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Blog / 02 Jun 2025

वित्त वर्ष 2024–25 के लोए भारत की अस्थायी जीडीपी अनुमान रिपोर्ट

संदर्भ:

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने वित्त वर्ष 2024–25 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और सकल मूल्य वर्धन (GVA) के अस्थायी अनुमान (Provisional Estimates) जारी किए हैं। ये आंकड़े देश की आर्थिक स्थिति को समझने, वित्तीय योजना बनाने, मौद्रिक नीति निर्धारित करने और निवेश संबंधी निर्णयों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

मुख्य निष्कर्ष:

1. समग्र जीडीपी प्रदर्शन: वित्त वर्ष 2024–25 में भारत की अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया। स्थिर कीमतों (2011–12 को आधार वर्ष मानते हुए) पर वास्तविक जीडीपी 6.5% बढ़कर ₹187.97 लाख करोड़ हो गई। यह बताता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों और घरेलू बदलावों के बावजूद मजबूत बनी रही। वहीं, मुद्रास्फीति को शामिल करते हुए नाममात्र जीडीपी 9.8% बढ़कर ₹330.68 लाख करोड़ पहुंच गई। यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था में हल्की-फुल्की महंगाई भी रही।

2. प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन): इस साल प्राथमिक क्षेत्र की वृद्धि 4.4% रही, जो पिछले साल के 2.7% से काफी बेहतर है। इसमें अच्छी बारिश, खेती में सुधार और ग्रामीण क्षेत्रों की मांग स्थिर रहने जैसे कारणों का योगदान रहा। चौथी तिमाही (Q4) में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 5% रही, जिससे ग्रामीण आमदनी को सहारा मिला और स्थिरता बनी रही।

3. खपत और निवेश:

·         निजी उपभोग व्यय (PFCE) में 7.2% की वृद्धि हुई, जो इस बात का संकेत है कि लोग ज़्यादा खर्च कर रहे हैं। खासतौर पर शहरी इलाकों में खर्च बढ़ा है, जो बढ़ती आय और बेहतर रोजगार के कारण हो सकता है।

·         सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF) में 7.1% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे साफ होता है कि मशीनरी, भवनों और बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ रहा है। इससे यह भी पता चलता है कि निवेशकों का भरोसा बना हुआ है और उत्पादन क्षमता बढ़ रही है।

4. विनिर्माण क्षेत्र: अर्थव्यवस्था में सुधार के बावजूद विनिर्माण क्षेत्र की रफ्तार धीमी रही। इसकी औसत वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) केवल 4.04% रही, जबकि कृषि क्षेत्र की दर 4.72% थी। विनिर्माण की यह सुस्ती चिंता का विषय है, क्योंकि यह क्षेत्र आमतौर पर बड़ी संख्या में अर्ध-कुशल लोगों को रोजगार देता है। इस क्षेत्र में कमजोरी की वजहें हैंवैश्विक मांग में कमी, घरेलू स्तर पर प्रतिस्पर्धा की चुनौती और ढांचागत दिक्कतें।

India's Provisional GDP Estimates for FY25

सकारात्मक संकेत:

·         लगातार आर्थिक विकास: दुनिया भर की अनिश्चितताओं के बावजूद भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है।

·         कृषि क्षेत्र की मजबूती: वित्त वर्ष 2020 से अब तक कृषि क्षेत्र की GVA (सकल मूल्य वर्धन) में वृद्धि विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में बेहतर रही है।

चुनौतियाँ:

·         नाममात्र जीडीपी में धीमी बढ़त: वित्त वर्ष 2025 में नाममात्र जीडीपी की वृद्धि दर 9.8% रही, जो 2014 के बाद तीसरी सबसे धीमी रही है।

·         विनिर्माण क्षेत्र की कमजोरी: इस क्षेत्र की धीमी विकास दर से साफ है कि औद्योगिक गतिविधियाँ उम्मीद से कम हैं।

·         रोजगार से जुड़ी समस्याएँ: विनिर्माण में सुस्ती के चलते शहरी युवाओं में बेरोजगारी बढ़ रही है और मजदूरों का ग्रामीण क्षेत्रों की ओर पलायन हो रहा है।

महत्त्व:

यह अस्थायी जीडीपी डेटा सरकार के लिए बजट बनाने, मौद्रिक नीति तय करने और निवेश से जुड़ी योजनाएं बनाने में बेहद काम आता है। यह आंकड़े एक तरफ भारत की आर्थिक मजबूती दिखाते हैं, तो दूसरी तरफ विनिर्माण जैसे अहम क्षेत्रों में मौजूद कमजोरियों की भी पहचान कराते हैं।

निष्कर्ष:
वित्त वर्ष 2025 की अस्थायी जीडीपी रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने 6.5% की वृद्धि के साथ ठीक-ठाक मजबूती दिखाई है। लेकिन विनिर्माण क्षेत्र की धीमी रफ्तार और दूसरे क्षेत्रों में असंतुलन अब भी चिंता का विषय हैं। भारत को अगर लंबे समय तक टिकाऊ और संतुलित विकास चाहिए, तो इन कमजोरियों को जल्द दूर करना ज़रूरी है।