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Blog / 08 Mar 2019

(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) मंदिर स्थापत्य वेसर शैली (Temple Architecture: Vesara Style)

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(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) मंदिर स्थापत्य वेसर शैली (Temple Architecture: Vesara Style)


मुख्य बिंदु:

  • यह शैली भारतीय मंदिर निर्माण की तीन प्रमुख शैलियों में से एक है।
  • इस शैली का सर्वाधिक विकास दक्कन क्षेत्र में हुआ।
  • मध्य भारत में विंध्य क्षेत्र से लेकर कृष्णा नदी के बीच में बसे ये मंदिर अपनी अदभुत कलाकृतियों के लिये जाने जाते हैं।
  • टपनी अद्भुत बनावट के कारण ये मंदिर हमेशा से ही इतिहासकारों के बीच चर्चा का विषय बने रहते हैं।
  • टलग-2 इतिहासकार इन्हें अलग-अलग नामों से पुकारते हैं।
  • कुछ इतिहासकार इन्हें बेसर शैली के मंदिर, तो कुछ, बदामी चालुक्य शैली तथा कुछ होयसला शैली के मंदिरों के नाम से भी सम्बोधित करते हैं।
  • इतिहासकार इस शैली को मिश्रित शैली या Hybrid style के नाम से भी पुकारते हैं।
  • इन मंदिरों का निर्माण द्रविड़ शैली व नागर शैली दोनों के मिश्रण से हुआ।

हमारे आज के Art & Culture Section के इस Video में हम बेसर शैली तथा इसके कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में चर्चा करेंगे-

  • बेसर शैली के विकास का श्रेय मुख्यतयः चालुक्यों व होयसला शासकों को जाता है।
  • चालुक्य शासकों ने उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मंदिरों की खास विशेषताओं को मिलाकर एक अलग पहचान वाली तीसरी कला का विकास करवाया।
  • बेसर शैली में शिखर का नागर शैली तरह मण्डप को द्रविण शैली के अनुसार बनाया गया है।
  • और इन दोनों को अन्तराल के द्वारा जोड़ा गया है।
  • इसी कलाकृति को आगे बढ़ाते हुए होयसाला शासकों ने इस शैली में कई सोर परिवर्तन भी किए।
  • वेसर शैली के मंदिर, मुलायम व कठोर पत्थरों के मिश्रण से बने हैं।
  • जिसके कारण इनमें नक्काशी का कार्य बड़ी सावधानी से किया गया है।
  • नागर और द्रविड़ शैली की तुलना में इन मंदिरों की ऊँचाई अपेक्षाकृत कम है।
  • इन मंदिरों का निर्माण सातवीं से आठवीं शताब्दी के बीच में शुरू हुआ जो कि 12वीं शताब्दी तक चला।
  • वेसर शैली के प्रमुख मंदिरों में ऐहोल को मंदिर, बेलूर का द्वार समुद्र मंदिर, सोमनाथपुरम का मंदिर, एलोरा का कैलाशनाथ मंदिर आदि प्रमुख है।
  • कर्नाटक के पट्टा दक्कल के मंदिरों को UNESCO ने World Heritage Site में भी शामिल किया है।
  • वेसर शैली के कुछ मंदिर खराब रखरखाव व देखरेख के कारण अपनी चमक खो चुके हैं व कुछ क्षतिग्रस्त भी हो चुके है।
  • हजारों वर्षों का इतिहास अपने आप में संजोये ये मंदिर बहुत सारे शासकों व राजाओं के गवाह भी हैं।
  • प्राचीन भारत के ये अद्भुत नमूने आप भी पर्यटन का प्रमुख केन्द्र है।
  • सिर्फ देश के ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों का भी मन मोह लेने की क्षमता आज भी इन मंदिरों में जीवित है।
  • यही कारण है कि इन मंदिरों की वजह से आज भी हजारों लोगों को रोजगार मिलता है और उनकी रोजी रोटी भी चलती है।
  • इन्ही मंदिरों में से एक है, कर्नाटक का लद्खान मंदिर जो भगवान शिव को समर्पित है और अपनी चपटी छत के लिये प्रसिद्ध है।
  • यह अपनी तरह का इकलौता ऐसा मंदिर है जिसकी आकृति लकड़ी के मंदिर की तरह प्रतीत होती है।
  • Archaeological Survey of India व संबंधित सरकारों के प्रयास से अब इनको पुनः जीवंत किया जा रहा है।
  • वेसर शैली के इन मंदिरों व प्राचीन धरोहरों के रखरखाव, के लिये सरकार अब PPP यह Public Private Partnership Project पर भी विचार कर रही है।