सन्दर्भ:
हाल ही में 23 जुलाई 2025 को गोवा में भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के लिए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) द्वारा निर्मित दूसरा और अंतिम स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण पोत (PCV) ‘समुद्र प्रचेता’ लॉन्च किया गया। इस पोत में 72% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) की दिशा में एक बड़ा कदम है।
‘समुद्र प्रचेता’ की प्रमुख विशेषताएँ:
‘समुद्र प्रचेता’ को विशेष रूप से भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में तेल फैलाव और अन्य समुद्री प्रदूषण की घटनाओं से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
• लंबाई: 114.5 मीटर
• चौड़ाई: 16.5 मीटर
• भार क्षमता (डिस्प्लेसमेंट): 4,170 टन
• कर्मचारी: 14 अधिकारी और 115 नाविक
इस पोत में निम्नलिखित उपकरण होंगे:
• तेल फैलाव को समुद्र में चलते हुए इकट्ठा करने के लिए दो साइड-स्वीपिंग आर्म्स
• तेल की परतों का पता लगाने के लिए आधुनिक रडार प्रणाली
• विभिन्न गाढ़ेपन (viscosity) वाले तेल को इकट्ठा करने के उपकरण
• प्रदूषित पानी को पंप करने, विश्लेषण करने और अलग करने की सुविधा
• इकट्ठा किए गए तेल के लिए विशेष टैंक
लॉन्च का महत्व:
• आत्मनिर्भर भारत: 72% स्वदेशी सामग्री के साथ यह पोत घरेलू क्षमताओं का प्रतीक है। यह स्थानीय उद्योगों और MSMEs को प्रोत्साहित करता है और रक्षा आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
• पर्यावरणीय सततता: यह पोत समुद्री तेल रिसाव और प्रदूषण से निपटने में सक्षम है, जिससे भारत की पर्यावरणीय आपदा प्रतिक्रिया क्षमता मजबूत होती है – जो सतत समुद्री विकास के लिए आवश्यक है।
• कौशल विकास एवं रोजगार: स्थानीय उद्योगों की भागीदारी से यह परियोजना रोजगार सृजन और कौशल विकास में सहायक है, जो राष्ट्रीय मानव संसाधन विकास के उद्देश्यों से जुड़ी है।
• समुद्री सुरक्षा: यह पोत भारतीय तटरक्षक बल की भारत के विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता को बढ़ाता है, जो आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष:
‘समुद्र प्रचेता’ का लॉन्च भारतीय तटरक्षक बल और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसकी उन्नत विशेषताएँ और उच्च स्वदेशी सामग्री इसे भारत की समुद्री पर्यावरणीय तैयारियों के लिए एक अहम संसाधन बनाती हैं। जैसे-जैसे भारत समुद्री क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहा है, ‘समुद्र प्रचेता’ का निर्माण और लॉन्च आत्मनिर्भरता और स्वदेशी जहाज निर्माण की दिशा में एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है।