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Blog / 24 Dec 2025

भारत–न्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौता

संदर्भ:

हाल ही में भारत और न्यूज़ीलैंड ने भारतन्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत वित्तीय सेवाओं से संबंधित परिशिष्ट पर वार्ताएं पूरी कर ली हैं। यह उपलब्धि दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के साथ-साथ रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

पृष्ठभूमि:

      • इस मुक्त व्यापार समझौते के लिए औपचारिक वार्ताओं की शुरुआत मार्च 2025 में हुई, जो दोनों देशों द्वारा आर्थिक साझेदारी को और अधिक गहन बनाने की स्पष्ट राजनीतिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
      • समझौते का मात्र नौ महीनों में संपन्न होना निर्णायक नेतृत्व, प्रभावी वार्ता-प्रक्रिया और निरंतर कूटनीतिक प्रयासों का स्पष्ट प्रमाण है।
      • भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है, किंतु भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की तुलना में इसकी वास्तविक क्षमता का अभी पूर्ण उपयोग नहीं हो पाया है।

India–New Zealand Free Trade Agreement

मुक्त व्यापार समझौते के प्रमुख प्रावधान:

      • बाज़ार तक पहुंच और शुल्क में छूट:
        • भारतीय निर्यात को शून्य-शुल्क सुविधा: न्यूज़ीलैंड ने भारत से होने वाले 100 प्रतिशत निर्यात पर सभी प्रकार के शुल्क समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की है, जिससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगी।
        • भारत द्वारा शुल्क में रियायत: भारत न्यूज़ीलैंड से आयात होने वाले लगभग 70 प्रतिशत उत्पादों पर शुल्क में कटौती करेगा अथवा उन्हें पूर्णतः समाप्त करेगा, जिससे कुल द्विपक्षीय व्यापार मूल्य का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा आच्छादित होगा।
        • इसके परिणामस्वरूप वस्त्र, चमड़ा, जूते, इंजीनियरिंग उत्पाद, औषधि, समुद्री उत्पाद तथा रत्न एवं आभूषण जैसे क्षेत्रों को विशेष लाभ मिलने की संभावना है।
      • सेवा व्यापार और आवाजाही:
        • यह समझौता 118 सेवा क्षेत्रों में बाज़ार तक पहुंच सुनिश्चित करता है, जिनमें सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा, वित्तीय सेवाएं, पर्यटन और निर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्र सम्मिलित हैं।
        • वीज़ा और पेशेवर आवाजाही से संबंधित प्रावधानों में शामिल हैं:
          • अधिकतम 5,000 पेशेवरों के लिए अस्थायी रोजगार प्रवेश वीज़ा की व्यवस्था।
          • प्रतिवर्ष लगभग 1,000 व्यक्तियों के लिए कार्य एवं अवकाश वीज़ा।
          • विद्यार्थियों के लिए विस्तारित अवसर, जिनके अंतर्गत शोध छात्रों को अध्ययन पूर्ण करने के बाद चार वर्ष तक कार्य करने की अनुमति प्रदान की गई है।
      • निवेश और आर्थिक सहयोग:
        • न्यूज़ीलैंड ने आगामी 15 वर्षों की अवधि में भारत में लगभग 20 अरब अमेरिकी डॉलर तक के निवेश (विशेष रूप से विनिर्माण, आधारभूत संरचना और नवाचार के क्षेत्रों में) को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
        • समझौते के अंतर्गत कृषि, प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों तथा सेवा क्षेत्रों में सहयोग के लिए संस्थागत ढांचे भी निर्धारित किए गए हैं, ताकि व्यापार विस्तार को सतत एवं समावेशी विकास के उद्देश्यों से जोड़ा जा सके।
      • कृषि और संवेदनशील क्षेत्र:
        • भारत ने दुग्ध उत्पाद, चीनी तथा कुछ अन्य कृषि वस्तुओं जैसे संवेदनशील घरेलू क्षेत्रों के लिए सुरक्षा प्रावधानों को यथावत बनाए रखा है।
        • विशेष प्रावधानों के अंतर्गत न्यूज़ीलैंड की कंपनियों को भारत में दुग्ध सामग्री आयात कर उसका प्रसंस्करण करने तथा पुनः निर्यात करने की अनुमति दी गई है, किंतु भारतीय घरेलू बाज़ार में तैयार दुग्ध उत्पादों के आयात की अनुमति नहीं दी गई है। इससे स्थानीय किसानों और दुग्ध उत्पादकों के हितों की प्रभावी रूप से रक्षा सुनिश्चित होती है।

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भारत के लिए महत्व:

      • आर्थिक लाभ:
        • निर्यात में वृद्धि: शुल्क-मुक्त बाज़ार पहुंच से भारतीय निर्यातकों को, विशेष रूप से श्रम-प्रधान और मूल्य-संवर्धित क्षेत्रों में, व्यापक और नए व्यावसायिक अवसर प्राप्त होंगे।
        • सेवाएं और रोजगार: सेवाक्षेत्र में बेहतर बाज़ार पहुंच और पेशेवरों की सुगम आवाजाही से वैश्विक सेवाओं के क्षेत्र में भारत की भूमिका और अधिक सुदृढ़ होगी तथा रोजगार सृजन के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
        • निवेश प्रवाह: न्यूज़ीलैंड से अपेक्षित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत की आधारभूत संरचना के विकास और औद्योगिक क्षमता के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
      • रणनीतिक और कूटनीतिक लाभ
        • यह समझौता ओशिनिया क्षेत्र में भारत की आर्थिक उपस्थिति को सशक्त बनाता है तथा छोटे किंतु गतिशील साझेदार देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक गहरा करता है।
        • यह नियम-आधारित, पारदर्शी और खुले व्यापार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करता है, जो उसकी व्यापक व्यापार नीति तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक दृष्टिकोण के पूर्णतः अनुरूप है।

निष्कर्ष:

भारतन्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौता एक ऐतिहासिक और व्यापक आर्थिक साझेदारी का उदाहरण है, जिसमें वस्तु व्यापार, सेवा व्यापार, निवेश और पेशेवर आवाजाही सभी शामिल हैं। यह भारत की बदलती व्यापार रणनीति को दर्शाता है, जिसमें निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, सेवाओं तक पहुंच का विस्तार, घरेलू संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारियों को गहरा करना शामिल है। यदि इस समझौते का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन किया जाता है, तो यह भारत के आर्थिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और वैश्विक व्यापार नेटवर्क में उसकी भागीदारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।