संदर्भ:
9 अप्रैल 2025 को, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की घोषणा की, जिससे रेपो रेट 6% हो गई। इसके साथ ही, आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति का रुख " तटस्थ"(Neutral) से बदलकर "अनुकूल" (Accommodative) कर दिया, जो भविष्य में और दरों में कटौती की संभावना को दर्शाता है।
रेपो रेट के बारे में:
- रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से ऋण लेते हैं। यह देश की समग्र ब्याज दरों को तय करने में मदद करती है।
- रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक अपना अतिरिक्त पैसा आरबीआई में जमा करते हैं और इस पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है।
- वर्तमान में रेपो रेट 6% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% है।
- जब आरबीआई रेपो रेट को कम करता है, तो बैंकों के लिए सस्ता कर्ज लेना संभव होता है। इससे वे ऋण पर ब्याज दरें कम कर सकते हैं, जिससे व्यापारियों और आम लोगों के लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाता है।
- वहीं दूसरी ओर, जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है, तो ऋण महंगे हो जाते हैं। इससे उधारी में कमी आती है और महंगाई पर नियंत्रण करने में मदद मिलती है।
रेपो रेट घटाने के पीछे कारण:
आरबीआई का रेपो रेट घटाने का फैसला वैश्विक और घरेलू आर्थिक कारणों से प्रभावित है।
1. वैश्विक अनिश्चितता: अमेरिका द्वारा ट्रंप प्रशासन के तहत लगाए गए पारस्परिक शुल्क (reciprocal tariffs) के कारण वैश्विक बाजारों में अस्थिरता उत्पन्न हुई है।