Home > Art-and-Culture

Blog / 19 Mar 2019

(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) गान्धार कला (Architecture: Gandhara Style)

image


(Video) भारतीय कला एवं संस्कृति (Indian Art & Culture) गान्धार कला (Architecture: Gandhara Style)


मुख्य बिंदु:

  • धर्म Follower के हिसाब से दुनिया का चैथा सबसे बड़ा धर्म है।
  • इस धर्म के अनुयायियों की संख्या लगभग 500 मिलियन के आसपास हैं।
  • यह धर्म Christianity से लगभग 500 वर्ष पहले आया था शुरुआत में तो इसके प्रचार प्रसार के लिये कुछ भिक्षु ही सक्रिय थे।
  • जो भारतीय उपमहाद्वीप के अलग अलग कोनों में घूम-घूम कर बुद्ध के द्वारा दी गयी शिक्षा को फैलाते थे।
  • यह शिक्षा या मार्ग इतना बेहतरीन था कि जहाँ से भी भिक्षु निकले, लोग इनके आकर्षक व्यक्तित्व से प्रभावित होते चले गये।
  • धीरे-धीरे करके यह शिक्षा इतना फैल गयी कि एक समय इसने हिंदु धर्म को चुनौती देना शुरु कर दिया।
  • लगभग 326 ई. पू. सिकन्दर अपनी विजय यात्रा का रथ लेकर मध्य एशिया को रौदता हुआ भारत के गुहाने तक आ पहुचा।
  • सिकंदर ने भारत की सीमा में प्रवेश किया और उसका युद्ध अभ्यास राजा पोरस के साथ हुआ, सिकंदर विजयी हुआ पर भारत में प्रवेश करने का इरादा उसने छोड़ दिया।
  • अब उसके वापस लौटने के पीछे की सच्चाई क्या थी यह तो इतिहासकार सही से नहीं बता पाये पर इतना जरुर था कि सिकंदर के साथ आई संस्कृति, उसकी कलाकृतियाँ और बहुत सी प्रथाएं वह भारत के मुहाने पर छोड़ा गया।
  • यह क्षेत्र उस समय गान्धार के नाम से जाना जाता था जो अब अफगानिस्तान व पाकिस्तान का भाग है।
  • इसी घटना के बाद भारत में मौर्य सामा्रज्य की नींव जिसने भारत को कई बेहतरीन शासक व भारतीयता की सोंच दी, और टुकड़ों में बटे भागों को अखण्ड भारत का सपना दिखाया।
  • अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिये भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी दूत भेजे।
  • यह बौद्ध भिक्षु जब गान्धार क्षेत्र में गये तो इनका संगम हुआ रोम और ग्रीक की बेहतरीन कारीगरी के साथ, जो सिकंदर के साथ भारत के उत्तर पश्चिमी छोर पर आयी थी।
  • ग्रीक सभ्यता के साथ बौद्धों का संगम सिर्फ विचारात्मक नहीं था बल्कि कला व संस्कृति का भी था। और यहीं से जन्म हुआ कला की एक अद्भुत प्रचीन शैली का जिसे गान्धार शैली कहा जाता है।
  • ग्रीको और रोमनों की स्थापत्य कला बहुत विकसित थी जिसने बुद्ध धर्म पर एक विशेष छाप छोड़ी।
  • बात चाहे मूर्तिकला की हो या की या फिर भवन निर्माण की ग्रीक सभ्यता का असर हर जगह दिखाई देता है।
  • आज भी अफगानिस्तान में गान्धार शैली के प्रमाण मौजूद है पर उनमें से अधिकतर टूटे-फूटे हुए है 21वीं शताब्दी के शुरु होने से पहले तालिबान जैसे संगठनो ने इस शैली के बहुत नुकसान पहुचाया और अधिकतर मूर्तियाँ व बौद्ध धामों को तोड़ दिया।
  • इस शैली में बनाई गयी बुद्ध की मूर्तियाँ बेहद सुडौल है। जिसमें चेहरे के भावों को स्पष्ट रुप से दिखाया गया है।
  • इस क्षेत्र के आस-पास रहने वाली जनसंख्या जिसने हाल ही में बौद्ध धर्म अपनाया था, वह अपने को भगवान को देखना चाहती थी, उन्हें महसूस करना चाहती थी।
  • इसी कारण इस क्षेत्र में बुद्ध की बहुत सी मूर्तियाँ व मंदिर बनाये जो कि गी्रक व भारतीय स्थापत्य का मिश्रण थे।
  • इन मूर्तियों में ग्रीकों की शारीरिक बनावट तो थी पर शान्तचित्तता व भावभंगिमा भारतीय थी। ध्यान मुद्रा में बैठे व खडे़ बुद्ध की हजारों मूर्तियाँ आज भी खंड़हरों में दफन है।
  • समय के साथ कई राजवंशों का धर्म चाहे जो भी रहा हो पर सबने इस कला को संरक्षण प्रदान किया फिर चाहे वह शक हो या कुषाण।
  • कनिष्क ने अपने शासन काल में इस कला पर विशेष जोर दिया और इसके प्रचार-प्रसार व संरक्षण का भी कार्य किया।
  • इस कला का मुख्य फोकस बोधिसत्व की सुंदर मूर्तियों पर रहा। कई मूर्तियों तो एसी मिली है जिसमें बुद्ध के अगल-बगल गी्रक देवताओं को दर्शाया गया है
  • तक्षशिला यह नाम अपने आप में किसी परिचय का मोहताज नहीं, प्रचीन भारत के सबसे विकसित शहरों मे एक शहर, कई प्रचीन धरोहरों का गवाह है।
  • तक्षशिला को सिर्फ बौद्ध स्थापत्य कला के लिये ही नहीं बल्कि एक प्रचीन विश्वविद्यालय के लिये भी जाना जाता है।
  • 1980 में UNESCO ने तक्षशिला को World Heritage Site में भी शामिल किया।
  • तक्षशिला में आज भी सैकड़ों की संख्या में बौद्ध भिक्षु प्रतिवर्ष आते है, और उन्हें यहाँ खींच कर लाता है तक्षशिला मे बना प्रचीन धर्मराजिका स्तूप जो बौद्धों के लिये आस्था का बड़ा प्रतीक है।
  • कभी कला व संस्कृति के लिहाज़ से बहुत धनी रहा यह क्षेत्र अब वीरान हो चुका है, इस क्षेत्र में पर्यटकों का आनाजाना कम ही होता है पर पूरी दुनिया के बड़े बड़े आज भी भारी संख्या Researchers में यहाँ आते है।
  • वे आज भी इसी कोशिश में रहते है कि इतने प्रचीन खंडहरों से कैसे उसी हरी भरी संस्कृति की छवि दुनिया के सामने रखी जाए।