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Blog / 29 Jan 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) कोरोना वायरस (Corona Virus)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) कोरोना वायरस (Corona Virus)


चीन में कोरोना वायरस से फ़ैली दहशत कम होने का नाम नहीं ले रही । अभी तक चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों का यह आंकड़ा 80 तक पहुंच चुका है। इसके अलावा दो हजार से ज्यादा लोग इसकी चपेट में अभी भी हैं। इन सब के बीच चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित शहर वुहान में पहुंच चुके हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए चीन ने वुहान सहित अपने पांच शहरों को सील कर दिया है। यहां आने-जाने वाली रेल, वायु और सड़क परिवहन समेत तमाम सेवाओं पर रोक लगा दी गई हैं। उधर, अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया है कि देश में कोरोनावायरस के पांच मामलों की पुष्टि हो चुकी है। ऐसा माना जा रहा है की ये पाँचों व्यक्ति वुहान गयेथे जहाँ से उन्हें कोरोना वायरस ने संक्रमित किया ।

DNS में आज हम जानेंगे कोरोना वायरस के बारे में साथ ही समझेंगे भारत में इसके प्रभाव के बारे में

भारत में भी कोरोना वायरस के मद्देनज़र काफी एहतियात बरता जा रहा है। देश के सभी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर बाहरी देशों से आने वाले यात्रियों और सेवा दलों की जांच की जा रही है । देश के सात हवाई अड्डों पर कोरोना वायरस संक्रमण के संबंध में रविवार तक 137 उड़ानों से आए 29,000 से अधिक यात्रियों की जांच की जा चुकी थी। लेकिन अब तक एक भी मामला सकारात्मक नहीं पाया गया। भारत की सीमा से जुड़े नेपाल में कोरोना वायरस के एक मामले की पुष्टि होने के मद्देनजर भारत ने इस पड़ोसी देश की सीमा से सटे जिलों में सतर्कता बढ़ा दी है। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के झूलाघाट और जौलजीबी में नेपाल के साथ लगती सीमा पर स्वास्थ्य दल तैनात किए गए हैं और आने जाने वाले लोगों की स्वास्थय जांच की जा रही है।

उधर, कोरोना वायरस के द्वारा फ़ैली दहशत को देखते हुए चीन स्थित भारतीय दूतावास को तीसरी हेल्पलाइन जारी करनी पड़ी है। चीन के वुहान शहर जहां सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं वहां छात्रों समेत काफी बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं। भारतीय दूतावास ने बताया कि पिछले दो दिनों में उनके पास लगभग 600 कॉल आ चुकी हैं। चीन में भारतीय दूतावास ने पहले +8618612083629 और +8618612083617 नंबर शुरू किए थे। अब नए हेल्पलाइन नंबर +8618610952903 पर भी कॉल करके मदद मांगी जा सकती है।

कोरोना वायरस के बारे में आपको बताएं तो ये विशेष प्रकार के वायरस में से एक है जिसके सामान्य लक्षणों में सर्दी लगना, सांस से सम्बंधित तकलीफें और आंत से जुडी बीमारियों के पैदा होने का खतरा आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में जारी अपने बयान में कहा है कि कोरोना वायरस बेहद नजदीकी संपर्क में रहने वाले दो इंसानों में एक से दूसरे में संक्रमित हो सकता है। मानवों पर प्रभाव डालने के अलावा कोरोना वायरस जानवरों जैसे सूअर, बिल्लियों कुत्तों और पक्षियों आदि जैसे जानवरों पर अपना असर दिखा सकते हैं। अभी तक के ज्ञात कोरोना वायरस में सबसे घातक सार्स कोरोना वायरस और मर्स कोरोना वायरस पाए गए हैं जिनसे सांस सम्बन्धी गंभीर बीमारियां पैदा हो सकती हैं।

हाल ही में पहचाने गए कोरोना वायरस का वुहान मे फैली बीमारी से कोई सम्बन्ध तो नहीं बताया जा सका है। लेकिन फिर भी ये कयास लगाए जा रहे है कि ये बीमारी चीन में साल 2002 के बाद फ़ैली सार्स महामारी से जुडी हो सकती है जिसने तकरीबन 350 लोगों की जान ले ली थी। विश्व स्वस्थ्य संगठन के मुताबिक़ इस नए वायरस के फैलने के कारणों और संक्रमण का पता लगाने के लिए अभी और तफ्तीश की ज़रुरत है। कई अलग - अलग कोरोना वायरस लोगों को संक्रमित और बीमार कर सकते हैं। आम तौर पर इसकी वजह से मामूली से औसत ऊपरी-श्वसन रोग होता है। लेकिन, कुछ कोरोना वायरस गंभीर बीमारी उत्पन्न कर सकते हैं।

कोरोना वायरस परिवार में जो संक्रमण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं उनमे मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोवी वायरस और सार्स कोरोना वायरस अहम् हैं। इसके अलावा MERS - कोवी कोरोवायरस के बारे में आपको बताएं तो ये एक घातक और उभरता हुआ RNA वायरस है। ये एक ऐसी महामारी के लिए ज़िम्मेदार है जो मध्य पूर्व से दुनिया के आठ देशों को प्रभावित करता है। 2012 में फ़ैली एक महामारी ने फ्रांस समेत दुनिया के अन्य देशों को भी अपने कब्ज़े में ले लिया था। इसके अलग सार्स-कोवी कोरोवायरस की खोज एशिया में SARS के प्रकोप के बाद 2003 में हुई थी, जिसके संक्रमण ने इसे पूरे विश्व में एक घातक महामारी का कारण बना दिया।

कोरोना वायरस अपना शिकार ज्यादातर 50 साल से कम उम्र के व्यक्तियों को बनाता है। कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने के लिए आणविक टेस्ट और सर्जरी टेस्ट का प्रयोग किया जाता है। कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है न ही इसके लिए कोई विशेष उपचार है। साबुन और पानी से अपने हाथ धोकर, अपनी आँख, नाक या मुंह ना छूकर और संक्रमित लोगों के ज्यादा करीब रहने से बचकर संक्रमण के जोखिम को घटाया जा सकता है।