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Blog / 12 Dec 2025

प्लास्टिक प्रदूषण पर रिपोर्ट

संदर्भ:

प्यू चैरिटेबल ट्रस्ट (Pew Charitable Trusts) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यदि वैश्विक स्तर पर मजबूत कदम नहीं उठाए गए, तो 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण दोगुने से भी अधिक बढ़कर 280 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष तक पहुँच जाएगा। यह स्थिति इतनी गंभीर होगी कि हर एक सेकंड में एक कचरा ट्रक जितना प्लास्टिक समुद्र या पर्यावरण में फेंका जायेगा।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:

    • 2025 में लगभग 130 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक पर्यावरण में को प्रभावित कर रहा है और यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो 2040 तक यह बढ़कर 280 मिलियन मीट्रिक टन हो जाएगा।
    • प्लास्टिक उत्पादन, विशेषकर पैकेजिंग और वस्त्रों में कचरा प्रबंधन प्रणालियों की क्षमता से कहीं अधिक तेज़ी से बढ़ रहा है।
    • माइक्रोप्लास्टिक्स अब कुल प्रदूषण का लगभग 13% हैं, जिनके मुख्य स्रोत में “टायरों का घिसना, पेंट, कृषि संबंधी गतिविधियाँ तथा रीसाइक्लिंग प्रक्रियाएँ शामिल हैं।
    • प्लास्टिक से होने वाला ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 58% बढ़कर 4.2 गीगाटन COe प्रति वर्ष तक पहुँच सकता है, जो लगभग एक अरब पेट्रोल कारों के वार्षिक उत्सर्जन के बराबर है।
    • प्लास्टिक और उससे जुड़े जहरीले रसायनों के कारण स्वास्थ्य जोखिम बढ़ेंगे 2025 में अनुमानित 5.6 मिलियन स्वस्थ जीवनवर्ष का नुकसान, जो 2040 में बढ़कर 9.8 मिलियन तक हो सकता है।
    • 2040 तक प्लास्टिक उत्पादन में 52% की वृद्धि का अनुमान है, जबकि कचरा प्रबंधन क्षमता केवल 26% बढ़ेग, इससे पर्यावरणीय प्रदूषण और आर्थिक भार दोनों बढ़ेंगे।
    • कचरा प्रबंधन पर वैश्विक खर्च बढ़कर 140 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच सकता है, जबकि बिना संग्रहित प्लास्टिक कचरे का हिस्सा 19% से बढ़कर 34% हो सकता है।

Plastic Pollution

सिफारिश किए गए उपाय:
यदि उपाय प्रभावी ढंग से लागू किए जाएँ, तो 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण 83% तक कम किया जा सकता है।

A. प्लास्टिक उत्पादन कम करना
• 2040 तक उत्पादन में 44% कमी संभव।
अनावश्यक सिंगलयूज़ प्लास्टिक (SUP) को समाप्त करना।
रीफिल और पुन: उपयोग (Reuse) प्रणाली को बढ़ावा देना।

B. रसायनों और उत्पादों का पुनःडिज़ाइन
कम और सुरक्षित रसायनों का उपयोग।
पुन: उपयोग और रीसाइक्लिंग के लिए सर्कुलर डिज़ाइन अपनाना।

C. कचरा प्रबंधन का विस्तार
बेहतर पृथक्करण और संग्रहण।
अनौपचारिक कचरा अलग करने वालों को शामिल करना।
स्थानीय स्तर पर रीसाइक्लिंग ढाँचे में निवेश।

D. आपूर्ति श्रृंखला की पारदर्शिता बढ़ाना
प्लास्टिक प्रवाह, एडिटिव्स और माइक्रोप्लास्टिक्स की अनिवार्य ट्रैकिंग।

प्लास्टिक प्रदूषण के कारण और विस्तार:

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विवरण

A. बड़े पैमाने पर उत्पादन और खपत

·        दुनिया भर में प्लास्टिक का प्रोडक्शन लगातार बढ़ रहा है।

·        सस्ते कच्चे माल और ज़्यादा उपयोगिता से प्रेरित।

B. सिंगल-यूज़ प्लास्टिक (SUPs)

·        बैग, बोतलें, कटलरी और पैकेजिंग कचरे के मुख्य कारण हैं।

·        यह एक “फेंक दो और नया ले लो” संस्कृति को बढ़ावा देते हैं।

C. अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन

·        भारत में हर वर्ष लगभग ~9.3 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है।

·        इसका अधिकतम हिस्सा इकट्ठा नहीं किया जाता और खुलेआम फेंक दिया जाता है।

·        खराब सेग्रीगेशन और कमज़ोर इंफ्रास्ट्रक्चर ज़्यादा एनवायर्नमेंटल लीकेज।

D. गैर-जैवनिम्नीकरणीयता

·        प्लास्टिक सैकड़ों वर्षों तक बना रहता है।

·        माइक्रोप्लास्टिक्स (<5 मिमी) और नैनोप्लास्टिक्स में टूट जाते हैं - हटाना बेहद मुश्किल होता है।

प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव:

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विवरण

A. पर्यावरण क्षति

·        समुद्री जीवन: निगलना, उलझना, आवास का नष्ट होना।

·        ज़मीनी क्षेत्र: नालियों के चोक होने से शहरी बाढ़।

·        प्लास्टिक आक्रामक प्रजातियों को फैलने में मदद करते हैं।

·        ग्रीनहाउस गैसों द्वारा जलवायु परिवर्तन को तेज़ करते हैं।

बी. मानव स्वास्थ्य

        BPA, phthalates जैसे जहरीले रसायन हार्मोनल गड़बड़ी, कैंसर और प्रजनन समस्याओं से जुड़े हैं।

        मनुष्यों के खून, फेफड़ों और प्लेसेंटा में माइक्रोप्लास्टिक पाए जा चुके हैं।

C. आर्थिक नुकसान

·        टूरिज्म, मछली पालन और खेती पर असर पड़ता है।

·        सफ़ाई का खर्च अधिक आता है।

·        रीसाइक्लिंग योग्य मूल्यवान सामग्री का नुकसान।

भारत की नीतियाँ और नियामक ढाँचा:

·        प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (PWM) नियम 2016 और इसके संशोधन

o   कैरी बैग की न्यूनतम मोटाई 120 माइक्रोन निर्धारित की गई है।

o   2022 से कई प्रकार के सिंगल-यूज़ प्लास्टिक (SUP) उत्पादों पर पूरे देश में प्रतिबंध लागू है।

o   विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) के तहत उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों को अपनी प्लास्टिक पैकेजिंग को वापस लेकर उसका पुनर्चक्रण (recycling) या सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करना अनिवार्य है।

·        सहायक पहलें:

o   स्वच्छ भारत मिशन के तहत सफाई, कचरा प्रबंधन और प्लास्टिक-मुक्ति को बढ़ावा।

o   इंडिया प्लास्टिक्स पैक्ट, उद्योग द्वारा संचालित एक सर्कुलर इकॉनमी पहल, जिसका उद्देश्य प्लास्टिक पैकेजिंग को अधिक टिकाऊ और रीसायकल योग्य बनाना है।

o   सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे का उपयोग, जिससे कचरे का उपयोगात्मक मूल्य बढ़ता है और सड़कें अधिक टिकाऊ बनती हैं।

o   नागरिकों में जागरूकता बढ़ाने और घर-स्तर पर कचरे के पृथक्करण को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न अभियान।

निष्कर्ष:

प्लास्टिक प्रदूषण तेजी से एक गंभीर वैश्विक पर्यावरणीय, स्वास्थ्य और आर्थिक संकट का रूप ले रहा है। रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि यदि समय पर व्यापक और समन्वित कदम नहीं उठाए गए, तो 2040 तक प्लास्टिक कचरा दोगुने से भी अधिक बढ़कर प्राकृतिक पारितंत्रों और मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन जाएगा। इस स्थिति से निपटने के लिए भारत सहित पूरी दुनिया को प्लास्टिक उत्पादन कम करने, सामग्रियों और उत्पादों का पुनःडिज़ाइन करने, कचरा प्रबंधन को सुदृढ़ बनाने तथा सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने जैसे बहु-स्तरीय उपाय अपनाने होंगे, ताकि प्लास्टिक प्रदूषण टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्रगति को बाधित न कर सके।