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Blog / 15 Jun 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) बाल श्रमिक विद्या योजना (Bal Shramik Vidya Yojna)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) बाल श्रमिक विद्या योजना (Bal Shramik Vidya Yojna)



बचपन ये शब्द सुनते ही...खिलखिलाते वो दिन...मा के अंचल का सुकून और पिता की ऊँगली पकड़कर चलना...और ना जाने क्या क्या सुन्हेरे यादें याद आ जाती है....बचपन सभी बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है जो माता-पिता के प्यार और देख-रेख में सभी को मिलना चाहिए लेकिन आज कई बच्चे एक ऐसा बचपन जी रहे है...जो शायद हम कल्पना भी नही कर सकते....बाल मजदूरी, बाल श्रम जिसने आज कई बच्चों का बचपन छीन लिया है....ये गैरकानूनी काम बच्चों को बड़ों की तरह जीने पर मजबूर करता है.... इसिलए बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जगरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 12 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है...

बाल मजदूरी के कारण बच्चों के जीवन में कई सारी जरुरी चीजों की कमी हो जाती है जैसे- उचित शारीरिक वृद्धि और विकास, दिमाग का अनुपयुक्त विकास, सामाजिक और बौद्धिक रुप से अस्वास्थ्यकर आदि....ये किसी बच्चे और स्कूल के बीच की रूकावट है..... जो इन्हें समाजिक रुप से देश का खतरनाक और नुकसान दायक नागरिक बनाता है...

इस बात को समझते हुए.... अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में अनाथ, बेसहारा और गरीब बच्चों के लिए अभिभावक की तरह मदद के हाथ बढ़ाए हैं.....यूपी में बालश्रम के चलते जो बच्चे स्कूल नही जा सके.....उन्ही 8 से 18 साल के अनाथ, बेसहारा और गरीब बच्चों की मदद के लिए यूपी सरकार ने बाल श्रमिक विद्या योजना शुरू की है....

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज विश्व वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए 'बाल श्रमिक विद्या योजना 'का उद्घाटन किया..... सीएम योगी ने कहा कि 8-18 वर्षों तक के उन सभी बच्चों को जिन्हें स्कूल में होना चाहिए लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के कारण अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए बाल श्रम करना पड़ता है ऐसे बच्चों के लिए आज एक नई योजना'बाल श्रमिक विद्या योजना'उत्तर प्रदेश में प्रारंभ की जा रही है.

इस योजना के ऐलान करते हुए सीएम योगी ने कहा कि बाल श्रमिक विद्या योजना' में 8वीं,9वींऔर 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को प्रति वर्ष 6000 रु. की अतिरिक्त सहायता देने का प्रावधान भी दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि बाल श्रमिक विद्या योजना’ के प्रथम चरण में 57 जनपदों में बाल श्रम से जुड़े सर्वाधिक कामकाजी बच्चे अब तक रिकॉर्ड किए गए हैं, वहां 2,000 बच्चों का चयन कर बालकों को 1,000 रूपये व बालिकाओं को 1,200 रूपये प्रतिमाह देने की व्यवस्था के साथ यह योजना लागू हो रही है.

'बाल श्रमिक विद्या योजना की शुरुआत 2,000 बच्चों के साथ की गयी है. सीएम ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि 2,000 बच्चे इस वर्ष लाभान्वित होंगे और अगले वर्ष से हम लोगों के अटल आवासीय विद्यालय भी आगे बढ़ जाएंगे. बाल श्रमिक विद्या योजना’ ऐसी योजना है जिसमें बच्चों व उनके परिवारों के सभी प्रकार के खर्चों को उठाने का दायित्व श्रम विभाग अपने ऊपर लेने जा रहा है.

बाल श्रम निषेध दिवस इतिहास

बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने की थी। इसके बाद से हर साल 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाने लगा,...अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ, संयुक्त राष्ट्र संघ की एक शाखा है। यह संघ मजदूरों तथा श्रमिकों के हक के लिए नियम बनाती है, जिसे सख्ती से पालन किया जाता है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ कई बार पुरस्कृत भी हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने ही अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार बाल श्रम को रोकने अथवा निषेध लगाने पर बल दिया था, जिसके बाद 2002 में सर्वसम्मति से एक कानून पास कर किया गया। इस कानून के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराने को अपराध माना गया। इसी साल पहली बार बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून को मनाया गया।

भारत में बाल श्रम निषेध दिवस

भारत में बाल श्रम व्यापक स्तर पर है। यहां बाल मजदूरी के लिए बच्चों की तस्करी भी की जाती है। इस संदर्भ में केंद्र और राज्य सरकारें सराहनीय कदम उठा रही हैं। इसके लिए सबसे पहले 1986 में बालश्रम निषेध और नियमन अधिनियम पारित किया गया। इस अधिनियम के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम कराना गैर-क़ानूनी कर दिया गया। इसके साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 बच्चों को खतरनाक उद्योग और कारखानों में काम करने की अनुमति नहीं देता है। जबकि धारा 45 के अंतर्गत देश के सभी राज्यों को 14 साल से कम उम्र के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देना अनिवार्य किया गया है....आज बाल मजदूरी विकाशील देशों के लिए संकट बन चूका है... बाल मजदूरी का मुद्दा अब अंतर्राष्ट्रीय हो चुका है क्योंकि देश के विकास और वृद्धि में ये बड़े तौर पर बाधक बन चुका है। स्वस्थ बच्चे किसी भी देश के लिये उज्जवल भविष्य और शक्ति होते है अत: बाल मजदूरी बच्चे के साथ ही देश के भविष्य को भी नुकसान, खराब तथा बरबाद कर रहा है...ऐसे में न सिर्फ जागरूक होना होगा...बल्कि इसका विरोध भी जरुरी है....मदद का हाथ बढना जरुरी है...ताकि बहुत से बचपन को बचाया जा सके....