(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) कोरोना से जंग के लिए आर्थिक पैकेज (Economic Relief Package Amid Corona Crisis)
दुनिया भर में कोरोना वायरस का कहर जारी है । कोरोना से प्रभावित लोगों का आंकड़ा 26 मार्च को तकरीबन 5 लाख के आस पास पहुँच चूका था जबकि इससे मरने वालों की तादाद पूरी दुनिया में 22 हज़ार के आस पास है । भारत में भी कोरोना की वजह से लोगों में खौफ है ।ताज़ा जानकारी मिलने तक भारत में कुल संक्रमण के मामले 649 तक पहुँच गए थे और इससे मरने वालों की कुल संख्या 14 हो गयी थी ।कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 दिन पहले पूरे देश में लॉक डाउन का एलान किया था ।इस लॉक डाउन के चलते सभी सरकारी और निजी संस्थानों को 21 दिन के लिए बंद करने के निर्देश दिए गए थे और लोगों को घरों में ही रहने के निर्देश भी जारी किये गए थे ।इस लॉक डाउन में कुछ ज़रूरी सेवाओं को छूट दी गयी थी जिनमे स्वास्थ्य सेवाएं , प्रिंट और इलेक्टॉनिक मीडिया इत्यादि शामिल हैं । लेकिन इस लॉक डाउन के चलते भारत की अर्थव्यस्था चरमरा गयी है । कई लोग जिनकी रोज़ी रोटी रोज़ की आमदनी पर निर्भर है उन लोगों के लिए ये वक़्त दुश्वारी का है ।इसके अलावा गरीब और बेसहारा लोगों के खाने के लाले पड़ गए हैं ।इन सभी मुश्किलों से निजात देने के लिए केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण तथा इसकी रोकथाम के लिये लगाये गये लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर को कम करने के लिए कमर कास ली है । केंद्र सरकार ने 26 मार्च को एक बड़े आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की ।ये आर्थिक पैकेज वित्त मंत्री निर्मला सीथारमन ने पेश किया ।इस आर्थिक राहत पैकेज की उम्मीद काफी दिनों से की जा रही थी।
आज के DNS में हम जानेंगे केंद्र सरकार द्वारा जारी किये गए इस विशेष आर्थिक पैकेज के बारे में साथ इससे अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर और दूरगामी प्रभावों की भी समीक्षा करेंगे ।
केंद्र सरकार ने कोरोना के चलते लॉक डाउन की वजह से आये आर्थिक प्रभाव को देखते हुए 26 मार्च को आर्थिक राहत पैकेज का एलान किया । इसका ऐलान करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक पैकेज में कुछ ख़ास पेशकशें की।
वित्त मंत्री ने लॉकडाउन के मद्देनज़र सीधे सीधे प्रभावित गरीब और दिहाड़ी मजदूरों और गांवों में रहने वाले लोगों के लिए 1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की।
साथ ही वित्त मंत्री ने निर्माण क्षेत्र से जुड़े 3.5 करोड़ मजदूरों के लिए 31,000 हजार करोड़ रुपये के फंड के सदुपयोग के लिए राज्य सरकारों को निर्देश दिए ।
राज्य सरकारों को कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग को जारी रखने के लिए मेडिकल टेस्ट, स्क्रीनिंग और अन्य जरूरतों के लिए डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड का उपयोग करने की आजादी रहेगी । वित्त मंत्री ने कहा की कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए भी इस कोष का इस्तेमाल किया जाएगा।
इसके अलावा ऐसी कंपनियां जिनमे 100 से कम कर्मचारी काम करते हैं और जिनमे 90 फीसद कर्मचारियों का वेतन 15,000 रुपये से कम है, उसके कर्मचारियों के ईपीएफओ खाते में सरकार अगले तीन महीने तक कर्मचारी और कंपनी की तरफ से पैसे जमा करेगी । सरकार दोनों की तरफ से 12-12 प्रतिशत का योगदान करेगी। इस कदम से तकरीबन 80 लाख से ज्यादा मजदूरों को फायदा होगा।
संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए ईपीएफओ के रेगुलेशन में बदलाव किया जाएगा। अब कर्मचारी अपने प्रोविडेंट फंड खाते से 75 फीसद राशि या तीन महीने की सैलरी, जो भी राशि कम हो, की निकासी करने में सक्षम होंगे । एक बार धन निकासी करने के बाद ये पैसे उन्हें वापस नहीं करने होंगे।
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में कई लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं । इनमें डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी आदि शामिल हैं। ऐसे लोगों को राहत देने के मकसद से सरकार ने इन लोगों के लिए 50 लाख के बीमा कवर की घोषणा की है।
लॉक डाउन के दौरान राशन की समस्या से जूझ रहे 80 करोड़ गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत खाद्य राहत दी जाएगी। ऐसे लोगों को 5 किलो गेहूं या चावल पहले से मिल रहा था । नए ऐलान में अब सरकार ऐसे लोगों को 5 किलोग्राम राशन अगले तीन महीने तक मुफ्त में देगी । ऐसे लोगों को अब अपनी पसंद की 1 किलो दाल हर महीने मुफ्त बांटी जाएगी । सरकार का लक्ष्य है की कोई भी नागरिक भूखा नहीं रहेगा हर एक नागरिक को खाने के लिए राशन मुहैय्या कराया जाएगा।
वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने पैकेज में किसानों को भी राहत दी है । किसानों पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत 6000 रुपये दिए जाते हैं । नयी घोषणा में उन्हें 2,000 रुपये सीधे तौर पर दिए जाएंगे । इस फैसले से लगभग 8.69 करोड़ किसानों को इस मुश्किल वक़्त में मदद मिलेगी। ये धनराशि अप्रैल के पहले सप्ताह में किसानों के खाते में डाल दी जाएगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत काम करने वालों को पहले 182 रुपये मिलते थे । नयी घोषणा में ये रकम बढ़ाकर 200 रुपये कर दी गयी है । इससे अमूमन 5 करोड़ परिवारों को मदद मिलने की उम्मीद की जा रही है।
गरीब वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगों को भी नयी घोषणा में फायदा पहुंचाया गया है । ऐसे लोगों के खाते में तीन महीने तक 1,000 रुपये प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ या डी बी टी के जरिये भेजे जाएंगे।
जो महिलाएं जन धन योजना के तहत खता धारक है ऐसी महिलाओं के खाते में 500 रुपये की राशि डी बी टी के ज़रिये भेजी जाएगी । इससे लगभग 20 करोड़ महिलाओं को फायदा मिलेगा।
वित्त मंत्री ने सबका साथ सबका विकास के मद्देनज़र 8 करोड़ से ज्यादा गरीबी रेखा से नीचे आने वाली महिलाओं को खुश खबरी दी है । उज्जवला योजना के तहत इस मुश्किल वक़्त में ऐसी महिलाओं को में तीन महीने तक एलपीजी सिलेंडर मुफ्त में दिया जाएगा।
अपनी घोषणा में वित्त मंत्री ने 63 लाख स्वयं सहायता समूहों को 20 लाख रुपये तक का क़र्ज़ देने की बात कही है । इन समूहों को ये क़र्ज़ बिना किसी कोलैटरल के दिया जाएगा । इससे स्वयं सहायता समूहों से जुड़े करीब 7 करोड़ परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। पहले ऐसे क़र्ज़ की सीमा 10 लाख रुपये थी।
आपको बता दें की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 24 मार्च को आयकर और जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी थी।
2018-19 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि और पैन से आधार को जोड़ने के लिए आखिरी तारीख को तीन महीने बढ़ाकर अब 30 जून कर दिया गया है। इसके अलावा जीएसटी सालाना रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख को भी 31 मार्च से बढाकर जून के अंतिम सप्ताह कर दिया गया है।
कोरोना के खिलाफ केंद्र सरकार की इस मुहिम में इन आर्थिक सहूलियतों से एक नया बदलाव आने की उम्मीद की जा रही है । कोरोना के खिलाफ चलने वाली ये जंग कितनी लम्बी होगी ये कहना अभी मुश्किल है लेकिन इस ऐलान से सरकार ने समाज के हर नागरिक और खासकर पिछड़े तबके के लोगों में एक नयी उम्मीद की किरण जगाई है ।जाते जाते हम सिर्फ एक ही बात कहना चाहेंगे की कोरोना को हराना है तो घरों में रहे बाहर न निकले , सरकार के निर्देशों का पालन करें ताकि इस युद्ध को जल्द से जल्द ख़त्म किया जा सके।