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Blog / 13 Mar 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) चापचार कुट महोत्सव (Chapchar Kut Festival)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) चापचार कुट महोत्सव (Chapchar Kut Festival)



भारत के उत्तर पूर्व में मौजूद मिज़ोरम अपने सुहावने मौसम के लिए दुनिया भर में मशहूर है। ख़ूबसूरत से दिखने वाले इस राज्य को पहाड़ों की धरती भी कहा जाता है। क्यूंकि मिज़ोरम का ज़्यादातर हिस्सा पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसके अलावा मिज़ोरम अपनी संस्कृति और परम्पराओं के लिए भी मशहूर है। मिज़ोरम में रहने वाली जनजातियां पूरे साल भर रंग बिरंगे और सांस्कृतिक त्यौहार मनाती हैं।

मिजोरम में साल भर कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता रहता है। यहां रहने वाली जनजातियों के अपने अपने त्यौहार हैं। मिजोरम के कुछ ख़ास त्योहारों के बारे में बात करें तो इनमे - चपचार कूत, मीम कूत और पाल कूत जैस कुछ अहम् त्यौहार मनाये जाते हैं।इन सभी त्योहारों में सबसे ज़्यादा हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला त्यौहार है चपचार कूट।

उत्तर पूर्व के राज्य मिजोरम इस वक़्त त्यौहार के रंग में पूरी तरह से डूब जाता है जहाँ उत्तर भारत में होली की धूम रहती है तो वहीं यहाँ चपचार कूट त्यौहार पूरी धूम धाम से मनाया जाता है । मिजोरम की संस्कृति की ख़ास पहचान के रूप में मनाया जाने वाला ये त्यौहार क्या है और इसे किस वजह से मनाया जाता है इसी के बारे में जानेंगे आज के पाने DNS में।

6 मार्च से शुरू होने वाले इस त्यौहार को एक फसल के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है । साल में एक बार मनाया जाने वाला ये त्यौहार बसंत के मौके पर मनाया जाता है जब फसल काटने वाली होती है । ढोल और घंटों की आवाज़ से पूरा मिजोरम गूंजता है जब इस त्यौहार के मौके पर हज़ारों मीज़ो लोग इस रंगारंग त्यौहार को मनाने के लिए बहार निकल आते हैं।

राज्य के हर कोनो से कई जनजातियों के लोग इस मौके पर त्यौहार मनाने के लिए एक ख़ास जगह इकठ्ठा होते हैं और कूट रोरे नाम के एक ख़ास तरह के सांस्कृतिक जलसे में शामिल होते हैं।

पारम्परिक मीज़ो परिधानों जिसे यहाँ की भाषा में पुआँचें कहा जाता है में सजी हज़ारों नवयुवतियां बांस की धुनों पर नृत्य करती हुई बरबस ही पर्यटकों का मन मोह लेती हैं । इस तरह के पारम्परिक नृत्य को यहाँ की भाषा में चेराव नृत्य कहा जाता है । इस नृत्य में मीज़ो पुरुष ज़मीन पर बैठे रहते हैं और बांस को ज़मीन पर बजाते हैं जिस पर ये युवतियां नृत्य करती हैं।

इस मौके पर लोग आमतौर पर बांस के जंगलों को काटकर झूम या मौसमी खेती करते हैं । जबकि किसान कटे हुए बांस के ढेरों का धूप में सूखने का इंतज़ार करते हैं जिसके बाद उन्हें जला दिया जाता है ।इस पूरे प्रक्रम को चपचार कूट के नाम से जाना जाता है।

स्थानीय मीज़ो लोगों के मुताबिक़ चपचार कूट मिजोरम में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है । इसके अलावा ये यहाँ के लोगों का भी सबसे पसंदीदा त्यौहार है । इस त्यौहार में अलग अलग जनजातियों के लोग अपने बनाये हुए उत्पादों की भी बिक्री इस त्यौहार में कर सकते हैं।

त्यौहार में मिजोरम के कला और संस्कृति के पंडाल और पारम्परिक व्यंजन भी यहाँ आये हुए पर्यटकों की खास पसंद रहते हैं।

मिजोरम की राजधानी ऐज़ौल पूरी तरह से पहाड़ों से घिरी है और यहाँ के लोग काफी विक्सित हैं । यहाँ के लोगों की काम करने की साहिली और उनका जीवन स्तर किसी भी विदेशी मुल्क से कम नही है । यहाँ की एक दिलचस्प बात ये है की आइज़ोल में 90 फीसदी दुकाने और व्यापार यहाँ की महिलाओं द्वारा चलाया जाता है।

परिधानों का जुलूस और मीज़ो लोगों के कई पारम्परिक खेल भी इस त्यौहार का हिस्सा होते हैं।

बीते सालों में इस त्यौहार की वजह से कई घरेलू औरविदेशी पर्यटक उत्तर पूर्व के इस राज्य की और आकर्षित हुए हैं । इस तरह के त्योहारों से न सिर्फ मिजोरम की पुरानी परम्पराएं जीवित हो उठी हैं बल्कि इसके ज़रिये इन परम्पराओं को आज की पीढ़ी से भी रूबरू कराने में मदद मिली है।

मिजोरम में मनाये जाने वाले कुछ और त्योहारों की बात करें तो इनमे मीमकूत त्यौहार जिसे मक्के की खेती के बाद जुलाई या अगस्त महीने में मनाया जाता है। इस त्यौहार को भी मिज़ो लोग काफी उत्साह से मनाते है और नाचते गाते हैं। दूसरा एक अन्य त्यौहार है पालकूत जिसे दिसंबर के आखिरी हफ्ते में मनाया जाता है। पालकूत त्यौहार के पीछे मान्यता ये है कि नई फसल के घर आने और साल भर ईश्वर की कृपा से बेहतर जीवन की प्रार्थना में ये फेस्टिवल मनाया जाता है। इसके अलावा ये त्यौहार भूसे की कटाई से भी जुड़ा हुआ है।