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Blog / 26 Aug 2019

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्या पाकिस्तान एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में? (Pakistan Blacklisted by FATF?)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) क्या पाकिस्तान एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में? (Pakistan Blacklisted by FATF?)


मुख्य बिंदु:

बीते दिनों FATF की एशिया प्रशांत इकाई APG ने पाकिस्तान को आतंकी वित्-पोषण एवं मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में तय किये गए मानकों के अनुरूप कार्रवाई न करने के कारण FATF की सूची में सबसे निचले पायदान पर रखने का फैसला लिया है। FATF के इस कदम से पाकिस्तान पर ब्लैक लिस्टेड होने का खतरा मंडरा रहा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी अक्टूबर में होनेवाली FATF की बैठक में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने का फैसला लिया जा सकता है। क्यूंकि FATF की एशिया प्रशांत इकाई के मुताबिक़ आतंकी वित्पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े 40 मानकों में से 32 को पाकिस्तान ने पूरा नहीं किया है।

ग़ौरतलब है कि आतंकवाद को पनाह देने के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स FATF ने पाकिस्तान को जून 2018 से ग्रे लिस्ट की सूची में रखा है।

पाकिस्तान की सम्पूर्ण वित्तीय व्यवस्था एवं उसके कानून प्रवर्तन तंत्र के आकलन के बाद उसे ग्रे सूची में रखा गया था। अमेरिका के फ्लोरिडा के ओरलैंडो में आयोजित बैठक के समापन पर जारी एक बयान में FATF ने चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि न सिर्फ पाकिस्तान जनवरी की समय सीमा के साथ अपनी ऐक्शन प्लान को पूरा करने में विफल रहा है, बल्कि वो मई 2019 तक भी अपनी कार्य योजना को पूरा करने में भी विफल रहा है।

DNS में आज हम आपको FATF के बारे में बताएंगे। साथ ही समझेंगे इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।

FATF यानी फाईनेंसिअल एक्शन टास्क फोर्स। FATF वैश्विक वित्तीय अपराध को रोकने वाली एक अंतरसरकारी संगठन है जिसकी स्थापना साल 1989 में, जी 7 की पहल पर किया गया था। आसान भाषा में कहा जाए तो FATF वैश्विक स्तर पर आतंकी संगठनों को किये जा रहे आतंकी वित्-पोषण पर नज़र रखने वाली एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है। भारत वर्ष 2010 से ही FATF का सदस्य है। शुरुआत में इसका मक़सद मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटना था। साल 2001 में FATF ने अपने उद्देश्य का विस्तार करते हुए आतंकी वित-पोषण पर प्रहार करने के लक्ष्य को भी शामिल कर लिया।

दरअसल APG एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों में सम्बंधित अंतराष्ट्रीय संगठन के साथ मिलकर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी गतिविधियों को सम्पादित करने के लिए इस्तेमाल होने वाली वितीय व्यवस्था पर प्रहार करने के लिए प्रतिबद्ध संस्था है। इसकी स्थापना साल 1995 में ऑस्ट्रेलिया के सहयोग से गई थी। APG कथित समस्याओं के लिए FATF द्वारा निर्धारित मानकों का या कानूनों का सही प्रबंधन और नियमन के लिए भी उत्तरदायी है। इसके अलावा FATF की क्षेत्रीय इकाई एशिया पैसिफिक ग्रुप APG की सक्रियता साल 1997 के बाद से काफी बढ़ गई है। साथ ही ये कथित समस्याओं से सम्बंधित निकायों के वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा है, जिसे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स-स्टाइल रीजनल बॉडीज (FSRBs) के रूप में भी जाना जाता है।

FATF की ग्रे लिस्ट क्या है?

दरअसल किसी भी देश को FATF की ग्रे लिस्ट में डालने का मतलब ये कि उस देश को आतंकी वित्-पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों लिप्त होने के कारण इस सूची में रखा जाता है। ग्रे लिस्ट में किसी देश को डालना एक चेतावनी जैसा है। यानी अगर कोई देश आतंकवाद को फंडिंग करने से बाज नहीं आता है या उसे रोकने के लिए ज़रूरी क़दम नहीं उठाता है तो आगे उस देश को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। आपको बता दें कि जिस देश को ग्रे लिस्ट में डाला जाता है तो उसे आर्थिक रूप से अंतरष्ट्रीय बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। साथ ही अलग - अलग अंतरष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा किसी भी प्रकार का क़र्ज़ लेना मुश्किल हो जाता है।

FATF की ब्लैक लिस्ट क्या है?

FATF साल 2000 से ब्लैक लिस्ट जारी करता है। इस लिस्ट में केवल उन देशों को डाला जाता है जो अन-कॉपरेटीव टैक्स हैवेन( unco-operative tax havens) देश की श्रेणी में आते हैं। इन देशो को नॉन-कॉपरेटीव कंट्री या टेरीट्रीज के रूप में भी जाना जाता है। दूसरे शब्दों में जो देश आतंकी गतिविधियों के लिए वित-पोषण कर रहे हैं साथ ही साथ मनी लॉनड्रींग जैसे अपराध में लिप्त हैं उन्हें FATF अंतर्गत ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। FATF द्वारा किसी भी देश को ब्लैक लिस्ट में डालने का मतलब यह होता है कि कथित देश आतंकवादी गतिविधियों का बहुत बड़ा समर्थक है और पूरी अंतराष्ट्रीय बिरादरी के लिए ख़तरनाक है। FATF की ओर से ब्लैकलिस्ट करने का यह भी मतलब है कि संबंधित देश मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित-पोषण के खिलाफ जंग में सहयोग नहीं कर रहा है। ब्लैक लिस्ट होने के बाद संबंधित देश को वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, एडीबी, यूरोपियन यूनियन जैसी संस्थाओं से कर्ज मिलना मुश्किल हो जाता है। सके अलावा मूडीज, स्टैंडर्ड ऐंड पूअर और फिच जैसी एजेंसियां उसकी रेटिंग भी घटा सकती हैं।

पाकिस्तान पर की गई इस करवाई से भारत पर क्या असर होगा?

भारत लम्बे वक़्त से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से प्रभावित है। भारत एक अरसेसे इस सम्बन्ध में समूचे अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को यह समझने का प्रयास करता रहा है कि पाकिस्तान किस प्रकार से आतंकी गतिविधियों को वित्-पोषण कर रहा है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद से भारत ने इस बात को पूरी सक्रियता से उठाया जिसके परिणामस्वरूप समूची अंतरष्ट्रीय बिरादरी ने इस बात को स्वीकार किया कि पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों को वित्-पोषण करने के मामले में एक खतरनाक देश है।

भारत की इस सक्रियता और आतंक के मामले में जीरो टॉलरेंस को नीति काफी सफल हुई और पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया था।

भारत द्वारा आतंकवाद के मुद्दे पर उठाया गया ये कदम पाकिस्तान को पूरी तरीके से अलग-थलग कर देना न केवल कूटनीतिक जीत है बल्कि आतंकवाद पर एक बहुत बड़ा प्रहार है जिस से भारत एक लम्बे समय से पीड़ित रहा है।