संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्र सरकार की बैठक में भारत के जहाज़ निर्माण को सशक्त बनाने और विदेशी जहाज़ों पर निर्भरता कम करने के लिए ₹69,725 करोड़ के व्यापक पैकेज को मंजूरी दी गई। यह कदम भारत को एक मजबूत समुद्री शक्ति को पुनः स्थापित करने की सरकार की योजना का हिस्सा है।
पैकेज के मुख्य घटक:
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पैकेज के पीछे तर्क:
· भारत का समुद्री क्षेत्र अपने व्यापार का लगभग 95% मात्रा और 70% मूल्य संभालता है।
· ऐतिहासिक रूप से, भारतीय जहाज़ निर्माण यार्ड का वैश्विक जहाज़ निर्माण में हिस्सा बहुत कम (~0.07%) रहा है और देश विदेशी जहाज़ों पर काफी निर्भर रहा है।
· ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में रणनीतिक, आर्थिक और आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता सुनिश्चित करने की जरूरत के कारण सरकार ने यह साहसिक कदम उठाया।
अपेक्षित परिणाम और लक्ष्य:
· 4.5 मिलियन ग्रॉस टन (GT) की जहाज़ निर्माण क्षमता का सृजन।
· समय के साथ लगभग 30 लाख (3 मिलियन) रोजगार के अवसर।
· भारत के समुद्री क्षेत्र में लगभग ₹4.5 लाख करोड़ का निवेश आकर्षित करना।
· योजना अवधि में 2,500 से अधिक जहाज़ों का निर्माण।
रणनीतिक महत्व:
· भारत के "मेक इन इंडिया" अभियान को मजबूत करना और महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों के लिए विदेशी जहाज़ यार्डों तथा विदेशी फ्लैग/विदेशी जहाज़ों पर निर्भरता कम करना।
· राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता को बढ़ाना, और जहाज़ निर्माण में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना।
· आर्थिक बहुप्रभाव पैदा करना: अपस्ट्रीम उद्योग (जैसे स्टील, इंजन, इलेक्ट्रॉनिक्स), डाउनस्ट्रीम सेवाएँ (जैसे मरम्मत और रखरखाव), और क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करना।
निष्कर्ष:
₹69,725 करोड़ का यह पैकेज भारत को वैश्विक जहाज़ निर्माण शक्ति बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण नीति प्रदान करता है। यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो यह आर्थिक, रणनीतिक और रोजगार संबंधी महत्वपूर्ण लाभ दे सकता है। इसकी सफलता मुख्य रूप से इसके कार्यान्वयन, सुधारों की संगति और मांग उत्पन्न करने की क्षमता पर निर्भर करेगी।