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Blog / 13 Dec 2025

मेक्सिको द्वारा भारत पर 50% तक टैरिफ

सन्दर्भ:

मेक्सिको ने हाल ही में भारत, चीन तथा अन्य एशियाई देशों से आयातित वस्तुओं पर 50 प्रतिशत तक आयात शुल्क (Tariff) लगाने की घोषणा की है। यह टैरिफ उन देशों पर प्रभावी होगा जिनके साथ मेक्सिको का कोई मुक्त व्यापार समझौता (FTA) नहीं है। भारत इस श्रेणी में शामिल है। यह निर्णय 1 जनवरी 2026 से लागू होगा जिससे 1400 से अधिक उत्पाद प्रभावित होंगे। यह कदम वैश्विक व्यापार व्यवस्था में बढ़ते संरक्षणवाद (Protectionism) को दर्शाता है।

मेक्सिको के निर्णय के पीछे प्रमुख कारण:

      • घरेलू उद्योग संरक्षण: पिछले कुछ वर्षों में एशियाई देशों विशेषकर भारत और चीन, से सस्ते औद्योगिक उत्पादों की बढ़ती आयात ने मेक्सिको के घरेलू विनिर्माण आधार पर भारी दबाव डाला है। जिससे मेक्सिको के MSME, ऑटो-पार्ट्स, टेक्सटाइल, स्टील और प्लास्टिक उद्योग प्रभावित हुए हैं।
      • रोज़गार सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता: मेक्सिको की अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र रोजगार का एक प्रमुख स्रोत है। सस्ते आयात के कारण जब स्थानीय उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता घटती है, तो इसका सीधा असर रोज़गार कटौती और मजदूरी दबाव के रूप में सामने आता है। टैरिफ बढ़ाने के माध्यम से सरकार स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित कर घरेलू रोजगार की रक्षा करना चाहती है। यह कदम केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक स्थिरता और राजनीतिक दबावों से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि बेरोज़गारी में वृद्धि आंतरिक असंतोष को जन्म दे सकती है।
      • भू-आर्थिक (Geo-economic) रणनीति: मेक्सिको का यह निर्णय व्यापक भू-आर्थिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौते (USMCA) के तहत मेक्सिको उत्तर अमेरिका की आपूर्ति शृंखला का एक महत्वपूर्ण अंग है। एशियाई आयात पर उच्च टैरिफ लगाकर मेक्सिको, क्षेत्रीय उत्पादन नेटवर्क को मजबूत करना और उत्तर अमेरिका के भीतर ही विनिर्माण गतिविधियों को केंद्रित करना चाहता है। यह रणनीति वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के विखंडन और री-शोरिंगनियर-शोरिंगजैसी प्रवृत्तियों के अनुरूप है।
      • वैश्विक संरक्षणवादी रुझानों का प्रभाव: मेक्सिको का कदम वैश्विक स्तर पर उभरते संरक्षणवादी माहौल से भी प्रेरित है। अमेरिका और यूरोप पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा, रोजगार संरक्षण और रणनीतिक उद्योगों के नाम पर टैरिफ और गैर-शुल्क बाधाएँ बढ़ा चुके हैं। इसी प्रवृत्ति का विस्तार अब लैटिन अमेरिका में भी दिखाई दे रहा है। WTO-आधारित मुक्त व्यापार व्यवस्था की कमजोर होती प्रभावशीलता ने देशों को अधिक एकतरफा और हित-आधारित व्यापार नीतियाँ अपनाने के लिए प्रेरित किया है, और मेक्सिको का निर्णय इसी वैश्विक प्रवाह का हिस्सा है।

Mexico Imposes Up to 50% Tariffs on India

भारत पर संभावित प्रभाव:

      • निर्यात प्रतिस्पर्धा में कमी: मेक्सिको में भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी मांग घट सकती है। जिसमें ऑटो कंपोनेंट्स, स्टील एवं धातु उत्पाद, रसायन एवं प्लास्टिक, टेक्सटाइल आदि क्षेत्र प्रभावित होंगे।
      • लैटिन अमेरिका रणनीति पर असर: मेक्सिको, भारत के लिए लैटिन अमेरिका में प्रवेश द्वार माना जाता है; यह निर्णय भारत की निर्यात-विविधीकरण नीति को प्रभावित कर सकता है।
      • चीन + 1’ रणनीति को झटका: वैश्विक कंपनियाँ चीन पर निर्भरता घटाकर भारत जैसे देशों को वैकल्पिक विनिर्माण केंद्र के रूप में देख रही थीं। किंतु एशियाई देशों पर सामूहिक रूप से उच्च टैरिफ लगाए जाने से भारत को मिलने वाला सापेक्ष लागत-लाभ और बाज़ार पहुँच का लाभ कम हो सकता है। इससे भारत की वह प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त सीमित होती है, जो वह चीन के विकल्प के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहा था।

व्यापक वैश्विक और नीतिगत निहितार्थ:

मेक्सिको का यह कदम विश्व व्यापार संगठन (WTO) आधारित बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था की कमजोर होती प्रासंगिकता को भी उजागर करता है। एकतरफा टैरिफ वृद्धि मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन (MFN) जैसे सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप से कमजोर बनाती है। साथ ही, विकासशील देशों के बीच ही बढ़ती व्यापार बाधाएँ दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए नकारात्मक संकेत देती हैं। यह प्रवृत्ति वैश्विक मूल्य शृंखलाओं के बढ़ते क्षेत्रीयकरण को भी रेखांकित करती है।

निष्कर्ष:

मेक्सिको द्वारा भारत सहित एशियाई देशों पर उच्च टैरिफ लगाया जाना बदलती वैश्विक आर्थिक राजनीति का स्पष्ट संकेत है। यह घटना दर्शाती है कि मुक्त व्यापार की अवधारणा अब राष्ट्रीय हितों और रणनीतिक प्राथमिकताओं से संचालित हो रही है। भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह सक्रिय व्यापार कूटनीति, निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार और बाजार विविधीकरण के माध्यम से अपने व्यापारिक हितों की रक्षा करे।