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Blog / 28 Aug 2025

अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया

संदर्भ:

27 अगस्त 2025 को अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% आयात शुल्क (टैरिफ़) लगा दिया। इससे प्रमुख भारतीय निर्यातों पर कुल शुल्क बढ़कर 50% हो गया है। अमेरिका ने यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए उठाया है, क्योंकि भारत लगातार रूसी कच्चा तेल बड़ी मात्रा में खरीद रहा है। यह फैसला अमेरिका-भारत के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव को और गहरा करता है। एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन टैरिफ़ के चलते अमेरिका की जीडीपी वृद्धि दर में 40–50 बेसिस प्वाइंट्स (bps) यानी 0.40–0.50% की गिरावट आ सकती है और महंगाई (Inflation) का दबाव और भी बढ़ सकता है।

एसबीआई रिपोर्ट की मुख्य बातें:

·         अमेरिकी जीडीपी वृद्धि आधी हुई: 2024 की पहली छमाही में जहाँ अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2.5% की दर से बढ़ रही थी, वहीं 2025 की पहली छमाही में यह घटकर केवल 1.2% रह गई। यह वही समय है जब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के शुरुआती पाँच महीनों में टैरिफ़ में बड़ी बढ़ोतरी की गई।

·         महंगाई में तेज उछाल: जुलाई 2025 में अमेरिकी महंगाई दर (इन्फ्लेशन) बढ़कर 2.7% तक पहुँच गई, जो जून की तुलना में 202 आधार अंक (bps) अधिक है। यह वृद्धि मुख्य रूप से टैरिफ़ से बढ़ी लागत और कमजोर अमेरिकी डॉलर की वजह से हुई।

·         2026 तक लक्ष्य से ऊपर महंगाई रहने की सम्भावना: इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं जैसे क्षेत्रों में दामों में सबसे अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

·         व्यापार पर असर: अनुमान है कि लगभग 45 अरब डॉलर मूल्य का भारतीय निर्यात अब 50% शुल्क के दायरे में आ जाएगा।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर असर:

1.        जीडीपी पर दबाव:

o    टैरिफ़ से बढ़ी लागत के कारण अमेरिकी जीडीपी इस वित्त वर्ष में 40–50 आधार अंक घट सकती है।

o    जनवरी से जून 2025 के बीच आर्थिक वृद्धि पहले ही घटकर 1.2% रह गई है।

2.      महंगाई में बढ़ोत्तरी:

o    आयातित वस्तुएँ महंगी होने से उपभोक्ता कीमतें और ज्यादा बढ़ रही हैं।

o    खासकर फर्नीचर, कपड़े और प्रोसेस्ड सामान जैसे सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

o    उत्पादक मूल्य सूचकांक (Producer Price Index) में पिछले तीन सालों में सबसे तेज उछाल देखा गया।

3.      रोज़गार और नीतिगत दुविधा:

o    अमेरिकी केंद्रीय बैंक (Federal Reserve) के सामने कठिनाई है महंगाई काबू करे या नौकरियों की सुरक्षा।

o    फेड चेयर जेरोम पॉवेल ने माना है कि टैरिफ़ का असर अब साफ़ तौर पर दामों में दिखने लगा है।

Trump's 50% tariffs kick in today, export of textiles, gems and jewellery  worst hit | Business News - The Indian Express

भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर:

1.        प्रमुख निर्यात क्षेत्र प्रभावित:

o    टेक्सटाइल और परिधान (Textiles & Apparel): 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार देता है, जीडीपी में 2.3% योगदान करता है और अमेरिका को भारी मात्रा में निर्यात होता है। अब इसकी बढ़ती हिस्सेदारी पर खतरा है।

o    रत्न और आभूषण (Gems & Jewellery): भारत हर वर्ष लगभग 28.5 अरब डॉलर के  रत्न और आभूषण निर्यात करता है, जिसमें से एक-तिहाई अमेरिका जाता है। अब लगभग 10 अरब डॉलर के व्यापार पर जोखिम है।

o    सीफूड (झींगा): भारत के झींगे का 50% से ज्यादा निर्यातन अमेरिका में होता है। ऊँचे टैरिफ़ से इसमें कमी हो सकती है और भारत की जगह इक्वाडोर जैसे प्रतिस्पर्धियों को बाज़ार में हिस्सेदारी मिल सकती है।

2.      व्यापार अधिशेष पर खतरा:

o    भारत का अमेरिका के साथ वित्त वर्ष 2025 में 41 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष था। लेकिन अब 45 अरब डॉलर के निर्यात पर भारी शुल्क लगने से यह अधिशेष घाटे में बदल सकता है, जब तक कि भारत नए बाजारों और व्यापारिक समझौतों की तलाश नहीं करता।

निष्कर्ष:

हालिया टैरिफ़ वृद्धि एक तरह का पारंपरिक व्यापार युद्ध है, जिसमें किसी भी पक्ष को तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। अमेरिका भले ही भारत पर राजनीतिक और भू-रणनीतिक दबाव डालना चाहता हो, लेकिन इस कदम से उसकी अपनी अर्थव्यवस्था पर महंगाई, जीडीपी में गिरावट और नीतिगत अस्थिरता जैसी चुनौतियाँ और गहरी हो गई हैं। भारत के लिए यह स्थिति विशेष रूप से श्रम-प्रधान क्षेत्रों (जैसे वस्त्र, आभूषण) और एमएसएमई के लिए गंभीर झटका है। भविष्य में दोनों देशों को अपनी व्यापारिक रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना होगा। भारत के लिए आवश्यक है कि वह अपने निर्यात बाज़ारों का विविधीकरण करे, उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाए और वैकल्पिक अर्थव्यवस्थाओं के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को और मजबूत बनाए।