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Blog / 13 Jan 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) लिथियम-सल्फर बैटरी (Lithium Sulphur Battery)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी)  लिथियम-सल्फर बैटरी (Lithium Sulphur Battery)


अगर आप अपने मोबाइल फ़ोन की बैटरी की कम ड्यूरेशन के चलते इसे बार-बार चार्ज करके परेशान हो उठे हैं, तो घबराइए नहीं ……. अब आपको इस समस्या से निजात मिलने वाली है। दरअसल हाल ही में, वैज्ञानिकों ने एक ऐसी बैटरी बनाने में कामयाबी हासिल की है, जो मौजूदा लिथियम-आयन बैटरी के मुकाबले पांच गुना ज़्यादा क्षमता रखती है। सल्फर आयन से बनने वाली, ये नयी लिथियम-सल्फर बैटरी आपके फोन को कम से कम पांच दिन का बैटरी बैकअप देने में सक्षम होगी।

डीएनएस में आज हम आपको लिथियम-सल्फर बैटरी के बारे में बताएँगे और साथ ही, इसके दूसरे पहलुओं से भी आपको रूबरू कराएँगे।

ऑस्ट्रेलिया स्थित मोनाश विश्वविद्यालय की शोध वैज्ञानिक महदोखत शाबानी और उनके सहयोगी प्रोफेसर मैथ्यू हिल और प्रोफेसर मैनाक मजूमदार ने इस बैटरी का निर्माण किया है।

लिथियम-सल्फर बैटरी एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी होती है, जिसमें उच्च विशिष्ट ऊर्जा यानी High specific energy पाई जाती है। आपको बता दें कि एक यूनिट द्रव्यमान में मौजूद ऊर्जा को ही विशिष्ट ऊर्जा कहा जाता है।

इसमें इस्तेमाल की जाने वाली प्रोटोटाइप सेल को जर्मनी के फ्रॉनहोफर विश्वविद्यालय में बनाया गया है। लिथियम के निम्न और सल्फर के मध्यम परमाणु भार के कारण ये बैटरी काफ़ी हल्की हो जाती है। इसका प्रयोग साल 2008 में सौर-ऊर्जा से चलने वाले एक ब्रिटिश हवाई जहाज़ में किया जा चुका है। इसी साल ऑस्ट्रेलिया में इस बैटरी का अंतिम परीक्षण कारों और सौर ग्रिड पर किया जाने वाला है।

वैज्ञानिकों का दावा है कि नई बैटरी से विद्युत् चालित वाहन यानि इलेक्ट्रिक व्हीकल भी चलाए जा सकते हैं। बैटरी को एक बार पूरा चार्ज करने पर इलेक्ट्रिक वाहन को एक बार में करीब 1,000 किमी तक आसानी से चलाया जा सकेगा।

सल्फर के इस्तेमाल से बैटरी में आने वाली लागत में भी कमी आएगी। लिहाजा बाजार में इन बैटरियों के काफी किफ़ायती दामों में उपलब्ध होने की उम्मीद है। दरअसल प्राकृतिक तौर पर लिथियम के मुकाबले सल्फर ज्यादा मात्रा में मौजूद है।

लिथियम सल्फर बैटरी की एक और ख़ासियत है कि बार-बार चार्ज करने पर भी इसकी ऊर्जा देने की क्षमता में कोई कमी नहीं आती। बैटरी को 200 बार चार्ज किए जाने पर भी इसकी ऊर्जा देने के क्षमता तकरीबन 99 फीसदी तक बनी रहती है। जबकि लिथियम-आयन बैटरी को बार-बार चार्ज करने पर उसकी क्षमता घटती चली जाती है। इसके अलावा हाई वोल्टेज पर लिथियम बैटरियों के क्षतिग्रस्त होने का भी खतरा बना रहता है। वैज्ञानिकों ने लिथियम-सल्फर बैटरी में कैथोड की अस्थिरता की समस्या को दूर कर लिया है। शोधकर्ताओं ने एक ऐसा लचीला कैथोड विकसित किया है जो चार्ज होने पर आकार में होने वाले विस्तार और संकुचन से होने वाले बदलाव को रोकने में सक्षम है। यही कारण है कि इस नई बैटरी की क्षमता देर तक बनी रहती है।

लॉन्ग लाइफ होने के चलते यह बैटरी पर्यावरण के लिहाज से भी फायदेमंद साबित होने वाली है। दरअसल अन्य बैटरियों के मुकाबले लिथियम सल्फर बैटरी से कम मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक कचरा निकलेगा। इसलिए ये पर्यावरण को कम नुकसान पहुँचाएगा।

उम्मीद है कि अगले तीन-चार सालों में लीथियम-सल्फर बैटरी का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। क्योंकि बैटरी के मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस का पेटेंट मिल चुका है।