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Blog / 21 Jan 2019

(Daily News Scan - DNS) नीति आयोग : अभिनव भारत @ 75 (NITI Aayog : Strategy for New India @ 75)

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(Daily News Scan - DNS) नीति आयोग : अभिनव भारत @ 75 (NITI Aayog : Strategy for New India @ 75)


मुख्य बिंदु:

कुछ दिन पहले नीति आयोग ने एक दस्तावेज जारी किया था । ये दस्तावेज एक तरीके का दृस्टि पत्र है जिसके ज़रिए अगले 5 सालों में कुछ निर्धारित विकास लक्ष्यों को हांसिल किया जाना है। नीति आयोग ने इसे "स्ट्रैटजी फॉर न्यू इंडिया @75" का नाम दिया है। जिसे "अभिनव भारत @75" भी कहा जा सकता है।

DNS में आज हम आपको नीति आयोग की ओर से जारी किए गए दस्तावेज में शामिल विकास लक्ष्यों के बारे में बताएंगे साथ ही योजना आयोग को हटा कर नीति आयोग की शुरुआत क्यूं हुई इस से भी जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने की कोशिश करेंगे।

भारत के थिंक टैंक माने जाने वाले नीति आयोग ने अगले 5 सालों के लिए एक ब्लूप्रिंट पेश किया है। इस ब्लूप्रिंट में वर्ष 2023 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 4 ट्रिल्यन डॉलर का बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें 41 अध्याय यानी कुल 41 चैप्टर्स हैं। जिसे 4 खंडो में रखा गया है। नीति आयोग ने इन्हें चालक यानी ड्राइवर्स, इंफ्रास्ट्रक्टर यानी बुनियादी ढांचा, और समावेश तथा गवर्नेंस में बांटा है। ये ही वो 4 खंड हैं जिनके ज़रिए साल 2023 तक विकास लक्ष्यों को हांसिल किया जाना है। आइये अब देखते हैं कि इन खंडों में किन किन क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

ड्राइवर्स यानी चालक वाले खंड में - 2018 से 2023 के बीच GDP को क़रीब 8% तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। GDP को बढ़ाने के पीछे अर्थव्यवस्था का विस्तार करना है, जिसके ज़रिए अर्थव्यवस्था में तेज़ी लाई जा सके। मौजूदा 2.7 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था को भी वर्ष 2023 तक लगभग 4 खरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है। इसके अलावा नीति आयोग ने मौजूदा निवेश दर को 29% से बढ़ा कर साल 2023 तक 36 % करने की बात कही है। आयोग ने किसानों की आय को दोगुनी, कृषि बाजार को बढ़ावा और सभी ग्राम पंचायतों को भी इंटरनेट से जोड़ने का सुझाव दिया है। नीति आयोग ने इस खंड में ई - राष्ट्रीय मंडियों का विस्तार, किसानों को कृषि सम्बंधित बिज़नेस, और खेती की लागत में कमी लाने पर बल दिया गया है। साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और रोजगार बढ़ाने के लिए श्रम क़ानून में ज़रूरी बदलाव किए जाने पर भी जोर दिया गया है।

नीति आयोग के दूसरे खंड यानी बुनियादी ढांचा में रेल विकास प्राधिकरण की स्थापना में तेज़ी किए जाने की बात कही गई है। आपको बता दें कि रेल विकास प्राधिकरण रेलवे के सबसे महत्वपूर्ण सुधारों में शामिल है, जोकि रेलवे क्षेत्र को पारदर्शी और गतिशील बनाने का काम करेगा। बुनियादी ढांचें में तटीय जहाज़रानी और अंतर्देशीय जलमार्गों से होने वाली माल ढुलाई के हिस्से को भी दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा बुनियादी ढांचा पूरा होने तक वायबिलिटी गैप फंडिंग भी उपलब्ध कराइ जाएगी।

वायबिलिटी गैप फंडिंग सरकार की पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप PPP मॉडल का ही एक प्रकार है। जिसमें सरकार किसी इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाने के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित करती है। इस प्रक्रिया में फंडिंग का रिस्क सरकार निजी क्षेत्र के साथ शेयर करती है। मौजूदा वक़्त में वायबिलिटी गैप फंडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में लागू है। वायबिलिटी गैप फंडिंग को आसान शब्दों में समझें तो इसमें कुछ पैसा सरकार देती है और कुछ पैसा प्राइवेट सेक्टर की ओर से लगाया जाता है।

नीति आयोग ने बुनियादी ढांचा खंड में परिवहन के अलग अलग साधनों को साथ लाने के लिए IT आधारित मंचों को भी विकसित करने का लक्ष्य रखा है । साथ ही 2019 में भारतीय नेट परियोजना के पूरा होने पर करीब 2. 5 लाख ग्राम पंचायतें डिजिटल रूप से जुड़ जाएंगी। जिसके बाद साल 2023 तक सभी सरकारी सेवाएं गांव, जिला और राज्य स्तर पर डिजिटल तरीके से उपलब्ध रहेंगी।

नीति आयोग के तीसरे खंड Inclusion यानी समावेशन में सभी नागरिकों की क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी ज़रूरी सुविधाओं को हांसिल न कर पाने वाली आबादी को भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। देशभर में क़रीब डेढ़ लाख हेल्थ एंड वैलनेस सेण्टर खोले जायेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री जन आरोग्य कार्यक्रम को बढ़ावा दिए जाने के साथ आयुष्मान भारत कार्यक्रम को भी सफल बनाने पर जोर दिया जाएगा। इसके अलावा राज्यों के साथ मिल कर सभी महत्वपूर्ण कामों को केंद्रीय स्तर पर किए जाने का लक्ष्य भी समावेशन खंड में शामिल है।

नीति आयोग के समावेशन खंड में समेकित चिकित्सा पाठ्यक्रम का भी ज़िक्र किया गया है। नीति आयोग ने 2020 तक कम से कम 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्‍स को शुरू किए जाने की बात कही है, जिसके ज़रिए स्‍कूली शिक्षा प्रणाली और कौशल गुणवत्ता में सुधार किया जाना है। इसके पहले अटल टिंकरिंग लैब की शुरुआत मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह द्वारा की गई थी। जिसका मक़सद स्कूली बच्चों को नए जमाने की तकनीक से आधुनिक उपकरण बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। अटल टिंकरिंग लैब के ज़रिए स्कूली बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने में भी मदद मिलेगी

इसके अलावा समावेशन खंड में सभी बच्‍चों की शिक्षा को ट्रैक करने के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक राष्‍ट्रीय शैक्षिक रजिस्‍ट्ररी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही इस खंड में आर्थिक विकास पर विशेष बल देते हुए कामगारों के जीवन स्‍तर में सुधार लाने और समानता सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की ही तरह शहरी क्षेत्रों में भी किफायती घरों को बढ़ावा देने का लक्ष्य शामिल है।

नीति आयोग के दस्तावेज में आख़िरी खंड गवर्नेंस से जुड़ा हुआ है। जिसमें विकास के बेहतर लक्ष्य को हांसिल करने के लिए गवर्नेंस के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर रखना और उसमें प्रक्रियाओं को आसान बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों पर भी अमल करने का सुझाव दिया गया है और स्वच्छ भारत के मिशन को बढ़ावा दिए जाने की भी बात कही है।

तो ये था नीति आयोग की ओर से अगले 5 सालों में हांसिल किए जाने वाले विकास लक्ष्य। आइये अब नीति आयोग के काम और योजना आयोग को हटा कर नीति आयोग की शुरुआत क्यूं की गई इसे समझने की कोशिश करते हैं।

1 जनवरी 2015 को नीति आयोग का गठन हुआ । नीति आयोग को सालों पुरानी योजना आयोग को हटा कर शुरू किया गया था। योजना आयोग की शुरुआत आज़ादी मिलने के बाद हुई थी जिसे एक मंत्रीमंडलीय प्रस्ताव के ज़रिए 15 मार्च 1950 में लागू किया गया । योजना आयोग का मक़सद कुछ ज़रूरी और निर्धारित लक्ष्यों को हांसिल करना होता था। योजना आयोग के तहत पंचवर्षीय योजनाएं बनाई जाती थी, जिसके ज़रिए निर्धारित लक्ष्यों को 5 साल के भीतर पूरा करना होता था।

योजना आयोग को हटा कर नीति आयोग करने की ज़रूरत इसलिए पड़ी क्यूंकि समय के साथ योजना आयोग में बदलाव की ज़रुरत महसूस होने लगी थी। नीति आयोग और योजना आयोग के बीच कामों का अंतर ये है कि, नीति आयोग राज्यों की भागीदारी को बढ़ाता है। जबकि योजना आयोग सभी राज्यों में एक ही प्रकार का टॉप– डाउन अप्रोच अपनाता था। जबकि समय के हिसाब से ये ये एप्रोच बॉटम-अप होना चाहिए था ।

अगर हम एक उदाहरण के ज़रिए योजना आयोग को समझने की कोशिश करे तो मान लीजिए कि योजना आयोग शिक्षा के लिए कोई योजना बनाता है, तो ये योजना उच्च साक्षरता दर वाले राज्य केरल और कम साक्षरता दर वाले राज्य बिहार के लिए एक ही तरीके से लागू की जाती थी। जबकि इन दोनों राज्यों के लिए शिक्षा की अलग अलग नीतियों की ज़रुरत है। यानी हर एक राज्य की ज़रुरत अलग अलग होती है और नीतियां भी उन्हीं के अनुसार होनी चाहिए।

आज़ादी के बाद जब योजना आयोग शुरू हुआ तो उस दौरान इसकी ज़रुरत थी। लेकिन इस वक़्त अब देश का आर्थिक विकास कैसे किया जाय। राज्यों को एक साथ लेकर कैसे काम कराया जाय और नए नए आइडियाज के ज़रिये सामजिक और आर्थिक रूप से भारत को कैसे बेहतर बनाया जाय इसलिए भी योजना आयोग को हटा कर नीति आयोग की शुरुआत की गई। नीति आयोग के बनने के करीब 3 साल पहले से ही इसकी प्लानिंग शुरू हो गई थी।नीति आयोग के ज़रिए बेहतर आर्थिक और सामाजिक भविष्य की चिंता करते हुए नीतियां तैयार की जाती हैं। इसके अलावा नीति आयोग सरकार की थिंक टैंक तो है ही साथ ही IT WORKS AS AN EYE AND EAR OF GOVERNMENT ALSO.

नीति आयोग का उद्देश्य देश हित का ख्याल रखते हुए राज्यों की सक्रीय भागीदारी के साथ एक साझा उद्देश्य तैयार करना है। नीति आयोग संघवाद को बढ़ावा देने के साथ ग्राम स्तर पर बेहतर योजनाएं शुरू करता है। इसके अलावा नीति आयोग सुरक्षा के लिहाज से ज़रूरी नीतियां तैयार करने जैसे कई और भी ज़रूरी योजनाओं की शुरुआत और उनकी निगरानी करता है।