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Blog / 31 Jul 2025

अमेरिका ने द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) को आतंकी संगठन घोषित किया

सन्दर्भ:
हाल ही में अमेरिका के विदेश विभाग ने पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) को विदेशी आतंकी संगठन (FTO) और वैश्विक आतंकी (SDGT) घोषित किया है।
यह फैसला 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद आया है, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए। यह हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।

अमेरिका की कार्रवाई के मुख्य बिंदु:

1. TRF को विदेशी आतंकी संगठन (FTO) और वैश्विक आतंकी SDGT घोषित करना
• TRF को अब अमेरिका के इमिग्रेशन और नेशनलिटी एक्ट की धारा 219 के तहत विदेशी आतंकी संगठन और एग्जीक्यूटिव ऑर्डर 13224 के तहत वैश्विक आतंकी घोषित किया गया है।
इस घोषणा से:

  • TRF की अमेरिका में मौजूद सभी संपत्तियां जब्त की जाएंगी
  • अमेरिकी नागरिक TRF से कोई लेन-देन नहीं कर पाएंगे
  • TRF को किसी भी तरह की सहायता देना अपराध माना जाएगा

2. LeT की स्थिति की पुनः पुष्टि
अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की आतंकी संगठन की स्थिति को फिर से दोहराया है और साफ किया है कि TRF LeT की ही शाखा है।

TRF के बारे में-

• TRF की स्थापना अक्टूबर 2019 में हुई थी, जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा (अनुच्छेद 370) हटाया था।
• TRF को LeT का ही एक नया रूप माना जाता है, जिसे पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय दबाव, खासकर FATF की निगरानी से बचने के लिए तैयार किया।
भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अनुसार TRF कमांडर शेख सज्जाद गुल इस साल के पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था।
द रेसिस्टेंस फ्रंट  ने पिछले कुछ वर्षों में कई हमलों की जिम्मेदारी ली है, खासकर भारतीय सुरक्षा बलों पर।

भारत-अमेरिका संबंधों पर प्रभाव:

सुरक्षा साझेदारी में मजबूती: यह कदम भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को और गहरा करता है।
भारत के रुख को वैश्विक समर्थन: इससे भारत के उस रुख को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलता है जिसमें वह पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है।
भारत अब संयुक्त राष्ट्र, FATF और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर इस समर्थन का उपयोग कर सकता है।

निष्कर्ष-

द रेसिस्टेंस फ्रंट  को आतंकी संगठन घोषित करना आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक अहम कदम है। भारत की सुरक्षा के लिए यह निर्णय बेहद महत्वपूर्ण है।
अब भारत को चाहिए कि वह अपने आतंकरोधी ढांचे को और मजबूत करे और राजनयिक प्रयासों से पाकिस्तान जैसे देशों पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाए रखे, जो आतंकवाद को पनाह देते हैं।