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Blog / 23 Sep 2019

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) स्पैनिश फ्लू (Spanish Flu)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) स्पैनिश फ्लू (Spanish Flu)


मुख्य बिंदु:

इबोला और जीका वायरस के बाद अब दुनिया के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती दस्तक देने वाली है। ये चुनौती हवा में फैलने वाला एक खतरनाक वायरस होगा। यह वायरस 36 घंटे के अंदर पूरी दुनिया में फैल जाएगा। बताया जा रहा है कि इसकी वजह से पूरी दुनिया में आठ करोड़ लोगों की मौत हो सकती है। इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अलर्ट जारी किया है... विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह अब तक का सबसे खतरनाक फ्लू है जिसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की आवश्यकता है।

आज के डीएनएस में हम स्पैनिश फ्लू के विषय में जानेंगे...साथ ही जानेंगे इसके दुष्प्रभावों के बारे में भी...

स्पैनिश फ्लू के संबंध में WHO द्वारा जारी 'ए वर्ल्ड एट रिस्क' रिपोर्ट के अनुसार इस रिपोर्ट को 'द ग्लोबल प्रीपेयर्डनेस मॉनिटरिंग बोर्ड' के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम ने तैयार किया है। आपको बता दें कि यह बहुत तेज गति से लोगों को अपनी चपेट में लेता है।

ए वर्ल्ड एट रिस्क नाम की इस रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने लगभग दर्ज़न भर बिमारियों को सूचीबद्ध किया है और चेतावनी जारी की है कि ये बीमारियाँ नियंत्रण से बाहर होकर विश्व-स्तर पर भयंकर बीमारी फैला सकती हैं।

इसमें प्लेग,इबोला,जीका वायरस और डेंगू शामिल है इस रिपोर्ट में इबोला जैसे रोगों से निपटने की तैयारियों को अपर्याप्त बताया गया है। रिपोर्ट में संभावित संक्रमणों की एक सूची के साथ दुनिया का एक मैप भी जारी किया गया है जो आने वाली प्रकोप के खतरे को बताता है।

इन महामारियों की गंभीरता को देखते हुए, इन्हें दो श्रेणी में विभाजित किया गया है..जिसमें पहले श्रेणी में नए महामारियों को जबकि दूसरी श्रेणी में वैसे महामारियों को रखा गया है जो फिर से उभरने की दिशा में हैं।

दरअसल यह फ्लू एच1एन1 (H1N1) इंफ्लुएंजा वायरस के संक्रमण से होता है और एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। गौरतलब है कि वर्तमान में स्वाइन फ्लू का कारण भी यही इंफ्लुएंजा वायरस है।
इस रिपोर्ट में वर्ष 1918 के भी फ्लू का ज़िक्र किया गया है उस वक्त इस फ्लू के कारण करीब 10 करोड़ लोगों की जान चली गई थी। उस वक्त यह आंकड़ा पूरी दुनिया की आबादी का लगभग 3-5 फीसदी था।

विशेषज्ञों की माने तो ये फ्लू आज के दौर में ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि उस दौर यानि 1918 के मुकाबले आज के दौर में पूरी दुनिया में काफी ज्यादा और तेजी से लोग एक देश से दूसरे देश की यात्राएं कर रहे हैं। इस लिहाज से आने वाला फ्लू पहले से ज्यादा खतरनाक साबित होगा और मात्र 36 घंटे में पूरी दुनिया में फैल जाएगा।

इस रिपोर्ट में, पूर्व में जारी की गई रिपोर्ट की चेतावनियों को नज़रंदाज़ करने की भी बात की गई 'द ग्लोबल प्रीपेयर्डनेस मॉनिटरिंग बोर्ड के अनुसार पहले की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को विश्व के नेताओं ने नज़रंदाज़ किया है।

इस बोर्ड के सदस्यों के अनुसार सफारिशों को या तो लागू नहीं किया गया है और अगर किसी जगह पर लागू भी किया गया तो उसका परिणाम आशा के अनुरूप नहीं आया...इस संबंध में वैश्विक नेताओं की आलोचना करते हुए कहा गया कि जब महामारी आती है तो हम इस से निपटने की तैयारी को तेज़ कर देते है लेकिन खतरा कम होने पर हम भूल जाते हैं।

इस वायरस के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था बिगड़ने और राष्ट्रीय सुरक्षा के अस्थिर होने का भी बड़ा खतरा है। WHO द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार ये वायरस इबोला की तरह ही खतरनाक साबित हो सकता है गौरतलब है कि इबोला जैसे घातक वायरस के खतरे को देखते हुए मौजूदा वक्त में किए जा रहे प्रयास अपर्याप्त हैं।

इस संबंध में वैज्ञानिकों ने भी आगाह किया कि यह वैश्विक महामारी भयावह होगी जिससे तबाही, अस्थिरता और असुरक्षा का माहौल बनेगा सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर जताई जा रही है कि कई देशों विशेष रूप से गरीब देशों की राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व चीफ के नेतृत्व वाली 'द ग्लोबल प्रीपेयर्डनेस मॉनिटरिंग बोर्ड' के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम ने अपनी इस रिपोर्ट को सभी देशों के नेताओं को बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए भेजा है।

इस आधार पर कहा जा सकता है कि पूर्व में गई गलतियों से सबक लेते हुए WHO द्वारा जारी रिपोर्ट की सिफारिशों को गंभीरतापूर्वक लेने की आवश्यकता है। सम्पूर्ण विश्व को इस संबंध में मिलकर काम करने की जरुरत है। WHO के महानिदेशक ने इसकी गंभीरता को देखते हुए कहा कि ये प्रकोप हमें सबक सिखा रहे है कि बारिश आने से पहले हमें अपने छत को ठीक कर लेना होगा।

इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र को भी अन्तराष्ट्रीय स्तर पर इस संबंध में समन्वय के लिए अधिकतम प्रयास करना होगा इसके अलावा महामारी से निपटने की तैयारी के लिए निजी निवेश की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे।