सन्दर्भ:
हाल ही में भारत की सरकारी रक्षा कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और फ्रांस की सैफ्रान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेन्स (SED) ने भारत में हैमर (HAMMER - Highly Agile Modular Munition Extended Range) स्मार्ट, सटीक-निर्देशित एयर-टू-ग्राउंड हथियार के निर्माण के लिए एक संयुक्त उद्यम सहयोग समझौते (JVCA) पर हस्ताक्षर किए हैं।
हैमर प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ:
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- मॉड्यूलर डिज़ाइन: इसमें 250 किग्रा, 500 किग्रा और 1000 किग्रा तक के अलग-अलग वारहेड लगाए जा सकते हैं।
- लगभग 70 किमी की रेंज: जिससे यह लॉन्ग-स्टैंडऑफ क्षमता प्रदान करता है।
- हर मौसम में सक्षम: यह “जैमिंग” के प्रति मजबूत है और कम ऊँचाई से या कठिन इलाके से भी दागा जा सकता है।
- अत्यधिक सटीक और युद्ध-परीक्षित: GPS/INS, इन्फ्रारेड जैसी विभिन्न गाइडेंस प्रणालियों को सपोर्ट करता है।
- कई प्लेटफॉर्म के अनुकूल: जैसे फ्रांस का राफेल और भारत का तेजस लड़ाकू विमान।
- मॉड्यूलर डिज़ाइन: इसमें 250 किग्रा, 500 किग्रा और 1000 किग्रा तक के अलग-अलग वारहेड लगाए जा सकते हैं।
संयुक्त उद्यम की संरचना और उद्देश्य:
· यह भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और फ्रांस की सैफ्रान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेन्स (SED) के बीच 50:50 का संयुक्त उद्यम (JV) है।
· यह संयुक्त उद्यम केवल HAMMER का उत्पादन ही नहीं करेगा, बल्कि इसके कस्टमाइज़ेशन, आपूर्ति (सप्लाई) और रखरखाव (मेंटेनेंस) से जुड़ी सभी जिम्मेदारियाँ भी निभाएगा।
· चरणबद्ध स्थानीयकरण योजना: उत्पादन में स्थानीय सामग्री का उपयोग धीरे-धीरे बढ़ाकर लगभग 60% तक इंडिजेनाइजेशन किया जाएगा, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, सब-असेंबली और मैकेनिकल हिस्सों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा।
· अंतिम असेंबली, परीक्षण और गुणवत्ता सुनिश्चित करने (क्वालिटी एश्योरेंस) की मुख्य जिम्मेदारी BEL पर होगी।
भारत की रक्षा क्षमता के लिए महत्व:
· यह संयुक्त उद्यम (JV) भारत के रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है जहाँ भारत अब केवल हथियारों का बड़ा आयातक नहीं, बल्कि उन्नत हथियारों का निर्माता और संभावित निर्यातक बनने की दिशा में बढ़ रहा है।
· यह परियोजना भारत की विविधीकृत रक्षा खरीद नीति को भी मजबूत करती है, जिसमें रूस और अमेरिका जैसे पारंपरिक साझेदारों के साथ-साथ यूरोपीय देशों, विशेषकर फ्रांस, के साथ उच्च-स्तरीय तकनीकी सहयोग पर जोर दिया जा रहा है।
· भारत में हैमर का स्थानीय उत्पादन शुरू होने से राफेल और तेजस जैसे लड़ाकू विमानों की प्रहार (strike) क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जो भविष्य के किसी भी उच्च तीव्रता वाले संघर्ष में भारत की वायु शक्ति को बड़ा सामरिक लाभ प्रदान करेगी।
भारत–फ्रांस रक्षा संबंध:
भारत और फ्रांस के बीच मजबूत रक्षा साझेदारी है, जिसमें सैन्य हार्डवेयर, तकनीकी हस्तांतरण, संयुक्त अभ्यास और सामरिक सहयोग शामिल है।
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- भारत फ्रांस से 26 राफेल-M नौसैनिक लड़ाकू विमान खरीद रहा है, जिसमें तकनीकी हस्तांतरण और स्थानीय उत्पादन सुविधाएँ शामिल हैं।
- पनडुब्बी निर्माण में भी सहयोग है जिसमें P-75 स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट, जिसमें फ्रांस ने टेक ट्रांसफर देकर मज़गांव डॉकयार्ड की क्षमता बढ़ाई।
- भारत फ्रांस से 26 राफेल-M नौसैनिक लड़ाकू विमान खरीद रहा है, जिसमें तकनीकी हस्तांतरण और स्थानीय उत्पादन सुविधाएँ शामिल हैं।
मुख्य संयुक्त सैन्य अभ्यास:
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- वरुण — भारत और फ्रांस की नौसेनाओं के बीच।
- शक्ति — दोनों देशों की सेनाओं के बीच।
- गरुड़ — भारतीय वायु सेना और फ्रेंच एयर एंड स्पेस फोर्स के बीच हवाई अभ्यास।
- वरुण — भारत और फ्रांस की नौसेनाओं के बीच।
निष्कर्ष:
हैमर एयर-टू-ग्राउंड हथियारों का भारत-फ्रांस संयुक्त उत्पादन, भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भारत की औद्योगिक क्षमता बढ़ाता है, प्रिसिजन-स्ट्राइक शक्ति को मजबूत करता है और दोनों देशों के संबंधों को खरीदार-विक्रेता से आगे बढ़ाकर सह-उत्पादन साझेदारी में परिवर्तित करता है। हालाँकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि तकनीकी हस्तांतरण कितना प्रभावी है, स्थानीयकरण का स्तर कितना ऊँचा होता है और उत्पादन क्षमता कितनी तेजी से बढ़ाई जा सकती है।

