संदर्भ:
हाल ही में 23–24 दिसंबर 2025 को विशाखापट्टनम में दो दिवसीय पेसा महोत्सव का आयोजन किया गया। यह महोत्सव प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को पेसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा) के लागू होने की स्मृति में मनाया जाता है। इस अधिनियम का उद्देश्य पाँचवीं अनुसूची क्षेत्रों में निवास करने वाले जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाना तथा शासन प्रणाली के केंद्र में ग्राम सभा को स्थापित करना है।
पेसा महोत्सव 2025 की प्रमुख विशेषताएँ:
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- सभी दस पेसा राज्यों “आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना” के जनजातीय समुदायों ने इस महोत्सव में भाग लिया।
- महोत्सव में जनजातीय खेल, हस्तशिल्प, भोजन, कला, नृत्य और परंपराओं का प्रदर्शन किया गया, जिससे भारत की स्वदेशी सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर मिला।
- युवाओं की भागीदारी और नेतृत्व को प्रोत्साहित करने के लिए कबड्डी, तीरंदाजी, पेसा रन और अन्य जनजातीय पारंपरिक खेल आयोजित किए गए।
- पेसा महोत्सव की प्रतीकात्मक जिम्मेदारी, अर्थात बटन (Baton), औपचारिक रूप से अगले मेजबान राज्य छत्तीसगढ़ को सौंपा गया।
- झारखंड ने अपने पेसा नियमों के प्रारूप को मंजूरी दी, जिससे यह दस में से नौवां राज्य बन गया, जिसने पेसा नियमों की औपचारिक अधिसूचना की दिशा में कदम बढ़ाया।
- सभी दस पेसा राज्यों “आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना” के जनजातीय समुदायों ने इस महोत्सव में भाग लिया।
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महोत्सव में प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम:
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- इस महोत्सव में भारत की जनजातीय विविधता को दर्शाने वाले रंगारंग सांस्कृतिक प्रदर्शन देखने को मिले, जिनमें शामिल थे:
- कुचिपुड़ी (आंध्र प्रदेश)
- गुस्सादी (तेलंगाना)
- गवरी (राजस्थान)
- धेमसा (ओडिशा)
- महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश के लोकनृत्य
- कुचिपुड़ी (आंध्र प्रदेश)
- इस महोत्सव में भारत की जनजातीय विविधता को दर्शाने वाले रंगारंग सांस्कृतिक प्रदर्शन देखने को मिले, जिनमें शामिल थे:
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पेसा अधिनियम, 1996: पृष्ठभूमि और संवैधानिक आधार:
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- अधिनियम लागू: 24 दिसंबर 1996
- भूरिया समिति (1995) की सिफारिशों पर आधारित
- संवैधानिक आधार: यह संविधान के अनुच्छेद 243M को लागू करता है और भाग IX (पंचायती राज) को पाँचवीं अनुसूची क्षेत्रों तक आवश्यक संशोधनों के साथ विस्तारित करता है।
- अधिनियम लागू: 24 दिसंबर 1996
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पेसा के उद्देश्य:
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- जनजातीय समुदायों के लिए स्वशासन सुनिश्चित करना।
- जनजातीय रीति-रिवाजों, संस्कृति, परंपराओं और पहचान का संरक्षण करना।
- भूमि, जल, वन और प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकारों की रक्षा करना।
- सहभागी लोकतंत्र को बढ़ावा देना, जिसमें ग्राम सभा को निर्णय-निर्माण की मूल इकाई बनाया गया है।
- जनजातीय समुदायों के लिए स्वशासन सुनिश्चित करना।
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सशक्त संस्था: ग्राम सभा:
पेसा के तहत ग्राम सभा केवल सलाह देने वाली संस्था नहीं है, बल्कि एक निर्णायक और शक्तिशाली वैधानिक संस्था है, जिसे व्यापक अधिकार प्राप्त हैं।
ग्राम सभा के प्रमुख अधिकार:
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- संसाधन प्रबंधन
- लघु वनोपज (Minor Forest Produce) पर स्वामित्व और नियंत्रण।
- ग्राम बाजारों, जल स्रोतों, लघु खनिजों और भूमि संसाधनों का प्रबंधन।
- लघु वनोपज (Minor Forest Produce) पर स्वामित्व और नियंत्रण।
- भूमि संरक्षण
- भूमि के अवैध हस्तांतरण को रोकना।
- अवैध रूप से छीनी गई भूमि की पुनः बहाली।
- भूमि अधिग्रहण और विकास परियोजनाओं में अनिवार्य परामर्श या सहमति सुनिश्चित करना।
- भूमि के अवैध हस्तांतरण को रोकना।
- विकास से संबंधित अधिकार
- विकास योजनाओं और परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करना।
- सरकारी योजनाओं को लागू करने वाली संस्थाओं और कर्मियों पर निगरानी और नियंत्रण।
- विकास योजनाओं और परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करना।
- सामाजिक नियंत्रण
- नशीले पदार्थों की बिक्री और सेवन को नियंत्रित या प्रतिबंधित करने का अधिकार।
- नशीले पदार्थों की बिक्री और सेवन को नियंत्रित या प्रतिबंधित करने का अधिकार।
- सांस्कृतिक स्वायत्तता
- पारंपरिक रीति-रिवाजों, विवाद निपटान प्रणालियों और स्वदेशी शासन पद्धतियों की मान्यता और संरक्षण।
- पारंपरिक रीति-रिवाजों, विवाद निपटान प्रणालियों और स्वदेशी शासन पद्धतियों की मान्यता और संरक्षण।
- संसाधन प्रबंधन
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पेसा के क्रियान्वयन में चुनौतियाँ:
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- हालाँकि पेसा का ढांचा प्रगतिशील और सशक्त है, इसके प्रभावी क्रियान्वयन में अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
- राज्यों द्वारा पेसा का आंशिक या विलंबित कार्यान्वयन।
- ग्राम सभाओं को दिए जाने वाले अधिकारों की अस्पष्टता।
- अपर्याप्त वित्तीय और प्रशासनिक समर्थन।
- जनजातीय समुदायों में अपने वैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूकता की कमी
- राज्यों द्वारा पेसा का आंशिक या विलंबित कार्यान्वयन।
- हालाँकि पेसा का ढांचा प्रगतिशील और सशक्त है, इसके प्रभावी क्रियान्वयन में अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
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निष्कर्ष:
पेसा महोत्सव 2025 ने यह स्पष्ट किया कि अनुसूचित क्षेत्रों में सच्चा विकास तभी संभव है जब ग्राम सभाएँ सशक्त हों, संस्कृति का सम्मान किया जाए और निर्णय समुदाय के नेतृत्व में लिए जाएँ। शासन सुधारों को सांस्कृतिक उत्सव से जोड़कर पेसा भारत की उस संवैधानिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो समावेशी, सहभागी और जमीनी लोकतंत्र पर आधारित है। विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, सामाजिक न्याय, जनजातीय स्वायत्तता और सतत विकास को प्राप्त करने के लिए पेसा अधिनियम का प्रभावी और ईमानदार क्रियान्वयन अत्यंत आवश्यक है।

