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Blog / 01 Dec 2025

भारत पुनः बना आईएमओ परिषद का सदस्य

संदर्भ:

हाल ही में भारत को 2026–27 के कार्यकाल के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) परिषद के सदस्य के रूप में दोबारा चुना गया है, जो वैश्विक समुद्री शासन में उसकी मजबूत और निरंतर होती भूमिका का प्रमाण है। लंदन में आयोजित आईएमओ असेंबली के 34वें सत्र के दौरान संपन्न चुनाव में भारत ने 169 वैध मतों में से 154 मत प्राप्त किए, जो उसके वर्ग के सभी उम्मीदवारों में सर्वाधिक थे।

अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) परिषद के बारे में:

      • आईएमओ संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषीकृत एजेंसी है, जिसका मुख्य उद्देश्य शिपिंग को विनियमित करने, समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षा, समुद्री प्रदूषण की रोकथाम तथा अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए वैश्विक मानकों का निर्धारण करना है।
      • आईएमओ परिषद असेंबली की कार्यकारी इकाई के रूप में कार्य करती है। इसे प्रत्येक दो वर्ष के लिए चुना जाता है तथा यह असेंबली के सत्रों के बीच संगठन के कार्य कार्यक्रम, बजट और नियामकीय ढांचे की समग्र निगरानी और मार्गदर्शन सुनिश्चित करती है।
      • परिषद में कुल 40 सदस्य शामिल होते हैं, जिन्हें तीन श्रेणियों से चुना जाता है। भारत श्रेणी ‘B’ में आता है, जो उन देशों के लिए आरक्षित है जिनका अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार में सबसे अधिक और महत्वपूर्ण हित होता है। इस श्रेणी में कुल 10 सदस्य देश शामिल रहते हैं।
      • 2026–27 कार्यकाल के लिए परिषद के चुनाव 28 नवंबर 2025 को 34वीं आईएमओ असेंबली के दौरान गुप्त मतदान के माध्यम से आयोजित किए गए।

India’s re-election to the IMO Council for 2026–27

भारत के दोबारा चुने जाने का महत्व:

      • वैश्विक मान्यता: 169 में से 154 वोट प्राप्त करना और अपने वर्ग में सर्वाधिक मत हासिल करना, यह दर्शाता है कि वैश्विक समुदाय भारत की समुद्री नीतियों तथा अंतरराष्ट्रीय शिपिंग शासन में उसकी रचनात्मक और विश्वसनीय भूमिका पर गहरा विश्वास रखता है।
      • समुद्री सहभागिता में निरंतरता: पुनर्निर्वाचन से भारत को आईएमओ के महत्वपूर्ण निर्णयों पर निरंतर प्रभाव बनाए रखने का अवसर मिलता है, जिसमें शिपिंग से जुड़े नियम, समुद्री सुरक्षा, पर्यावरणीय मानक और महासागरों के सतत एवं जिम्मेदार उपयोग जैसे मुद्दे शामिल हैं।
      • समुद्री कूटनीति और ब्लू इकोनॉमी को प्रोत्साहन: यह प्रबल जनादेश भारत की समुद्री विकास आकांक्षाओं को और गति प्रदान करता है तथा बंदरगाह अवसंरचना, जहाज निर्माण और जल-मार्गों के विस्तार जैसे क्षेत्रों में चल रही पहलों को विजन 2047 जैसी दीर्घकालीन राष्ट्रीय रणनीतियों के अनुरूप मजबूत समर्थन देता है।
      • वैश्विक समुद्री व्यवस्था में रणनीतिक प्रभाव: आईएमओ परिषद में भारत की उपस्थिति उसे समुद्री सुरक्षा, कार्बन उत्सर्जन में कमी, जहाज रीसाइक्लिंग, प्रदूषण नियंत्रण और निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय व्यापार जैसे वैश्विक मानकों के निर्माण और सुधार में महत्वपूर्ण योगदान देने का अवसर प्रदान करती है, जिससे न केवल भारत बल्कि व्यापक वैश्विक दक्षिण के हितों को भी सुदृढ़ समर्थन मिलता है।

भारत के लिए निहितार्थ:

      • नियमों पर प्रभाव: भारत पर्यावरण-अनुकूल शिपिंग, हरित जहाज रीसाइक्लिंग, समुद्री पर्यावरण संरक्षण और विकासशील देशों की क्षमता निर्माण जैसे मुद्दों के लिए मजबूती से आवाज उठा सकेगा।
      • घरेलू समन्वय: आईएमओ में भारत की सक्रिय भूमिका देश के तेजी से विकसित हो रहे समुद्री बुनियादी ढांचे को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ढालने में सहायक होगी, जिससे वैश्विक व्यापार और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के साथ भारत का अधिक सुगम और कुशल एकीकरण संभव हो सकेगा।
      • कूटनीतिक बढ़त: यह उपलब्धि भारत की सॉफ्ट पावर को और सुदृढ़ बनाती है तथा उसे विकसित और विकासशील समुद्री देशों के बीच एक सेतु एवं सहमति-निर्माता के रूप में स्थापित करती है।
      • स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) में नेतृत्व: भारत को वैश्विक मंचों पर समावेशी, जलवायु-संवेदी और सतत समुद्री विकास के मॉडल को आगे बढ़ाने तथा उसे नीति-निर्माण के केंद्र में लाने का अवसर मिलता है।

निष्कर्ष:

2026–27 के लिए आईएमओ परिषद में भारत का पुनर्निर्वाचन और वह भी सर्वाधिक मतों के साथ, एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि है। यह न केवल भारत की उभरती समुद्री शक्ति की स्थिति को और सुदृढ़ करता है, बल्कि उसे वैश्विक शिपिंग मानकों के निर्माण और सुधार में सक्रिय योगदान देने का व्यापक अवसर भी प्रदान करता है।