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Blog / 25 Jul 2025

राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025

संदर्भ:

24 जुलाई 2025 को केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य भारत में खेल प्रशासन की संरचना और नियमों में व्यापक सुधार करना है। इसका मकसद बीसीसीआई जैसे प्रमुख खेल संगठनों को एक कानूनी ढांचे के अंतर्गत लाना है, ताकि पारदर्शिता, जवाबदेही और द्रुत विवाद निपटान की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।

विधेयक का महत्व:
अब तक भारत में खेलों के लिए जो नियामक ढांचा था, वह केवल कार्यकारी दिशा-निर्देशों (जैसे 2011 का नेशनल स्पोर्ट्स कोड) पर आधारित था,
जिसमें वैधानिक प्राधिकार का अभाव था।

कई राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) में निम्नलिखित समस्याएं पाई गईं:

  • खराब प्रबंधन
  • पारदर्शिता की कमी
  • चुनावी गड़बड़ी
  • आंतरिक झगड़ों के कारण न्यायालयों में दखल

एक समान निगरानी तंत्र की गैरमौजूदगी के चलते नियमों में बिखराव और असंगतता बनी रही।

भारत यदि वैश्विक खेल शक्ति बनना चाहता है तो उसके लिए एक सुसंगठित, स्वतंत्र और मजबूत शासन प्रणाली जरूरी है।

National Sports Governance Bill, 2025

राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक की मुख्य विशेषताएं:

1. राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन

  • एक वैधानिक, स्वायत्त निकाय जिसके पास निम्नलिखित शक्तियां हैं:
    • सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (बीसीसीआई सहित) को विनियमित करना, मान्यता देना और उनकी देखरेख करना
    • शासन मानकों का पालन सुनिश्चित करें
    • संबद्ध राज्य/जिला इकाइयों को पंजीकृत करें
    • वित्तीय और परिचालन प्रदर्शन की निगरानी करें

2. राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण का गठन

  • एक अर्ध-न्यायिक निकाय जिसकी शक्तियां सिविल न्यायालय के समकक्ष हैं
  • निम्नलिखित से संबंधित विवादों को संभालता है:
    • एथलीट चयन
    • संघ चुनाव
    • खेल निकायों का आंतरिक शासन
  • इसके निर्णय बाध्यकारी हैं और इन्हें केवल सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है
  • इसका उद्देश्य नियमित अदालतों पर निर्भरता कम करना और निर्णयों में तेजी लाना है

3. एकसमान पंजीकरण और डेटा पारदर्शिता

  • सभी खेल निकायों को बोर्ड के साथ पंजीकृत होना चाहिए।
  • विधेयक में महासंघों और सम्बद्ध संगठनों का एक केन्द्रीय डाटाबेस बनाने का प्रावधान किया गया है।
  • सार्वजनिक पहुंच और जवाबदेही को सुगम बनाता है।

4. कार्यकाल और आयु सीमा में परिवर्तन

  • खेल प्रशासकों के लिए ऊपरी आयु सीमा बढ़ाकर 75 वर्ष की गई
  • महासंघों में लंबे कार्यकाल की अनुमति देने के लिए कार्यकाल सीमा हटा दी गई

विधेयक के मुख्य लाभ:

         संस्थागत स्पष्टता: बिखरे हुए खेल शासन की जगह एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड द्वारा एकीकृत व्यवस्था मिलेगी।

         समय पर न्याय: खेल अधिकरण आम अदालतों की देरी से बचाएगा।

         पारदर्शिता: केंद्रीय रजिस्टर से जानकारी सार्वजनिक रूप से सुलभ होगी।

         वैश्विक मानकों से मेल: यह विधेयक भारत को अंतरराष्ट्रीय खेल शासन के अनुरूप लाता है।

चुनौतियाँ और आलोचनाएँ:

·        न्यायाधिकरण की स्वतंत्रता: राजनीतिक या नौकरशाही हस्तक्षेप से बचना चाहिए

·        आयु एवं कार्यकाल सीमाएँ: नेतृत्व के जड़ हो जाने का जोखिम; नए नेतृत्व के अवसर कमजोर हो सकते हैं

·        बीसीसीआई एकीकरण: एक शक्तिशाली और स्वायत्त निकाय से प्रतिरोध की संभावना

·        खिलाड़ियों की पहुँच: न्यायाधिकरण को वंचित खिलाड़ियों के लिए वित्तीय और कानूनी रूप से सुलभ रहना चाहिए

निष्कर्ष:

राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 भारत की बिखरी हुई और अपारदर्शी खेल प्रशासन प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण और दूरगामी पहल है। यह विधेयक राष्ट्रीय खेल बोर्ड और अधिकरण की स्थापना के माध्यम से पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही को संस्थागत रूप देने का प्रयास करता है। हालाँकि, इसकी वास्तविक सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे किस हद तक स्वतंत्र रूप से, खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करते हुए और प्रशासनिक हस्तक्षेप से मुक्त रखकर लागू किया जाता है। यदि इन मूलभूत शर्तों का पालन होता है, तो यह विधेयक भारतीय खेल क्षेत्र को एक नई दिशा देने में सक्षम हो सकता है।