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Blog / 29 Jun 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) पैंगोलिन क्यों है खतरे में? (Pangolin: Why becoming Endangered?)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) पैंगोलिन क्यों है खतरे में? (Pangolin: Why becoming Endangered?)



हाल ही में, चीन की सरकार ने पैंगोलिन नाम के स्तनपायी जीव को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है. चीनी सरकार ने तय किया है कि पैंगोलिन को उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान की जाएगी ताकि इसके तस्करी को रोका जा सके. इसके अलावा, सरकार ने पैंगोलिन को चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की सूची से भी हटा दिया है.

डीएनएस में आज हम जानेंगे कि पैंगोलिन की सुरक्षा इतनी जरूरी क्यों है और साथ ही समझेंगे इससे जुड़े कुछ दूसरे अहम पहलुओं को भी……..

पैंगोलिन फोलिडोटा वर्ग का एक स्तनधारी जानवर है। इसके शरीर पर केराटिन से बनी एक शल्कनुमा संरचना होती है जिसकी मदद से यह दूसरे जानवरों से अपनी रक्षा करता है। केराटिन वही प्रोटीन है जो इंसानों के नाखून में पाया जाता है. इस तरह के शल्कों वाला पैंगोलिन एकमात्र अकेला ज्ञात स्तनधारी जीव है।

प्राकृतिक तौर पर, पैंगोलिन अफ़्रीका और एशिया में पाया जाता है। इसकी कुल 8 प्रजातियां अभी तक ज्ञात हैं जिनमें से इंडियन पैंगोलिन और चीनी पैंगोलिन भारत में पाए जाते हैं. हमारे देश में इसे 'सल्लू सांप' भी कहा जाता है. इंडियन पैंगोलिन की पीठ पर शल्कनुमा संरचना की 11-13 पंक्तियाँ होती हैं। इसकी पूँछ के निचले हिस्से में एक टर्मिनल स्केल मौजूद होता है जो चीनी पैंगोलिन में नहीं होता है। शुष्क क्षेत्रों, उच्च हिमालय और देश के पूर्वोत्तर इलाके को छोड़कर इंडियन पैंगोलिन तकरीबन पूरे देश में पाया जाता है। इसके अलावा, यह प्रजाति बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका में भी पाई जाती है। चीनी पैंगोलिन पूर्वी नेपाल, भूटान, उत्तरी भारत, उत्तर-पूर्वी बांग्लादेश और दक्षिणी चीन में पाया जाता है। आमतौर पर पैंगोलिन चींटी खाकर अपना गुजारा करता है.

पैंगोलिन के मांस को चीन और वियतनाम समेत कई देशों में बड़े चाव के साथ खाया जाता है. साथ ही, इसका इस्तेमाल औषधि निर्माण में भी किया जाता है. चीन की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में इसका ज्‍यादा उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं, चीन और वियतनाम में पैंगोलिन का मांस खाना एक तरह से अमीर होने की निशानी है. एक आंकड़े के मुताबिक बीते एक दशक के दौरान दस लाख से भी ज्यादा पैंगोलिन की तस्‍करी की जा चुकी है। यही कारण है कि ये दुनिया का सबसे ज्यादा तस्‍करी किए जाने वाला जानवर बन गया है। आईयूसीएन की माने तो दुनियाभर के वन्‍य जीवों की अवैध तस्‍करी में अकेले 20 फ़ीसदी हिस्सेदारी पैंगोलिन की ही है। इसके अलावा, CITES का भी कहना है कि चीटियां खाने वाले इस स्तनपायी जीव की पूरी दुनिया में सबसे अधिक तस्करी होती है.

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ़ नेचर यानी IUCN की रेड लिस्ट में इंडियन पैंगोलिन को संकटग्रस्त प्रजाति और चीनी पैंगोलिन को गंभीर संकटग्रस्त प्रजाति की श्रेणी में रखा गया है। साथ ही, इन दोनों प्रजातियों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के भाग-I की अनुसूची-I के तहत संरक्षण मिला हुआ है। गौरतलब है कि इसी साल मध्य प्रदेश सरकार ने पहली बार एक इंडियन पैंगोलिन को रेडियो-टैग किया है। रेडियो-टैगिंग में एक ट्रांसमीटर के जरिए किसी वन्यजीव की गतिविधियों पर नज़र रखी जाती है।

बता दें कि हर साल फरवरी महीने के तीसरे शनिवार को विश्व पैंगोलिन दिवस मनाया जाता है जिसका मकसद पैंगोलिन को लेकर लोगों को जागरूक करना है. इसके अलावा, पैंगोलिन दिवस के जरिए इस प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने के लिए तमाम हितधारकों को एक साथ लाने की अंतरराष्ट्रीय कोशिश की जाती है.

कोरोना महामारी के इस संकटकाल में एक खबर यह भी आई थी कि पैंगोलिन के कारण ही कोरोना वायरस फैला है लेकिन इस खबर की पुष्टि वैज्ञानिकों द्वारा अभी तक नहीं की गई है. अब जबकि चीन ने पैंगोलिन को अपनी परंपरागत चीनी चिकित्सा की आधिकारिक सूची से हटा दिया है तो उम्मीद है कि इस जीव के शिकार में कमी आए.