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Blog / 10 Sep 2019

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) ग्लोबल लिवेबिलिटी इंडेक्स 2019 (Global Liveability Index 2019)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) ग्लोबल लिवेबिलिटी इंडेक्स 2019 (Global Liveability Index 2019)


मुख्य बिंदु:

हाल ही में एकोनोमिस्ट इंटेलीजेन्स यूनिट द्वरा ग्लोबल लिवेबिलिटी इंडेक्स को जारी किया गया। 140 देशों के लिए जारी किये गए इस सर्वेक्षण में भारत का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। पिछले साल की तुलना में दिल्ली और मुंबई दोनों शहरों की रैंकिंग में गिरावट दर्ज की गई है। जारी इंडेक्स के अनुसार जहाँ दिल्ली की रैंकिंग 112वें पायदान से खिसक कर 118 वें पायदान पर पहुँच गई। वहीँ मुंबई की रैंकिंग दो पायदान की गिरावट के साथ यानि 117वें पायदान से 119वें पायदान पर खिसक चुकी है। भारत के शहरों को अंतरष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2015 में राष्ट्रीय अटल मिशन फॉर रेजुवेनशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन, यानि अमरुत कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में स्मार्ट शहरों का विकास करना था।

इसी उद्देश्य की सफलता हेतु केंद्रीय आवास व शहरी विकास मंत्रालय ने इज ऑफ़ लिविंग इंडेक्स को जारी किया था। गत वर्ष यानि 2018 में जारी इस इंडेक्स के अनुसार भारत में रहने के लिहाज़ से सर्वश्रेष्ठ शहर पुणे को माना गया था.....मंत्रालय का ये लिविंग इंडेक्स इसलिए बनाया गया है ताकि शहरों को ग्लोबल और नेशनल मानकों के साथ-साथ अपना आकलन करने में भी सहायता मिल सके.... इसके अलावा इन शहरों के नियोजन और प्रबंधन को और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहन के तौर पर रैंक भी जारी किया जाता है।

डीएनएस में आज हम आपको ग्लोबल लिवेबिलिटी इंडेक्स के विषय में बताएँगे साथ ही इसके महत्वपूर्ण पहलुओं को भी समझने का प्रयास करेंगे.....

सबसे पहले आपको यह बता दें कि इस इंडेक्स को जारी करने वाली संस्था का नाम द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (EIU)है। EIU, इकोनॉमिस्ट समूह के अंतर्गत शोध और विश्लेषण का कार्य करती है। यह संस्था अपने शोध और विश्लेषण के आधार पर संबंधित क्षेत्रों के लिए विभिन्न प्रकार के सलाह और पूर्वानुमान जैसे कि संबंधित देशों की मासिक रिपोर्ट, आर्थिक पूर्वानुमान, सेवा सम्बन्धी और उद्योग रिपोर्ट आदि को जारी करती है।

यह सूचकांक इस बात का सर्वेक्षण करता है कि दुनिया के देशों में कौन से ऐसे स्थान हैं जो रहने योग्य हैं। इस सर्वेक्षण में दुनिया भर के शहरों को 30 गुणात्मक और मात्रात्मक मानदंडों के आधार पर जांचा गया। इन मानदंडों को पांच सामान्य श्रेणियों स्थिरता, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा,बुनियादी ढांचा, संस्कृति और पर्यावरण के अंतर्गत रखा गया।

EIU द्वारा जारी इंडेक्स में वियना(ऑस्ट्रिया),मेलबोर्न और सिडनी(ऑस्ट्रेलिया) रहने के लिहाज़ से सर्वोत्तम हैं...अर्थात इन शहरों ने इस इंडेक्स में टॉप रैंक को हासिल किया है। जबकि ढाका को रहने के लिहाज़ से एशिया का सबसे खराब स्थान माना गया है। वियना को यह रैंक बीते वर्ष में कम हुई आतंकवादी घटनाओं और अपराध के मामले में आई कमी के कारण हासिल हुई है। रैंकिंग क्रम में दिल्ली का छ: पायदान नीचे आने का कारण पिछले साल की तुलना में छोटे आपराधिक मामलों में वृद्धि का होना बताया गया है। साथ ही दिल्ली में दुनिया की सबसे खराब वायु गुणवत्ता स्तरों को भी दर्ज किया गया है।

मुंबई अपने संस्कृति केटेगरी में गिरावट के कारण इस साल के सूचकांक में दो स्थान नीचे गिर गया और उसका रैंक 117 से 119 पर आ गया.....रिपोर्ट के अनुसार नई दिल्ली जैसे शहरों में हवा की गुणवत्ता सहित संस्कृति और पर्यावरण के स्तर में गिरावट चिंताजनक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ग्लोबल एम्बिएंट एयर क्वालिटी डेटाबेस के 2018 के अपडेट से पता चलता है कि नई दिल्ली की हवाओं में विषाक्त प्रदूषित कणों की वार्षिक औसत एकाग्रता उच्चतम स्तर पर है।

इंडेक्स में उन शहरों का प्रदर्शन खराब रहा जहाँ जलवायु परिवर्तन का असर सबसे अधिक बताया गया। इसमें दिल्ली की हवा खतरनाक स्तर पर प्रदूषित मानी गई इसके अलावा मिस्र में काहिरा और बांग्लादेश का ढाका भी वायु प्रदुषण के मामले में खतरनाक मानी गई।

कुल मिलाकर भारतीय शहरों का रहने योग्य न होने का कारण भारत में पत्रकारों के लिए उचित माहौल का न होना,आपराधिक मामलों में वृद्धि,जलवायु परिवर्तन की स्थिति और शहरों में आबादी के लिहाज़ से उपयुक्त सुविधाओं का अभाव होना है।

भारत सरकार द्वारा जारी गत वर्ष के इज ऑफ़ लिविंग इंडेक्स में 111 शहरों का आकलन 78 मानकों पर किया गया था और इन सभी शहरों को 100 के स्केल पर मापा गया था। जिसमे सर्वाधिक 45 अंक बुनियादी ढाँचे की स्थिति के लिए था। इन सभी शहरों की रैंकिंग इन्स्टीट्यूशनल, सोशल, इकोनॉमिक और फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के आधार पर की गई थी। शहरों की सूची में पुणे को पहला नंबर जबकि नवी मुंबई को दूसरा और ग्रेटर मुंबई को तीसरा स्थान मिला था.... लिस्ट में तिरुपति चौथे और चंडीगढ़ पांचवे नंबर पर रहा था।

इस सर्वेक्षण में विभिन्न शहरों का प्रदर्शन बेहतर होने के बावजूद इस दिशा में अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। अगर हमारे अपने प्रयास पर्याप्त होते तो आज दिल्ली और मुंबई की रैंकिंग इतनी पिछड़ी हुई नहीं होती। भारत जैसे इतने बड़े लोकतांत्रिक देश के शहर वैश्विक रैंकिंग के टॉप 100 में भी अपना स्थान नहीं बना पा रहे हैं।

इस स्थिति का ईमानदारी से आकलन कर हमें अपने शहरों की शासन प्रणाली, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, परिवहन, साफ पीने के पानी की सप्लाई, वेस्ट-वाटर मैनेजमेंट, बिजली की सुविधा सहित पर्यावरण इत्यादि मुद्दों की दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे।