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Blog / 11 Dec 2025

पश्चिम बंगाल में मनरेगा

संदर्भ:

केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में तीन साल बाद मनरेगा का क्रियान्वयन फिर से शुरू कर दिया है। यह निर्णय कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद लिया गया, जिसमें कहा गया था कि सरकार 1 अगस्त, 2025 से योजना को फिर से लागू करे और इसके साथ विशेष शर्तेंभी लागू कर सकती है।

पृष्ठभूमि:

         पश्चिम बंगाल में मनरेगा योजना का क्रियान्वयन 9 मार्च, 2022 से स्थगित थी।

         इस रोक का आधार मनरेगा अधिनियम, 2005 की धारा 27 थी, जिसके तहत केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन न करनेके कारण यह निर्णय लिया गया।

About Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme (MGNREGS)

पुनः प्रारंभ के मुख्य बिंदु:

·        तत्काल प्रभाव:

         ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 6 दिसंबर, 2025 को आदेश जारी कर पश्चिम बंगाल में MGNREGA का आगामी क्रियान्वयन शुरू कर दिया।

·        विशेष शर्तें और निगरानी उपाय

         योजना की पुनः शुरुआत कुछ विशेष शर्तों के साथ की गई है, जिनका उद्देश्य पारदर्शिता, ईमानदारी और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

         ये शर्तें जॉब कार्ड, बायोमेट्रिक उपस्थिति, वित्तीय प्रबंधन, श्रम बजट, कार्यों की निगरानी, जवाबदेही तंत्र, वसूली प्रक्रिया और दंडात्मक कार्रवाई से संबंधित हैं।

·        कर्मचारियों के लिए अनिवार्य ई-केवाईसी

         किसी भी मज़दूरी रजिस्टर (मस्टर रोल) को जारी करने से पहले सभी श्रमिकों की 100% ई-केवाईसी पूरी करना अनिवार्य है।

·        त्रैमासिक श्रम बजट

         अब पश्चिम बंगाल में श्रम बजट वार्षिक नहीं, बल्कि त्रैमासिक आधार पर अनुमोदित किया जाएगा, जो प्रदर्शन और विशेष शर्तों के अनुपालन पर आधारित होगा।

·        कामों की लागत सीमा

         MGNREGA के तहत ₹20 लाख से अधिक की कोई भी परियोजना नहीं की जाएगी।

         सभी सामुदायिक कार्यों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) अनिवार्य होगी और ₹20 लाख तक की परियोजनाओं के लिए इसे जिला मजिस्ट्रेट और जिला कार्यक्रम समन्वयक (DPC) से अनुमोदित कराना होगा।

         सभी अनुमान SECURE सॉफ्टवेयर प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके तैयार किए जाएंगे।

पुनः प्रारंभ का महत्व:

    • लाभार्थियों के लिए राहत: तीन साल बाद योजना के पुनः शुरू होने से लाखों ग्रामीण परिवारों को रोजगार और आय का लाभ मिलेगा।
    • राजनीतिक प्रभाव: पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। योजना की पुनः शुरुआत ग्रामीण मतदाताओं की आर्थिक कठिनाइयों को कम कर सकती है और राज्य तथा केंद्र दोनों के लिए राजनीतिक महत्व रखती है।
    • प्रशासनिक सुधार: अनिवार्य ई-केवाईसी, त्रैमासिक श्रम बजट और DPR आधारित अनुमोदन से जवाबदेही बढ़ेगी, कार्यान्वयन में पारदर्शिता बढ़ेगी।

मनरेगा (MGNREGA) के बारे में:

    • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005 के अधिनियम के तहत लागू है और यह विश्व की सबसे बड़ी अधिकार-आधारित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में से एक है।
    • यह योजना प्रत्येक ग्रामीण परिवार को वर्ष में कम से कम 100 दिन का वेतनभोगी रोजगार सुनिश्चित करती है, यदि उनके वयस्क सदस्य असंगठित शारीरिक श्रम करना चाहते हों।

मनरेगा के उद्देश्य:

    • ग्रामीण परिवारों की आजीविका की सुरक्षा बढ़ाना।
    • जल संरक्षण, भूमि विकास और ग्रामीण बुनियादी ढांचे जैसे टिकाऊ संसाधनों का निर्माण करना।
    • प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन को मजबूत करना।
    • समावेशी विकास को बढ़ावा देना और मजबूरी में होने वाले ग्रामीण-शहरी पलायन को कम करना।
    • अल्पसंख्यक वर्ग, महिलाएं, अनुसूचित जाति/जनजाति और छोटे किसानों को सशक्त बनाना।

मनरेगा की प्रमुख विशेषताएँ:

1.        अधिकार-आधारित ढांचा: कानूनी रूप से वेतन रोजगार की गारंटी।

2.      मांग-आधारित दृष्टिकोण: रोजगार मांग पर उपलब्ध; यदि 15 दिनों में काम नहीं मिलता तो बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता है।

3.      सर्वसमावेशी ग्रामीण कवरेज: सभी ग्रामीण परिवार पात्र हैं, इसके लिए कोई आय सीमा नहीं है।

4.     न्यूनतम 100 दिन का रोजगार: राज्य अपनी निधियों से अतिरिक्त कार्य दिवस प्रदान कर सकते हैं।

5.      सामाजिक ऑडिट: ग्राम सभाओं द्वारा कार्यों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है।

6.     समयबद्ध वेतन भुगतान: मजदूरी 15 दिनों के भीतर भुगतान की जाती है; विलंब होने पर मुआवजा देना अनिवार्य है।

7.      महिलाओं की भागीदारी: कम से कम एक-तिहाई श्रमिक महिलाएं; कई राज्यों में यह संख्या 50% से अधिक है।

8.     विकेंद्रीकृत योजना: ग्राम सभाएं और पंचायतें योजना बनाने, कार्यों की प्राथमिकता तय करने और निगरानी में मुख्य भूमिका निभाती हैं।