(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) भारत में सौर ऊर्जा की स्थिति (Solar Energy in India)
केन्द्र सरकार ने बीते दिनों लद्दाख में सौर ऊर्जा के विकास के लिए एक योजना के तहत 45,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। मौजूदा वक़्त में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की ज़रूरत को देखते हुए इस योजना की घोषणा की गई। इस योजना के तहत भारतीय सौर ऊर्जा निगम ने 2023 तक 7,500 मेगावाट सौर ऊर्जा की स्थापना का लक्ष्य रखा है। दरअसल लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान में सबसे ज्यादा सौर ऊर्जा ग्रहण की जा सकती है। यहाँ का आसमान अकसर खुला रहता है और बारिश भी बहुत कम होती है। इसके अलावा यहाँ पवन ऊर्जा देने वाली टर्बाइनें भी लगाई जा सकती है। लद्दाख में इस योजना के शुरू करने के लिए एक और अहम बात ये है कि सौर ऊर्जा के लिए बहुत अधिक भूमि की आवश्यकता होती है। ऐसे में लदाख में सरकार के पास काफी सरकारी जमीन भी है। सस्ती भूमि से सौर ऊर्जा की कीमतें कम जाएंगी सौर ऊर्जा प्लांट लगने से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के भी मौके पैदा होंगे।
DNS में आज हम जानेंगे भारत में सौर ऊर्जा की सभावनाओं और चुनौतियाँ के बारे में साथ ही समझेंगे कि सौर ऊर्जा क्या है और इसके लिए हो रहे सरकारी प्रयास के बारे में...
आसान भाषा में सौर ऊर्जा से तात्पर्य सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा से है। सौर ऊर्जा वो ऊर्जा है, जो सीधे सूर्य से प्राप्त होती है। मौसम और जलवायु परिवर्तन में सौर ऊर्जा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह धरती पर सभी प्रकार के जीवन का सहारा है। यानी हम कह सकते हैं, सौर ऊर्जा मानव के जीवन की एक अहम कड़ी है जिसके बिना जीवन की संकल्पना नहीं की जा सकती है। सौर ऊर्जा को ऊर्जा का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है क्योंकि यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है। पृथ्वी से जीवाश्म ईंधन के खत्म होने और उनकी बढ़ती लागत ने पूरी दुनिया को अक्षय ऊर्जा के बढ़ते महत्व पर विचार करने के लिए मजबूर किया है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। यह प्रदूषण मुत्तफ़ ऊर्जा हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है और इसकी प्रभावशीलता के कारण अब हम सभी नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर होते जा रहे हैं। दूसरे, यहाँ पवन की गति बहुत तेज है।
सौर ऊर्जा के मामले में भारत की स्थिति
भारत एक उष्ण-कटिबंधीय देश है। उष्ण- कटिबंधीय देश होने के कारण हमारे यहाँ वर्ष भर सौर विकिरण प्राप्त होती है, जिसमें सूर्य प्रकाश के लगभग 3000 घंटे शामिल हैं, जो कि 5000 ट्रिलियन किलो वाट ऑवर के बराबर है। भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में 4-7 किलो वाट ऑवर प्रति वर्ग मीटर के बराबर सूर्य का प्रकाश मिलता है। चूँकि भारत की अधिकांश जनता ग्रामीण क्षेत्रें में निवास करती हैं, अतः वहाँ सौर ऊर्जा की उपयोगिता बहुत है। साथ ही विकास की भी संभावनाएँ हैं और अगर सौर ऊर्जा का उपयोग प्रारंभ होता है, तो वहाँ घरेलू कामों में कंडों एवं लकड़ियों का प्रयोग होने में भी कमी आएगी जिससे वायु प्रदूषण भी नहीं होगा। भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल रहा है, जिसने 1973 से ही नए और पुनरोपयोगी ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करने के लिये अनुसन्धान और विकास काम शुरू कर दिये। नतीजा यह हुआ कि हालात तेजी से बदलन लगे। आज स्थिति यह है कि ऊर्जा निर्माण के जितने भी माध्यम हो सकते हैं, देश ने सबको अपना लिया है। भारत ने सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत, बायो गैस, हाइड्रोजन, ईंधन कोशिकाएँ, परमाणु ऊर्जा, समुद्री ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, आदि नवीन प्रौद्योगिकियों में अपना योगदान बढ़ा दिया है।
सौर ऊर्जा से होने वाले फायदे
सौर ऊर्जा कभी खत्म न होने वाला संसाधन है और यह अनवीकरणीय संसाधनों का सबसे बेहतर विकल्प है। सौर ऊर्जा वातावरण के लिए भी लाभकारी है।जब इसे उपयोग किया जाता है, तो यह वातावरण में कार्बन-डाई-ऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैस नहीं छोड़ती, जिससे वातावरण प्रदूषित नहीं होता। सौर ऊर्जा अनेक उद्देश्यों के लिए प्रयोग की जाती है, इनमें उष्णता, भोजन पकाने और बिजली पैदा करने से काम शामिल हैं। इसके अलावा सौर ऊर्जा का उपयोग कार में, हवाई जहाज में, बड़ी नावों में, उपग्रहों में, कैल्कुलेटर में और अन्य उपकरणों में भी किया जाता हैं। साथ ही सौर ऊर्जा उपकरण किसी भी स्थान पर स्थापित किया जा सकता है। यहाँ तक कि ये घर में भी स्थापित किया जा सकता है। यह ऊर्जा के अन्य संसाधनों की तुलना में सस्ता भी पड़ता है।
सौर ऊर्जा की राह में मौजूद चुनौतियां
देखा जाए रात में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन का नहीं किया जा सकता हैं। साथ ही दिन में भी जब बारिश का मौसम हो या बादल हो तो सौर ऊर्जा के द्वारा बिजली उत्पादन का कार्य नहीं किया जा सकता। इस कारण हम सौर ऊर्जा पर पूरी तरह से भरोसा नहीं कर सकते। केवल वही क्षेत्र सौर ऊर्जा उत्पादन करने में सक्षम हो सकते हैं, जहाँ पर्याप्त मात्र में सूर्य का प्रकाश आता हो।
इसके अलावा सौर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए हमें सौर उपकरणों के अलावा इन्वर्टर तथा इसके संग्रहण के लिए बैटरी की आवश्यकता होती है। लेकिन इसमें इस्तिमाल होने वाले इन्वर्टर और बैटरी इसे महंगा बना देते हैं। साथ ही सौर उपकरण आकार में बड़े होते हैं, अतः इन्हें स्थापित करने हेतु बड़े क्षेत्रफल की भूमि की जरूरत होती है और एक बार यदि ये उपकरण लग जाये तो वह भू-भाग लम्बे समय के लिए इसी उद्देश्य से काम में लिया जाता है और इसका उपयोग किसी और कार्य में नहीं किया जा सकता। देखा जाए तो पूरे वायुमंडल में धूल मौजूद है जो सौर ऊर्जा को कम करती है और फिर सौर पैनल पर जमा हो जाती है, जिससे इसकी दक्षता भी कम हो जाती है। इसके अलावा सरकार, लदाख में जिस सौर ऊर्जा के विकास के लिए योजना शुरू कर रही है उसकी राह में भी चुनौती कम नहीं है। बेशक लद्दाख में ज़मीन की कीमत कम है, लेकिन यहाँ पानी की बहुत कमी है। सौर ऊर्जा साइट तक पहुँचने के लिए सड़कों का जाल बिछाना होगा। यहाँ का विद्युत ढांचा बहुत कमजोर है। अतः डीजल जेनरेटर का प्रयोग अधिक होगा। लद्दाख के छोटे-छोटे गाँवों में जनसंख्या भी कम है और यहाँ के लोग कुशल श्रमिक नहीं हैं। अगर इन्हें प्रशिक्षण देकर काम दिया भी जाए, तो उच्च कौशल की मांग रखने वाले निर्माण और रख रखाव जैसे कार्यों के लिए बाहर से विशेषज्ञों को बुलाना पड़ेगा। इसके अलावा लदाख में उपकरणों को साइट तक पहुँचाना बहुत महंगा पड़ेगा। साथ ही 10,000 फीट से ऊपर की ऊंचाई और शून्य से नीचे के तापमान पर काम करने से श्रमिक बीमार पड़ सकते हैं।
भारत में सौर ऊर्जा के लिए हो रहे सरकारी प्रयास
भारत के थार मरुस्थल में देश का अब तक का सर्वाेत्तम सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट प्रारंभ किया गया है। ये प्रोजेक्ट 700-2100 मेगा वाट ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम है। केंद्र सरकार ने ‘जवाहरलाल नेहरू राष्टंीय सौर ऊर्जा परियोजना को शुरू कर वर्ष 2022 तक 20,000 डॅ तक ऊर्जा उत्पादन करने का लक्ष्य निश्चित किया है। इसके अलावा भारत सरकार ने 2022 के अंत तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य भी निर्धारित किया है। इसमें पवन ऊर्जा से 60 गीगावाट, सौर ऊर्जा से 100 गीगावाट, बायोमास ऊर्जा से 10 गीगावाट और लघु जलविद्युत परियोजनाओं से 5 गीगावाट शामिल है।
पिछले तीन साल यानी 2014-17 के दौरान भारत में सौर ऊर्जा का उत्पादन अपनी स्थापित क्षमता से चार गुना बढ़कर 10 हजार मेगावाट के आँकड़े को पार कर गया है। सौर ऊर्जा उत्पादन में सर्वाधिक योगदान रूफटॉप सौर उर्जा (40 प्रतिशत) और सोलर पार्क का भी (40 प्रतिशत) का है। यह देश में बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता का 16 प्रतिशत है जबकि सरकार का लक्ष्य इसे बढ़ाकर स्थापित क्षमता का 60 प्रतिशत करना है।
इसके अलावा 2 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन से प्रतिवर्ष कार्बन
उत्सर्जन की मात्र में 20 मिलियन टन की कमी आएगी और 3-6 मिलियन टन प्राकृतिक गैस की
बचत होगी। अगले तीन साल में देश में सौर ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाकर 20 हजार मेगावाट
करने का लक्ष्य है। वर्ष 2035 तक देश में सौर ऊर्जा की मांग सात गुना तक बढ़ने की
संभावना है। सौर ऊर्जा की लागत में लगातार आ रही कमी की वजह से अब यह ताप बिजली से
मुकाबले की स्थिति में है। सरकार ने राष्टंीय सौर मिशन के तहत ग्रिड से जुड़ी सौर
ऊर्जा परियोजनाओं के वर्ष 2021-22 तक 20,000 मेगावॉट के लक्ष्य को संशोधित कर वर्ष
2020-22
तक 1,00,000 मेगावॉट कर दिया है।
वर्ष 2022 तक 100 गीगावॉट के लक्ष्य के मुकाबले अक्टूबर, 2018 तक 24-33 गीगावॉट की कुल स्थापित क्षमता के साथ फिलहाल भारत सबसे अधिक स्थापित सौर क्षमता वाला पाँचवां देश है। इसके अलावा 22-8 गीगावॉट क्षमता निर्माणाधीन अथवा निविदा प्रक्रिया में है। इन सब के अलावा देश में सौर पार्क भी स्थापित किए जा रहे हैं। देश के 21 राज्यों में कुल 26,694 मेगावॉट क्षमता के 47 सौर पार्क स्थापित करने की मंजूरी दी गई है। विभिन्न सौर पार्कों के लिए 1,00,000 एकड़ भूमि की पहचान की गई, जिसमें से 75,000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण हो चुका है।
कुल-मिलाकर, विशेषज्ञों का अनुमान है कि देश के अन्य क्षेत्रें के बजाय लद्दाख में सौर ऊर्जा की कीमत दोगुनी हो सकती है। उम्मीद यह भी है कि शुरूआती दो मॉडड्ढूल के लिए शायद कीमत ज्यादा आए, परन्तु क्रमशः यह कम हो सकती है। सरकार को चाहिए कि वह ज्यादा-से-ज्यादा आउटपुट पाने के लिए नवीन तकनीक को अपनाए। सरकार का यह क़दम सराहनीय है। इसमें संभावनाओं के साथ-साथ चुनौतियां भी हैं। उम्मीद की जा सकती है कि समय के साथ लद्दाख को उत्तर भारतीय पावर हाऊस के रूप में देखा जा सकेगा। इसके अलावा भारत के अन्य क्षेत्रें में भी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। हालांकि सरकार को इस क्षेत्र में और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और इसके लिए ऊर्जा एक महत्वपूर्ण कड़ी है जिसमें सौर ऊर्जा महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।