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Blog / 12 Oct 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) चिकित्सा नोबेल पुरस्कार 2020 (Medicine Nobel Prize 2020)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) चिकित्सा नोबेल पुरस्कार 2020 (Medicine Nobel Prize 2020)



हाल ही में, साल 2020 के लिए चिकित्सा नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई. इस बार यह पुरस्कार हार्वे जे आल्टर, चार्ल्स एम राइस और माइकल हाफटन को हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज करने के लिए दिया जाएगा। 6 अक्टूबर को स्टॉक होम में पुरस्कार की घोषणा करते हुए नोबेल कमिटी ने कहा तीनों वैज्ञानिकों की खोज से हेपेटाइटिस के स्त्रोत की जानकारी मिलना आसान हो जाएगा, जो पहले हेपेटाइटिस वायरस ए और बी के ज़रिए नहीं संभव था। कमेटी ने कहा कि इनकी खोज से अब हेपेटाइटिस के खून की जांच और नयी दवाएँ बनाना आसान हो जाएगा जिससे लाखों जानें बचाई जा सकेंगी।

डीएनएस में आज हम आपको नोबेल पुरस्कार के बारे में बताएँगे और साथ ही, समझेंगे इससे जुड़े कुछ दूसरे महत्वपूर्ण पहलुओं को भी …...

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों की माने तो पूरी दुनिया में तकरीबन 70 मिलियन हेपेटाइटिस के मामले मौजूद हैं। इस बीमारी की वजह से हर साल तकरीबन 4 लाख मौतें हो जाती हैं। हेपेटाइटिस एक जानलेवा बीमारी है. हेपेटाइटिस लीवर में सूजन (Liver Inflammation) की समस्या को कहते हैं. हर साल लाखों लोग हेपेटाइटिस से संक्रमित होते हैं और हजारों लोग इस रोग से पीड़ित होकर अपनी जान गंवा देते हैं. हेपेटाइटिस के वायरस (Hepatitis Virus) 5 तरह के होते हैं- हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई. इनकी वजह से लीवर में जलन और संक्रमण हो जाता है. कई बार हेपेटाइटिस के चलते लीवर फाइब्रोसिस या लीवर कैंसर (Liver Cancer) की आशंका भी बढ़ जाती है. इस बीमारी के वायरस कई बार पानी के जरिए भी फैलते हैं. इसके वायरस काफी शक्तिशाली होते हैं जो आसानी से मरते नहीं हैं और बहुत तेजी से बढ़ते जाते हैं.

ऐसे में, कई बार ताजे फल और सब्जियों के जरिए भी ये वायरस किसी व्यक्ति तक आसानी से पहुंच सकते हैं. हेपटाइटिस बी (Hepatitis B) लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. यह  हेपेटाइटिस बी वाइरस (HBV) के कारण होता है, जो लीवर को नुकसान पहुंचाता है. यह रक्त से, असुरक्षित यौन संबंध बनाने, दूसरों के द्वारा इस्तेमाल की गई सुई या एक ही सुई कई लोगों के लिए उपयोग में लाए जाने से हो सकता है. हेपेटाइटिस बी बहुत ज्यादा शराब पीने से भी हो सकता है. बात अगर हेपेटाइटिस सी की करें तो यह एक वायरल इंफेक्शन है जिससे लिवर से संबंधित बीमारी होती है, इससे कई बार लिवर को बहुत ही गंभीर नुकसान भी पहुंचता है। इससे लिवर फेलियर या कैंसर भी हो सकता है। यह वायरस संक्रमित खून से फैलता है। यह बीमारी इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि आधे से ज्यादा संक्रमित लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि उन्हें यह बीमारी है. ऐसा इसलिए क्योंकि उनमें इसके लक्षण या तो दिखाई नहीं देते या सामने आने में 10 साल तक लग जाते हैं।

वैज्ञानिक ऑल्टर ने ट्रांसफ्यूजन संबंधी हेपेटाइटिस के बारे में पता लगाया। इससे ये जानकारी मिली कि क्रॉनिक हेपेटाइटिस की एक आम वजह एक अज्ञात वायरस था। ह्यूटन ने हेपेटाइटिस सी वायरस के जीनोम को अलग करने के लिए एक नई तकनीक का प्रयोग किया, जबकि राइस ने सिद्ध किया कि हेपेटाइटिस सी वायरस अकेले हेपेटाइटिस की वजह साबित हो सकता है। इस साल चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार काफी मायने रखता है क्योंकि पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। इसकी वजह से पूरी दुनिया अब चिकित्सा के क्षेत्र को प्राथमिकता की दृष्टि से देखेगी। ये पुरस्कार 2020 के नोबेल पुरस्कारों की श्रेणी में पहला पुरस्कार है। इसके अलावा, भौतिकी, रसायन, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भी पुरस्कारों का एलान बाकी है।

नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत साल 1901 नोबेल फाउंडेशन द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में शुरू किया. यह शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाने वाला दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। इसमें प्रशस्ति-पत्र के साथ 10 लाख डालर की राशि भी दी जाती है। अल्फ्रेड नोबेल ने कुल 355 आविष्कार किए, जिनमें 1867 में किया गया डायनामाइट का आविष्कार भी शामिल है। दिसंबर 1896 में अपनी मौत के पहले अल्फ्रेड ने अपनी अकूत संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा एक ट्रस्ट को दान दे दिया था। उनकी इच्छा थी कि इस पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिनका काम मानव जाति के लिए सबसे कल्याणकारी पाया जाए। स्वीडिश बैंक में जमा इसी राशि के ब्याज से नोबेल फाउंडेशन द्वारा हर वर्ष शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र में सर्वोत्कृष्ट योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। नोबेल फ़ाउंडेशन की स्थापना 29 जून 1900 को हुई तथा 1901 से नोबेल पुरस्कार दिया जाने लगा। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की शुरुआत 1968 से की गई। पहला नोबेल शांति पुरस्कार 1901 में रेड क्रॉस के संस्थापक हेनरी ड्युनेंट और फ़्रेंच पीस सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष फ्रेडरिक पैसी को संयुक्त रूप से दिया गया।