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Blog / 19 Jan 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) जीसैट 30 - भारत का सबसे ताकतवर संचार उपग्रह (GSAT 30: India's Mightiest Communication Satellite)

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(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) जीसैट 30 - भारत का सबसे ताकतवर संचार उपग्रह (GSAT 30: India's Mightiest Communication Satellite)


भारत के नए संचार उपग्रह जीसैट-30 का आज सुबह फ्रेंच गुआना के स्पेसपोर्ट से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। निर्धारित कार्यक्रम के तहत भारत के जीसैट-30 और यूटेलसैट के यूटेलसैट कॉनेक्ट को फ्रेंच गुआना के कुरु लॉन्च केंद्र से सुबह 2:35 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया। जीसैट-30 व यूटेलसैट कॉनेक्ट को प्रक्षेपण वाहन एरियन 5 वीए- 251 के ज़रिए प्रक्षेपित किया गया। 38 मिनट 25 सेकंड की उड़ान के बाद जीसैट-30 पांचवें चरण में एरियन 5 से अलग होकर जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में प्रवेश कर गया।

DNS में आज जानेंगे कि जीसैट-30 सैटलाइट क्या है? साथ ही समझेंगे कि ये भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

दूरसंचार से जुडी गतिविधियां हमारे रोज़मर्रा के कामों का हिस्सां हैं। ऐसे में दूरसंचार की इन्हीं गतिविधियों के लिए अंतरिक्ष के जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में संचार से जुडे उपग्रहों को प्रक्षेपित किय जाता है। संचार उपग्रहों के ज़रिए ही हमे टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग, बैंकिंग और ब्रॉडबैंड व टेलीफोन जैसी सुविधाएं मिल पाती हैं। इसरो लम्बे वक़्त से संचार के लिए ज़रूरी उपग्रहों को प्रक्षेपित और उनकी देखभाल करता आया है। देखा जाए तो जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में कई ऐसी संचार सैटलाइटें मौजूद हैं जिनके ज़रिए देश में दूरसंचार से जुडी गतिविधियां सुचारु रूप से चलती हैं। आपको बता दें कि जियोस्टेशनरी ऑर्बिट यानी भू-स्थिर कक्षा पृथ्वी से लगभग 36000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित होती है। भू स्थिर कक्षा में किसी उपग्रह को पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में 24 घंटे यानी पूरे 1 दिन का समय लगता है।

जीसैट-30 इसरो का एक संचार उपग्रह है। ये एक उन्नत किस्म की सैटलाइट है, जो अगले 15 सालों तक अपनी सेवाएं देश को प्रदान करेगी। इस उपग्रह में हाई पावर वाले एम्पलीफायर और नए एंटीना सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। 3357 किलोग्राम वज़न वाला जीसैट-30 उपग्रह लगभग 6 किलोवाट विद्युत ऊर्जा पैदा करेगा। जीसैट-30 के मुख्य रॉकेट इंजन में लिक्विड अपोजी मोटर को एक अलग डैक पर लगाया गया है, जो सिलिंडर की निचली रिंग से जुड़ा है। विद्युत ऊर्जा उत्प्पन करने के लिए उपग्रह के पावर सिस्टम में खुलने वाले दो तरफ़ा सौर पैनल और 180 एम्पियर ऑवर की क्षमता वाली लिथियम आयन बैट्ररी का इस्तेमाल हुआ है।

इसरो के चेयमैन के सिवन के मुताबिक़ ये काफी शक्तिशाली है और ये इन्सैट 4A उपग्रह की जगह लेगा जिसे साल 2005 में लॉन्च किया गया था। इसरो के चेयरमैन के मुताबिक ये उपग्रह इसरो के मानक I3K पर आधारित है और इसमें 12 नार्मल सी बैंड और 12 केयू बैंड ट्रांसपोंडर लगे हुए हैं। सी बैंड ट्रांसपोंडर को VSAT टर्मिनलों का इस्तेमाल करते हुए दो तरफ़ा संचार के लिए बनाया गया है। इसके ज़रिए पूर्व में ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम में यूरोप तक संचार सेवाएं उपलब्ध होंगी। इसके अलावा केयू बैंड ट्रांसपोंडर के ज़रिए पूरे भारत और देश के मुख्य द्वीपों पर सेवाएं ली जा सकती हैं। डॉ. सिवन ने यह भी बताया कि जीसैट-30 डीटीएच टेलीविज़न सेवा, एटीएम, स्टॉक-एक्सचेंज, टेलीविज़न अपलिंकिंग एवं टेलीपोर्ट सर्विसेज, डिजिटल सैटेलाइट न्यूज़ गैदरिंग (डीएसएनजी) और ई-गवर्नेंस अनुप्रयोगों के लिए वीसैट से कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इस उपग्रह का उपयोग उभरते दूरसंचार अनुप्रयोगों के लिए बड़ा डेटा ट्रांसफर करने में भी किया जाएगा।

देखा जाए तो एरियन 5 वीए- 251 के ज़रिए प्रक्षेपित वाला जीसैट-30 भारत का 24 वां उपग्रह है। इसके अलावा जीसैट-30 इसरो का साल 2020 का पहला मिशन है। इसरो के मुताबिक़ जीसैट-30 जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह भारत की टेलिकम्युनिकेशन सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद करेगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के बारे में आपको बताएं तो ये भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है। इसकी स्थापना साल 1969 में की गई थी।

इसका प्रमुख काम भारत के उपयोग के लिए विशिष्ट उपग्रहों का निर्माण करना और उपकरणों के विकास में सहायता प्रदान करना है । इसके अलावा इसरो दुनिया की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है, जोकि भारत के प्रसारण संचार, आपदा प्रबंधन उपकरण, भौगोलिक सूचना प्रणाली, मानचित्रकला, मौसम पूर्वानुमान और दूर चिकित्सा संबंधी उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित करने का काम करती है । ये एजेंसी प्रौद्योगिकी क्षमता को बढ़ाने के अलावा देश में विज्ञान और विज्ञान की शिक्षा के प्रसार में भी सहयोग करती है । इसके अलावा एरियनस्पेस 1980 में स्थापित विश्व की पहली commercial sateelite launch कंपनी है जो कि दूसरे देशों के सैटेलाइट्स को प्रक्षेपित करने का काम करती है।