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Blog / 08 Aug 2025

आरबीआई ने रेपो दर को 5.5% पर रखा स्थिर

संदर्भ:

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने अपनी हालिया बैठक में सर्वसम्मति से रेपो दर को 5.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। मौद्रिक नीति का रुख तटस्थ (Neutral) बना रहेगा।

·        इस निर्णय का उद्देश्य वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारत में मूल्य स्थिरता (Price Stability) बनाए रखना और साथ ही आर्थिक विकास (Economic Growth) को प्रोत्साहित करना है।

बैठक की मुख्य विशेषताएँ:

·        रेपो दर: 5.5% पर स्थिर रखी गई है।

·        जीडीपी वृद्धि अनुमान: मजबूत घरेलू मांग और सरकारी व्यय में वृद्धि के आधार पर वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5% पर स्थिर

·        सीपीआई मुद्रास्फीति अनुमान: खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट और कृषि उत्पादन में सुधार को देखते हुए 3.7% से घटाकर 3.1% किया गया।

·        मौद्रिक नीति का रुख: तटस्थ (Neutral) रखा गया है, जो बदलती व्यापक आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार समायोजन की लचीलापन प्रदान करता है।

निर्णय के पीछे तर्क:

·        सौम्य मुद्रास्फीति दृष्टिकोण: अच्छे मानसून और आपूर्ति-पक्ष उपायों के समर्थन से, जून 2025 में सीपीआई मुद्रास्फीति 77 महीने के निचले स्तर 2.1% पर आ गई

·        स्थिर कोर मुद्रास्फीति: कोर मुद्रास्फीति 4.4% के आसपास मध्यम बनी हुई है, जिसके लिए तत्काल सख्ती की आवश्यकता नहीं है

·        वैश्विक अनिश्चितता: चल रहे भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार नीति में बदलाव और वित्तीय बाजार में अस्थिरता भारत की बाहरी अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम पैदा करती है

·        घरेलू लचीलापन: इन बाहरी जोखिमों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत घरेलू खपत, निवेश और सरकारी व्यय के कारण स्थिरता और लचीलापन प्रदर्शित कर रही है।

आर्थिक निहितार्थ:

     ऋण एवं उपभोग: स्थिर ब्याज दरें, विशेष रूप से त्योहारी सीज़न के दौरान, उधार लेने को प्रोत्साहित कर सकती हैं, जिससे उपभोग और व्यावसायिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

     आवास क्षेत्र: गृह ऋण की दरें किफायती रहने की संभावना है, जिससे रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्रों को मदद मिलेगी।

     निवेशकों का विश्वास:  सतर्क और डेटा-आधारित मौद्रिक नीति बाजारों में विश्वास बनाए रखती है और व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करती है।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के बारे में:

·        मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) एक छह सदस्यीय निकाय है जो भारत की ब्याज दरें निर्धारित करने के लिए ज़िम्मेदार है। इसमें आरबीआई के तीन अधिकारी और सरकार द्वारा नामित तीन बाहरी सदस्य शामिल हैं। आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता में, निर्णय बहुमत से लिए जाते हैं, जिसमें गवर्नर के पास निर्णायक मत होता है।

·        संशोधित आरबीआई अधिनियम के तहत 2016 में स्थापित, एमपीसी मौद्रिक नीति में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है। इसका वर्तमान अधिदेश मार्च 2026 तक 4% मुद्रास्फीति (±2%) बनाए रखना है।

·        कम से कम तिमाही बैठक करने वाली इस एमपीसी को आरबीआई के मौद्रिक नीति विभाग का समर्थन प्राप्त है और यह प्रत्येक बैठक के बाद अपने नीतिगत निर्णय प्रकाशित करती है। इसने पहले के सलाहकार मॉडल का स्थान लिया है।

निष्कर्ष:

रेपो दर को 5.5% पर बनाए रखने का निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक की एक सतर्क किंतु संतुलित नीति का संकेतक है। इसका उद्देश्य मुद्रास्फीति को लक्षित दायरे में रखते हुए आर्थिक विकास को समर्थन देना है। वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू अर्थव्यवस्था की लचीलापन के बीच, मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने स्थिरता को प्राथमिकता दी है, जो भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद में विश्वास को दर्शाता है। साथ ही, यह भविष्य में आँकड़ों पर आधारित लचीले समायोजन  की संभावनाओं को भी दर्शाता है