होम > Blog

Blog / 20 Nov 2025

सेनकाकू द्वीप

सन्दर्भ:

हाल ही में जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची के एक बयान “यदि चीन ताइवान पर हमला करता है, तो जापान सैन्य प्रतिक्रिया पर विचार कर सकता है” के बाद सेनकाकू द्वीपों क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। 16 नवंबर 2025 को चीनी कोस्ट गार्ड (CCG) के पोत सेनकाकू द्वीपों के निकट समुद्री क्षेत्र से होकर भी गुज़रे।

सेनकाकू द्वीपों के बारे में:

सेनकाकू द्वीप (चीन में दियाओयू) पूर्वी चीन सागर में स्थित एक निर्जन द्वीपसमूह है, जिसे लेकर जापान और चीन के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है।

·        इन द्वीपों का प्रशासन जापान के पास है, लेकिन उन पर चीन और ताइवान दोनों अपना दावा जताते हैं।

·        विवाद की वजह इन द्वीपों का सामरिक महत्व, महत्वपूर्ण नौवहन मार्गों पर नियंत्रण, समृद्ध मत्स्य क्षेत्र तथा संभावित हाइड्रोकार्बन भंडार हैं।

प्रादेशिक विवाद:

        जापान का दावा: जापान का कहना है कि उसने 1972 से इन द्वीपों का प्रशासन संभाला है, जब अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपने नियंत्रण से इन्हें वापस जापान को सौंपा था।

        चीन का दावा: चीन का कहना है कि इन द्वीपों पर उसका ऐतिहासिक अधिकार मिंग राजवंश के समय से है और जापान ने इन्हें अपने साम्राज्यवादी विस्तार के दौरान हड़प लिया था।

चीन की गश्ती गतिविधियों के सामरिक उद्देश्य:

1.      संप्रभुता का दावा प्रस्तुत करना: कोस्ट गार्ड पोतों का प्रयोग करते हुए चीन बगैर प्रत्यक्ष सैन्य टकराव के, दियाओयू (सेनकाकू) पर अपने अधिकार का दावा जताता है।

2.     जापानी बयानों का प्रतिकार: यह गश्त टोक्यो के ताइवान संबंधी कड़े बयान के तुरंत बाद हुई। इसका संदेश है कि चीन जापान के ऐसे किसी भी कदम का कूटनीतिक एवं परिचालनिक स्तर पर जवाब देने को तैयार है।

3.     दीर्घकालिक उपस्थिति रणनीति: जापानी अधिकारियों के अनुसार, CCG पोत कई बार इस क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। लगातार गश्त का उद्देश्य बीजिंग की समुद्री उपस्थिति को सामान्य बनाना है।

4.    घरेलू संदेश और क्षेत्रीय शक्ति-प्रदर्शन: यह गश्त घरेलू दर्शकों को क्षेत्रीय अधिकारोंके प्रति चीन की दृढ़ता का संदेश भी देती है और राष्ट्रीय भावनाओं को सुदृढ़ करती है।

क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव:

        तनाव बढ़ने का जोखिम: चीनी और जापानी तटरक्षक या नौसैनिक पोतों के बीच टकराव की आशंका बढ़ जाती है।

        जापान-अमेरिका सुरक्षा गठबंधन पर प्रभाव: अमेरिका ने सुरक्षा संधि के तहत सेनकाकू द्वीपों की रक्षा में जापान का साथ देने का वादा किया है। चीन की बढ़ती गतिविधियाँ इस प्रतिबद्धता की परीक्षा लेती हैं।

        समुद्री नियमों को चुनौती: तटरक्षक जहाज़ों का अर्ध-सैन्य शक्तिकी तरह उपयोग कानून प्रवर्तन और सैन्य शक्ति-प्रदर्शन के बीच की रेखा को धुंधला करता है। इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री नियमों और अंतरराष्ट्रीय मानकों को चुनौती मिलती है।

निष्कर्ष:

चीनी CCG गश्त को चीन की व्यापक समुद्री रणनीति जिसे अक्सर अधिकार प्रवर्तन गश्तकहा जाता है, का हिस्सा माना जाता है, जिसमें सैन्य बल की बजाय तटरक्षक पोतों के माध्यम से दावे को मजबूत किया जाता है। जापान और क्षेत्र के अन्य देशों के लिए ऐसी गतिविधियों से निपटने का तरीका आमतौर पर कूटनीतिक संवाद, स्पष्ट कानूनी रुख, और सुरक्षा साझेदारों के साथ सहयोग पर आधारित होता है, ताकि क्षेत्रीय स्थिरता और मौजूदा समुद्री व्यवस्था बनी रहे।