Home > DNS

Blog / 10 Apr 2019

(डेली न्यूज़ स्कैन (DNS हिंदी) सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम - अफस्पा (Armed Forces (Special Powers) Act - AFSPA)

image


(डेली न्यूज़ स्कैन (DNS हिंदी) सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम - अफस्पा (Armed Forces (Special Powers) Act - AFSPA)


मुख्य बिंदु:

दशकों से भारत के कई राज्य तनाव उग्रवाद, और आतंकवाद जैसी समस्याओं से ग्रसित रहे हैं, इन समस्याओं और हिंसा आदि से निपटने के लिए भारत के कुछ राज्यों जैसे कश्मीर एवं उत्तर-पूर्व के कुछ राज्यों में अफस्पा यानि सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून को लागू किया गया था। हाल ही में अरूणाचल प्रदेश के नौ जिलों में से तीन जिलों में इसे हटा लिए जाने पर यह फिर से चर्चा का कारण बना हुआ है। DNS की आज की कड़ी में हम जानेंगे क्या है ।AFSPA

1- अबसे करीब 61 साल पहले सन् 1958 में भारतीय संसद ने अफस्पा अधिनियम को लागू किया।

2- यह एक फौजी कानून है, जिसे ‘‘डिस्टर्ब’’ Area में लागू किया जाता है।

3- यह कानून सुरक्षा बलों को कुछ विशेषअधिकार जैसे- बिना वारंट तलाशी लेना, गिरफ्तार करना, या विशिष्ट परिस्थितियों में चेतावनी देने के बाद गोली चलाने तक का अधिकार देता है।

4- इस कानून को सबसे पहले 1 सितंबर 1958 को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड जैसे राज्यों में लगाया गया।

ऽ जानकारी के लिए आपको ये भी बता दें, कि इन राज्यों को Seven Sisters के नाम से भी जाना जाता है।

ऽ Seven Sisters में उस दौर में बढ़ती हिंसा और उग्रवाद के चलते ही अफस्पा को वहां लगाया गया था।

5- पंजाब और चंड़ीगढ़ में हो रही हिंसा के कारण कुछ समय के लिए अफस्पा को वहाँ भी लागू किया गया पर 1997 में इसे वहाँ पर समाप्त कर दिया गया।

6- जम्मू और कश्मीर में अफस्पा 1990 में लागू किया गया और तबसे यह वहाँ पर कार्यान्वित यानि Active है।

आइये अब जानते हैं, कि किसी Area को Disturb कब माना जाता है?

  • विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषा, क्षेत्रीय, समूहों, जातियों एवं समुदायों के बीच मतभेद या हिंसात्मक विवादों के कारण, राज्य या केन्द्र सरकार किसी की क्षेत्र को "Disturb" घोषित कर सकती है।

इसी क्रम में आइये जानते हैं- AFSPA की विशेषताएँ

1- राज्य या केन्द्र सरकार के पास किसी भी भारतीय क्षेत्र को "Disturb" घोषित करने का अधिकार है।

2- अधिनियम की धारा-3 के तहत, केन्द्र सरकार को किसी भी ।तमं को क्पेजनतइ घोषित करने से पहले राज्य सरकार की राय जानना जरूरी होता है, यदि ऐसा नही किया जाता है तो राज्यपाल या केन्द्र सरकार द्वारा ही इसे खारिज किया जा सकता है।

3- इसी अधिनियम के तहत राज्य या संघीय राज्य के राजयपाल को बजट की आधिकारिक सूचना जारी करने का अधिकार होता है जिसके बाद कन्द्र सरकार को नागरिकों की रक्षा के लिए सशस्त्र बलों को भेजने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।

4- (विशेष न्यायालय) अधिनियम 1976 के अनुसार, एक बार ‘‘डिस्टर्ब’’ क्षेत्र घोषित होने के बाद कम से कम 3 महीने तक वहाँ पर स्पेशल फोर्स की तैनाती रहती है।

अफस्पा के अधिकार

अफस्पा के अनुसार, जो क्षेत्र ‘‘डिस्टर्ब’’ घोषित कर दिए जाते हैं वहाँ पर सशस्त्र बलों के एक अधिकारी को निम्नलिखित शक्तियाँ दी जाती हैं-

  • चेतावनी के बाद, यदि कोई व्यक्ति कानून तोड़ता है और अशांति फैसला है, तो सशस्त्र बल के विशेष अधिकारी द्वारा आरोपी की मृत्यु हो जाने तक अपने बल का प्रयोग किया जा सकता है।
  • अफसर किसी आश्रय स्थल या ढांचे को तबाह कर सकता है जहाँ से हथियार बंद हमले का अंदेशा हो।
  • सशस्त्र बल किसी भी असंदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं। गिरफ्तारी के दौरान उनके द्वारा किसी भी तरह की शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • अफसर परिवार के किसी व्यक्ति, सम्पत्ति, हथियार या गोला-बारूद को बरामद करने के लिए बिना वारंट के घर के अंदर जा कर तलाशी ले सकता है और इसके लिए जरूरी, बल का इस्तेमाल कर सकता है।
  • एक वाहन को रोक कर या गैर-कानूनी ढंग से जहाज पर हथियार ले जाने पर उसकी तलाशी ली जा सकती है।
  • यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उसको जल्द ही पड़ोसी पुलिस स्टेशन में अपनी गिरफ्तारी के कारण के साथ उपस्थित होना होता है कि उसको क्यों गिरफ्तार किया गया।
  • सेना के अधिकारियों को उनके वैध कार्यों के लिए कानूनी प्रतिरक्षा दी जाती है।
  • सेना के पास इस अधिनियम के तहत अभियोजन पक्ष, अनुकूल या अन्य कानूनी कार्यवाही के तहत अच्छे विश्वास में काम करने वाले लोगों की रक्षा करने की शक्ति है। इसमें केवल केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर सकती है।

अफस्पा के तहत राज्य

मई 2015 में, त्रिपुरा में कानून व्यवस्था की स्थिति की संपूर्ण समीक्षा के बाद, 18, सालों के बाद अंत में अफस्पा को इस राज्य से हटा दिया गया था। निम्नलिखित राज्य अभी भी अफस्पा के दायरे में आते आते हैं-

  • असम
  • नगालैंड
  • मणिपुर (नगरपालिका क्षेत्र इंफाल को छोड़कर)
  • अरूणाचल प्रदेश (केवल तिरप, चंगलांग और लोंगडींग जिले और असम की सीमा के 20 किलोमीटर की बेल्ट तक)
  • मेघालय (असम की सीमा से 20 किलोमीटर की बेल्ट तक सीमित)
  • जम्मू और कश्मीर

अफस्पा के विरुद्ध आलोचकों का तर्क:

  • पिछले कुछ वर्षों में, अफस्पा के लागू होने के कारण बहुत सारी आलोचनाएं हुई हैं। तथ्य यह है कि इस अधिनियम के तहत कोई भी अधिकारी बिना किसी कारण के जाने ही गोलीबारी कर सकता है, इसलिए यह अधिनियम बेरहम लग रहा है।
  • 31 मार्च, 2012 को संयुक्त राष्ट्र ने भारत से कहा कि भारतीय लोकतंत्र में अफस्पा का कोई स्थान नहीं है इसलिए इसको रद्द कर दिया जाए।
  • “यूमन राइट्स वॉच ने इस अधिनियम की आलोचना की है जिसमें दुरुपयोग, भेदभाव और दमन शामिल हैं। हालांकि, जब निकटता से देखा गया, तो जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों में कमी के कोई संकेत नहीं दिखाई दिए।

अफस्पा के पक्ष में तर्क:

  • अफस्पा के बिना भारतीय सशस्त्र सेनाएं आतंकवादियों के सामने सिर झुका लेंगी।
  • भारतीय सशस्त्र बलों ने पहले से ही अपने कई कुशल अधिकारियों और पुरुषों को खो दिया है। केवल यह अधिनियम जीवन को अधिक हानि पहुंचाए बिना आतंकवाद को रोकने में मदद करने के लिए उनके पास अफस्पा नामक एक कवच है। इस अधिनियम के द्वारा आतंकवाद से होने वाली हानियों को रोका जा सकता है।