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Blog / 24 Oct 2025

‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (Per Drop More Crop) योजना

सन्दर्भ:

हाल ही में भारत सरकार ने प्रति बूंद अधिक फसल’ (PDMC) योजना के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है। यह पहल प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) का एक प्रमुख घटक है, जिसका उद्देश्य कृषि में जल के कुशल उपयोग को बढ़ावा देना है, विशेषकर ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों के माध्यम से।

योजना में किए गए प्रमुख संशोधन:

1.        राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अधिक लचीलापन:
पहले, सूक्ष्म स्तर पर जल भंडारण और संरक्षण परियोजनाओं के लिए आवंटित धनराशि की सीमा प्रत्येक राज्य के कुल आवंटन का 20% और पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर व लद्दाख जैसे केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 40% तक सीमित थी।
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्थानीय आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के आधार पर इन सीमाओं से अधिक खर्च करने की लचीलापन (flexibility) प्रदान की गई है।

2.      सूक्ष्म स्तर पर जल प्रबंधन पर जोर:
संशोधित दिशा-निर्देशों में किसानों और समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप जल-संग्रह प्रणालियों औरडिग्गियों’ (छोटे जल भंडारण ढाँचे) के निर्माण को प्रोत्साहित किया गया है।

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प्रति बूंद अधिक फसल’ (PDMC) योजना के बारे में:

प्रति बूंद अधिक फसलयोजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) का एक घटक है। इसे वर्ष 2015 में आरंभ किया गया था, जिसका उद्देश्य कृषि में ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के उपयोग के माध्यम से जल उपयोग दक्षता (water use efficiency) को सुधारना है।

PDMC योजना के उद्देश्य:

    • जल के कुशल उपयोग को बढ़ावा देना:
      सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों को अपनाने के माध्यम से कृषि में जल के उपयोग का अनुकूलन किया जाता है, जिससे जल की बर्बादी घटती है और फसलों को आवश्यक नमी मिलती है।
    • किसानों की आय में वृद्धि:
      जल प्रबंधन की दक्षता से बेहतर फसल उत्पादन और इनपुट लागत में कमी होती है, जिससे किसानों की आय में सीधी वृद्धि होती है।
    • कृषि उत्पादकता में सुधार:
      यह योजना आधुनिक सिंचाई तकनीकों को अपनाने को प्रोत्साहित करती है, जिससे अधिक स्थायी और उच्च गुणवत्ता वाला फसल उत्पादन संभव होता है।

PDMC योजना का प्रभाव:

    • प्रति बूंद अधिक फसलयोजना ने भारत में कृषि पद्धतियों को रूपांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राज्यों को अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप जल संरक्षण परियोजनाएँ तैयार करने की स्वायत्तता देकर, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि हस्तक्षेप अधिक प्रभावी और टिकाऊ हों।
    • सूक्ष्म सिंचाई पर जोर देने से न केवल जल संरक्षण संभव हुआ है, बल्कि किसानों को नई तकनीकों और ज्ञान से सशक्त भी किया गया है। इसके परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र अधिक सुदृढ़ और किसानों की आजीविका अधिक स्थिर हुई है।

निष्कर्ष:

PDMC योजना में किए गए सुधार भारत में सतत कृषि (sustainable agriculture) की दिशा में एक रणनीतिक कदम हैं।
जल के कुशल उपयोग और राज्यों को स्थानीय समाधान लागू करने की स्वतंत्रता देकर, सरकार एक अधिक उत्पादक और जल-संवेदनशील कृषि भविष्य की नींव रख रही है।