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Blog / 04 Jun 2019

(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) : भारतीय नृत्य शैली - कथकली (Indian Dance Forms: Kathakali)

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(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) : भारतीय नृत्य शैली - कथकली (Indian Dance Forms: Kathakali)


मुख्य बिंदु:

  • कथकली भारतीय शास्त्रीय नृत्य विधा का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण नृत्य है।
  • इस नृत्य को कहानी नुमा प्रदर्शित किया जाता है यानि हर नृत्य के पीछे कोई न कोई कहानी अवश्य होती है।
  • यह नृत्य दक्षिण भारत के केरल राज्य में अधिक प्रचलित है और वहाँ पर इसकी लोकप्रियता भी काफी है।
  • अन्य भारतीय शास्त्रीय संगीतों की तरह की कथकली में भी शरीर की विभिन्न मुद्राओं, हाँ और पैरों के बेहतरीन उपयोग से, कहानी से विभिन्न चरणों को बखूबी प्रदर्शित किया जाता है।
  • इस नृत्य में संगीत और गायन का भी महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।
  • कथकली के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह नृत्य कुट्टीयट्टम, कृष्नट्टम और भारत की सबसे प्राचीन Martial art कलरीपयट्टू से ही उत्पन्न हुआ है।
  • कथकली में भिारतीय पौराणिक कथाओं को ही नृत्य रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
  • शाम के वक्त जब सूरज ढ़लने लगता है तो मंदिर के प्रांगण में ढलते हुए सूरज के साथ ही नगाड़ो या Drums जिसे केलिकोट्टू कहते हैं, की आवाज
  • कला के लिहाज से कथकली एक बेहतरीन प्रस्तुति होती है जिसमें, भाव, संगीत, नृत्य, नाटक के अलावा रेंगों का प्रयोग भी अनूठे तरह से होता है।

कथकली को इसके प्रस्तुतीकरण के हिसाब से चार भागों में बाँटा गया है-

  • पहला भाग है कलासम यह कथकली का सबसे Common part होता है जिसे लगभग सभी तरह की performance में प्रयोग किया जाता है।
  • दूसरा भाग होता है इरात्ती जिसमें युद्ध से जुड़ी कला व नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है।
  • तोन्करम, यह भाग भी इरात्ती की ही तरह होता है परन्तु इसमें संगीत अलग होता है।
  • नालमिरत्ती इस भाग का प्रयोग एक chapter को दूसरे chapter से जोड़ने में होता है।

आइये अब जानते हैं कथकली के सौंदर्य यानि (Make up) के बारे में-

  • कथकली में Makeup को वेशम कहा जाता है वेशम के कई प्रकार होते हैं जो पात्र के अनुसार या अभिनय कर्ता के Role के अनुसार होते हैं जैसे पच, काठी, ठाड़ी, कारी और मिनुक्कू पच जिसमें चेहरे पर हरा रंग Paint किया जाता है और हरा रंग श्रेष्ठ नायकों को दर्शाने के लिये होता है जैसे- विष्णु, शिव आदि काठी वेशम राक्षस के अभिनय को दर्शाता है।
  • काड़ी वेशम तीन प्रकार का होता है जिसमें सफेद ठाड़ी या White beard, Super humans या बंदर आदि प्रजाति के नायक चरित्रें के लिये होता है जैसे- हनुमान।
  • लाल ठाड़ी या दाढ़ी दुष्ट चरित्र को दर्शाने के लिय होता है।
  • और काली ठाड़ी शिकारी प्रजाति, या जनजाति के चरित्र को दर्शाने के लिये प्रयोग किया जाता है।
  • कारी वेशम, महिला दुष्ट चरित्रें को दर्शाता है जैसे सुर्पणखा।
  • तथा अन्तिम चरित्र होता है मिलिक्कू वेशम जिसमें साधु या किसी महिला के चरित्र को दर्शाया जाता है।
  • कथकली में इन सभी रंगों के माध्यम से हम चरित्र की पहचान करते हैं।
  • कथकली की शुरूआत केलिकोट्टू से की जाती है।
  • इस नृत्य के प्रमुख कलाकार, कलामण्डलम मुरली, कलामण्डलम गोपी, गुरू राघवन नायर, के- वंकिट, के- शंकरनासयन और पद्मनामन आदि हैं।