Home > Art-and-Culture

Blog / 23 Apr 2019

(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) दिल्ली सल्तनत स्थापत्य कला (Architecture of Sultanate Period)

image


(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) दिल्ली सल्तनत स्थापत्य कला (Architecture of Sultanate Period)


मुख्य बिंदु:

  • दिल्ली सल्तनत में स्थापत्य कला की शुरूआत कुतुबुद्दीन ऐबक के शासनकाल से शुरू हुई।
  • सन् 1191 से लेकर 1557 के बीच इस कला में बहुत सारी इमारतें बनवाई गई। दिल्ली सल्तनत के प्रमुख वंशों जैसे - गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सईयद वंश और लोदी वेश ने इस कला के फलने फूलने में अपना-अपना योगदान दिया।
  • शुरूआती इस्लामिक ईमारतें तो हिन्दू मंदिरों को तोड़कर बनाई गई पर उसके बाद धीरे-धीरे इस कला ने अपने पैर जमा लिये और बाद की इमारतें Indo-Islamic Architecture में नये तरीके से बनाई जाने लगी।
  • इन इमारतों में हिन्दू मंदिरों की खूबियों के साथ-साथ इस्लामिक कला का एक खास मिश्रण था जो पूरे plan के साथ, मजबूत ढंग से बनाया जाता था।
  • ऐबक ने अपना सबसे पहला काम किला राय पिथौरा में करवाया जो दिल्ली के सबसे पुराने शहरों में से एक है, ऐबक ने इस किले में पत्थरों को चुनवाकर एक स्मारक का निर्माण करवाया।
  • किला राय पिथौरा को पृथ्वी राज चौहान ने बनाया था।
  • कुव्वत्-उल-इस्लाम मस्जिद को भारत में सबसे पुरानी मस्जिद माना जाता है जिसके पिलर हिन्दू मंदिरों से मेल खाते हैं वहीं इसकी दीवारों पर सुन्दर नक्काशी और लेख, अरबी तरीके से लिखे गये हैं।
  • कुतुब-उद्दीन-ऐबक ने सन् 1192 में कुतुब-मीनार का निर्माण भी शुरू करवाया, हालांकि वह इसके निर्माण कार्य को पूरा नहीं कर सका, और बचा हुआ निर्माण कार्य इल्तुतमिश द्वारा 1230 में पूरा करवाया गया।
  • कुतुब मीनार का निर्माण, भारत में इस्लाम के प्रवेश की यादगार के तौर पर करवाया गया था, यह एक प्रकार का Victory tower था जिसमें कुछ सुन्दर अभिलेखों को उकेरा भी गया था।
  • कुतुब मीनार की कुल ऊँचाई 72.5 मीटर है और इसमें चढ़ने के लिये लगभग 379 सीढि़याँ बनाई गई है।
  • ऐबक के ही शासन काल में अढ़ाई दिन का झोपड़ा नामक एक और Monument का निर्माण करवाया गया जो राजस्थान के अजमेर में स्थित है। जिसे बाद में एक मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था।
  • ऐबक की मृत्यु के बाद समसुद्दीन इल्तुतमिश गद्दी पर बैठा और उसने कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को और बड़ा करवाया।
  • उसके व उसके बेटे के नाम पर दो कब्रों का निर्माण इसीकाल में करवाया गया जिसमें से एक यानि Iltutmish tomb कुतुब मीनार के पास ही स्थित है।
  • दिल्ली सल्तनत का यह सिलसिला आगे बढ़ता गया और फिर खिलजी वंश के अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली के दूसरे शहर सिरी को स्थापित करवाया।
  • उसने कुतुबमीनार के पास ही अलाई दरवाजे का निर्माण करवाया और एक पानी का विशाल कुंड भी बनवाया जिसे हौज-ए-खास कहा जाता है।
  • अलाई दरवाजे को बहुत ही सुन्दर तरीके से बनया गया था इसी के माध्यम से लोग कुतुब मीनार की मस्जिद में प्रवेश करते थे।
  • इसी क्रम में तुगलक वंश के शासक गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के तीसरे शहर तुगलका बाद का निर्माण करवाया।
  • गयासुद्दीन तुगलक की कब्र लाल बलुआ पत्थर से बनी। यह एक पंचभुजीय संरचना में बनी है जिसका आकार बहुत की अनियमित है। इसके ऊपर के भाग में हिन्दू मंदिरों की ही तरह कलश व आमलक का निर्माण किया गया है।
  • फिरोज शाह तुगलक ने दिल्ली के चौथे शहर फिरोजाबाद का निर्माण करवाया, फिरोजशाह को तुगलक वंश के सबसे बड़े निर्माता के रूप में जाना जाता है, और इसका गवाह है दिल्ली का फिरोजशाह कोटला मैदान।
  • यही नहीं फिरोजशाह तुगलक को कुछ अन्य शहरों के निर्माण का श्रेय भी जाता है। जैसे- जौनपुर, फतेहाबाद और हिसार।
  • मध्यकालीन शासकों को नये-नये स्थानों पर नये शहरों के निर्माण के लिये जाना जाता है। इन शहरों में आज भी मध्यकालीन संरचनाएँ व इमारतें मौजूद है।
  • मध्यकालीन शासक पहले से मौजूद Buildings का रखरखाव कम करते थे बल्कि उनकी जगह नई इमारतें ज्यादा बनाते थे और बनाई गई हर इमारत पर अपनी अलग छाप छोड़ना नहीं भूलते थे। लेकिन फिरोजशाह तुगलक ने बड़े पैमाने पर पहले से मौजूद इमारतों की मरम्मत करवाई जिसमें कुतुबमीनार भी शामिल था।
  • लगभग 14वीं शताब्दी के आते-आते इन इमारतों में एक प्रमुख बदलाव आया, अब पुराने व सकरे Arch यानि चाप नुमा दरवाजों को बड़े Arch से replace कर दिया गया था और यह कला सीधे Persia से ली गई थी।
  • लेकिन भारतीय Architect इसकी मजबूती को लेकर संशय में थे तो Support के लिये उन्होंने लकड़ी की मोटी बीमों को दरवाजों के पास लगा दिया था। और इस तरह से एक और नई संरचना सामने आई।
  • इसी कड़ी में लोदी वंश के दौरान दोहरी गुम्बदों का प्रचलन हो गया था जिन्हें एक के ऊपर एक करके बनाया जाता था।
  • मुबारक सय्यद और सिकन्दर लोदी की कब्रें इसी तरह से बनाई गई हैं जिसमें अष्टभुजीय संरचना के ऊपर दोहरी गुम्बद यानि Double Dome का निर्माण किया गया है।
  • वहीं बड़ा गुम्बद, छोटा खान का गुम्बद और बड़ा खान का गुम्बद का निर्माण वर्गाकार Double dome गुम्बद के रूप में किया गया है।
  • आधुनिक दिल्ली शहर जो आज हमारी राजधानी है वह ऐसे ही कई पुराने शहरों के मेल से बना है जिन्हें मध्यकाल में अलग-2 जगहों पर बसाया गया था।