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Blog / 05 Sep 2019

(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) : भारतीय मूर्ति और चित्रकला: सिंधु कालीन चित्रकला (Sculpture and Painting: Indus Valley Painting)

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(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) : भारतीय मूर्ति और चित्रकला: सिंधु कालीन चित्रकला (Sculpture and Painting: Indus Valley Painting)


परिचय

जैसा कि हमने अपने अभी तक के चित्रकला से सम्बन्धित वीडियो में चर्चा की। कि चित्रकला को मनुष्य के विकास के प्राथमिक चरण से जोड़कर देखा जाता है मनुष्य की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं की अगर बात करें तो सिन्धु घाटी सभ्यता का स्थान अहम रूप से आता है और सिन्धु घाटी की सभ्यता में पेंटिंगस से जुड़े कई अहम साक्ष्य मिलते है हमारे आज के Art & Culture Seires के इस वीडियो में हम सिन्धु घाटी सभ्यता की चित्रकला के बारे में चर्चा करेंगे। तथा इससे जुड़े कुछ अन्य तथ्यों को भी जानेंगे-

सिन्धु घाटी की चित्रकला

सैन्धव चित्रकला के साक्ष्य विभिन्न सैन्धव स्थलों के उत्खनन से प्राप्त मुहरों और मृदभांडों पर उत्कीर्ण चित्रें से मिलते हैं। सैन्धव लोग मृदभांडों को अलांकृत करने के लिए चित्रें से सजाते थे। मृदभांडों पर पशु-पक्षी, मानवाकृतियां के अलावा ज्यामितीय चित्र भी मिलते हैं। कुछ बर्तनों को रेखाओं, कोणों तथा वृत्तों से अलंकृत किया गया है। इनसे ये पता चलता है कि उन्हें ज्यामितीय विधि तथा रंगों का ज्ञान था। साथ ही वे उन्नत कलाकार व शिल्पकार थे और प्रौद्योगिकी में भी दक्ष थे।

सैन्धव कला के अंतर्गत मुद्राओं या मुहरों का विशिष्ट स्थान है। ये विश्व की महान कलाकृतियों में अपना स्थान रखती हैं। मुहरों पर मनुष्य, पशु, वृक्ष आदि की आकृतियाँ उत्कीर्ण हैं। पशुओं में एक वृषभ, गैंडा, बाघ, भैंसा, हिरन, हाथी, बकरा, खरगोश आदि उल्लेखनीय हैं। मुहरों पर उत्कीर्ण आकृतियाँ तत्कालीन सामाजिक-धार्मिक विश्वासों की ओर संकेत करती हैं।

एक मुहर पर अंकित वृषभ की आकृति अत्यन्त प्रशंसनीय है, जिसमें उसे ढूमा मारने की मुद्रा में दिखाया गया है। उसकी फैली हुई सींगों, झूलते हुए गलकम्बल, लोटती हुई ढाँट (खोपड़ी), तने हुए मांसपेशियों के लेवड़े आदि आज भी अद्भुत प्रतीत होते हैं। ‘पशुपति विश्व’ की एक मुहर मोहनजोदड़ो से मिली है। इसमें त्रिमुखी शिव को एक चौकी पर पद्मासन की मुद्रा छाप के अग्रभाग में छः मानव आकृतियाँ एक पंक्ति में बनी हैं, नीचे हाथ में हंसिया लिये एक झुकी हुई आकृति है, उसके सामने पीपल के पेड़ के नीचे एक बकरा है। सैंधव मृद्भाण्ड मुख्यतया लाल या गुलाबी रंग के हैं। कुछ को लाल रंग से पोतकर काली रेखाओं से चित्र बनाये गए हैं। कुछ बर्तनों पर विविध पशु-पक्षियों तथा वनस्पतियों जैसे - बकरा, हिरन, मोर, मछली, कछुआ, गाय-बछड़ा, मुर्गा, पीपल, खजूर, नीम, केला आदि का अंकन सुन्दरतापूर्वक किया गया है। हड़प्पा से प्राप्त बर्तन के एक टुकड़े पर बने एक चित्र में कोई मछुआ अपने कन्धों पर दो जालों की बहंगी उठाये हुए चल रहा।