलोनी , पदमपुरम और कंपरापलम हैं ...

आज के DNS में हम जानेंगे की इस गैस रिसाव का क्या कारण है और क्या होती है स्टाइरीन जिसके चलते इतने लोग काल के गाल में समा गए

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गुरूवार की सुबह एलजी पॉलिमर्स कंपनी में गैस का रिसाव हुआ । गैस रिसाव की घटना एक प्लास्टिक फैक्ट्री में हुई। गौर तलब है की इस फैक्ट्री को लॉकडाउन के दौरान बंद कर दिया गया था। लॉक डाउन के बाद इस फैक्ट्री को फिर से खोलने की तैयारी की जा रही थी। इसी दौरान यहाँ गैस रिसाव हो गया जिसकी वजह से कई लोगों की मौत हो गई। फैक्ट्री में गैस लीक होने की वजह से पूरे शहर में दहशत का माहौल है।

किस वजह से हुआ गैस रिसाव ?

एल जी पॉलीमर्स कंपनी की तरफ से जारी किये गए बयान के मुताबिक़ संग्रहण टैंक के भीतर जमाव और तापमान में बदलाव के चलते पॉली-मेराई-जेशन खुद बखुद शुरू हो गया होगा जिससे भाप बननी शुरू हो गयी होगी और गैस रिसाव शुरू हो गया होगा । हालाँकि कंपनी की तरफ से ये भी बयान आया है की असल वजहों का अभी भी पता नही चला है और इस मामले में अभी भी जांच जारी है । गैस रिसाव के बाद हालांकि अभी स्थिति नियंत्रण में है और अभी गैस का रिसाव नहीं हो रहा है

विशाखापट्टनम में कितने खराब हैं हालात ?

इस मौके पर यह कहना मुश्किल है की मौतों की वजह सीधे सीधे स्टाइरीन गैस है या इसकी वजह कुछ और है । विशाखापट्टनम के पुलिस आयुक्त का कहना है की आम तौर पर इस गैस की वजह से मौत होना नामुमकिन है जब तक की इस गैस का असर काफी देर तक न हो। हालांकि बच्चों समेत सैकड़ों लोग अस्पताल में भर्ती हैं । गैस रिसाव के पीड़ितों की संख्या में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है । आज सुबह के ३ बजे से गैस का रिसाव शुरू हुआ था हालांकि रिसाव के बाद सुरक्षा इंतज़ाम किये जाने में काफी वक़्त लग गया था लेकिन तब तक गैस इलाके के काफी हिस्से में फ़ैल चुकी थी ।इस दौरान इलाके के लोग अपने घरों में गहरी नींद में सोये हुए थे । अधिकारीयों ने बताया की गैस रिसाव के तुरंत बाद इलाके में एलान कराया जाने लगा था लेकिन कई लोग तब तक गैस रिसाव की वजह से कई लोग बेहोश हो चुके थे ।इसी वजह से पुलिस को दरवाज़ा तोड़ कर लोगों को घरों से बाहर निकालना पड़ा।

स्थानीय प्रशासन और नौसेना ने फैक्ट्री के इर्द गिर्द तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांव और अन्य इलाकों को खाली करा लिया है। पांच गांव खाली करा लिए गए। सिर दर्द, उल्टी और सांस लेने में तकलीफ के चलते सैकड़ों लोग अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है की आखिर पीवीसी या स्टाइरीन गैस होती क्या है? जिसकी वजह से अब तक 11 लोगों की मौत हो गई। स्टाइरीन गैस का कहाँ इस्तेमाल किया जाता है?

क्या है स्टाइरीन ?

स्टाइरीन सिर्फ एक गैस नहीं है। यह सॉलिड या लिक्विड रूप में किसी भी चीज में मिल सकती है। ये फलों, सब्जियों, मूंगफलियों, मांस आदि में भी मिल जाती है। लेकिन इनका स्तर बेहद कम होता है। यदि कोई इसके संपर्क में है तो फिर ये गैस किसी भी व्यक्ति के शरीर में नाक, मुंह या छूने से जा सकती है। दरअसल स्टाइरीन (Styrene) एक रंगहीन तरल पदार्थ होता है जो हवा के संपर्क में आते ही गैस बनकर हवा के साथ फैलने लगता है। अगर स्टाइरीन अपने पूर्ण असली रूप में है तो आपको इसकी एक मीठी सी गंध आएगी लेकिन कई कंपनियां इसमें एल्डीहाइड्स चीजें मिलाती हैं, जिससे इसमें बदबू आने लगती है। अलग-अलग कंपनियों में इनका जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल होता है। फिलहाल इन दोनों गैसों के लीक होने की बात कही जा रही है जिसका असर देखने को मिला और 8 लोगों की मौत हो गई। 200 से अधिक लोग इससे प्रभावित भी हुए हैं...

कहां होता है इस्तेमाल?

स्टाइरीन का सबसे ज्यादा उपयोग पैकेजिंग मैटेरियल, इलेक्ट्रिकल इंसुलेशन, घरों में इंसुलेशन, फाइबर ग्लास, प्लास्टिक पाइप्स, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, चाय के कप, कालीन आदि बनाने में उपयोग होता है। ये गैस हवा, पानी या मिट्टी कहीं से भी आपके शरीर में आ सकता है। स्टाइरीन गैस प्लास्टिक उत्पाद बनाने वाली कंपनियों से निकलने वाले धुएं में रहती है। इसके अलावा इसको गाड़ियों से निकलने वाले धुएं, सिगरेट के धुएं या फिर फोटोकॉपी मशीन से भी निकलता हुआ पाया जाता है। जिन-जिन शहरों में वाहनों की संख्या अधिक है वहां लोग इस गैस से अप्रत्यक्ष रूप से परेशान ही रहते हैं....यदि कोई भी व्यक्ति स्टाइरीन गैस सूंघता हैं तो उसे आंखों से देखने में दिक्कत आ सकती है। इसके अलावा उसे रंग पहचानने में समस्या होगी, बहुत अधिक थकान महसूस होगी, हमेशा नशे जैसा महसूस होगा, ध्यान लगाकर काम नहीं कर पाएगा, सुनाई पड़ने की भी समस्या हो सकती है। ये गैस व्यक्ति के लिवर पर भी काफी प्रभाव डालती है।

गैस के रिसाव को बंद कर दिया गया है और राष्ट्रीय आपदा सुरक्षा बल के सैनिकों ने 5 आपदा पीड़ित गावों में बचाव और राहत कार्य शुरू कर दिया है । राहत बलों ने घरों में पीड़ितों की तलाश शुरू कर दी है । अधिकारियों के मुताबिक़ कोरोना महामारी की तैयारियों की वजह से ऑक्सीजन सिलिंडरों से लैस दर्जनों अम्बुलन्स और वेंटीलेटर आसानी से जूटा लिए गए । गैस का रिसाव हवा के बहाव पर निर्भर करता है । हवा के बहाव को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है की तकरीबन 5 किलोमीटर के दायरे में लोग प्रभावित हो सकते हैं।