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Blog / 07 Nov 2025

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्” की 150वीं वर्षगांठ समारोह का उद्घाटन किया – Dhyeya IAS

संदर्भ:

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रीय गीत, "वंदे मातरम" के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक वर्ष तक चलने वाले समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर, स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया गया।

सरकार की पहल:

    • सरकार वंदे मातरम के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जागरूकता फैलाएगी।
    • गायन कार्यक्रमों, प्रदर्शनियों और शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से जन भागीदारी को प्रोत्साहित करने वाले कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे।
    • गीत में निहित एकता, भक्ति और निस्वार्थ सेवा के मूल्यों को सुदृढ़ किया जाएगा।

National Song “Vande Mataram”

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

    • वंदे मातरम गीत की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी ने 1875 में की थी और यह पहली बार 1882 में प्रकाशित उनके प्रसिद्ध बंगाली उपन्यास आनंदमठ में प्रकाशित हुआ था।
    • यह गीत भारत माता को एक दिव्य और शक्तिशाली व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करता है, जो शक्ति, समृद्धि और आध्यात्मिक भक्ति का प्रतीक है।
    • इसे पहली बार रवींद्रनाथ टैगोर ने 1896 में कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में सार्वजनिक रूप से गाया था।

स्वतंत्रता आंदोलन में महत्व और भूमिका:

    • वंदे मातरम भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक नारा बन गया और राष्ट्रीय गौरव और एकता का प्रतीक बन गया।
    • इसे पहली बार 7 अगस्त, 1905 को बंगाल में विभाजन-विरोधी आंदोलन के दौरान एक राजनीतिक नारे के रूप में इस्तेमाल किया गया था और जल्द ही यह स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक प्रेरणादायी गान बन गया।

संवैधानिक मान्यता:

    • वंदे मातरम को 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा द्वारा भारत के राष्ट्रगीत के रूप में अपनाया गया था।
    • वंदे मातरम को राष्ट्रगान के समान संवैधानिक विशेषाधिकार प्राप्त नहीं हैं, जो नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों के अंतर्गत संरक्षित है।

निष्कर्ष:

वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का उत्सव है, जो नागरिकों को उन आदर्शों की याद दिलाता है जिन्होंने राष्ट्र के स्वतंत्रता संग्राम का मार्गदर्शन किया।