संदर्भ:
हाल ही में भारत और ओमान ने व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह एक अहम द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौता है, जिसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को और गहरा करना, आपसी व्यापार को बढ़ावा देना तथा पेशेवरों और श्रमिकों की आवाजाही (Labour Mobility) को सरल और सुगम बनाना है।
CEPA की प्रमुख विशेषताएँ:
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- व्यापार उदारीकरण और शुल्क-मुक्त पहुँच:
- ओमान, भारत को अपनी 98.08% टैरिफ लाइनों पर शुल्क-मुक्त पहुँच प्रदान करेगा, जिससे ओमान को होने वाले भारत के कुल निर्यात का लगभग 99.38% हिस्सा शामिल होगा।
- भारत ने भी ओमान से होने वाले आयात के लिए 77.79% टैरिफ लाइनों पर शुल्क में रियायत देने की पेशकश की है, जो ओमान से भारत के लगभग 94.81% आयात को शामिल करती है।
- कई श्रम-प्रधान और उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों में पूर्ण रूप से शुल्क समाप्त किए जाने की संभावना है, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- रत्न एवं आभूषण
- वस्त्र और चमड़ा उद्योग
- जूते एवं खेल सामग्री
- प्लास्टिक और फर्नीचर
- कृषि उत्पाद
- इंजीनियरिंग उत्पाद
- औषधियाँ तथा चिकित्सा उपकरण
- ऑटोमोबाइल
- रत्न एवं आभूषण
- ओमान, भारत को अपनी 98.08% टैरिफ लाइनों पर शुल्क-मुक्त पहुँच प्रदान करेगा, जिससे ओमान को होने वाले भारत के कुल निर्यात का लगभग 99.38% हिस्सा शामिल होगा।
- व्यापार उदारीकरण और शुल्क-मुक्त पहुँच:
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- क्षेत्रीय और सेवा क्षेत्र से जुड़े लाभ
- इस समझौते के अंतर्गत भारत के सेवा क्षेत्र को व्यापक रियायतें दी गई हैं, जिनमें पेशेवरों और कुशल मानव संसाधन की आवाजाही पर विशेष जोर दिया गया है।
- कुछ संवेदनशील वस्तुओं को घरेलू हितों की रक्षा के लिए इस समझौते के दायरे से बाहर रखा गया है, जिनमें शामिल हैं:
- डेयरी उत्पाद
- चाय और कॉफी
- रबर और तंबाकू
- सोना और चाँदी (बुलियन)
- आभूषण
- चुनिंदा जूते और खेल सामग्री
- डेयरी उत्पाद
- इस समझौते के अंतर्गत भारत के सेवा क्षेत्र को व्यापक रियायतें दी गई हैं, जिनमें पेशेवरों और कुशल मानव संसाधन की आवाजाही पर विशेष जोर दिया गया है।
- बेहतर श्रम गतिशीलता
- ओमान ने सेवा व्यापार के अंतर्गत मोड-4 के तहत श्रम गतिशीलता को बढ़ाने की स्पष्ट प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जिससे भारतीय पेशेवरों को ओमान के श्रम बाजार में बेहतर अवसर मिलेंगे।
- इंट्रा-कॉरपोरेट ट्रांसफरी (ICTs) के लिए निर्धारित कोटा 20% से बढ़ाकर 50% कर दिया गया है।
- अनुबंधित सेवा प्रदाताओं को दो वर्षों तक रहने की अनुमति होगी, जिसे आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त दो वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकेगा।
- सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और अन्य पेशेवर सेवाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कुशल भारतीय पेशेवरों के प्रवेश और निवास की शर्तों को और अधिक सरल बनाया गया है।
- ओमान ने सेवा व्यापार के अंतर्गत मोड-4 के तहत श्रम गतिशीलता को बढ़ाने की स्पष्ट प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जिससे भारतीय पेशेवरों को ओमान के श्रम बाजार में बेहतर अवसर मिलेंगे।
- क्षेत्रीय और सेवा क्षेत्र से जुड़े लाभ
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आर्थिक और रणनीतिक महत्व:
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- वर्ष 2024–25 में भारत ने ओमान को लगभग 4.06 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का माल निर्यात किया, जबकि इसी अवधि में ओमान से भारत का आयात लगभग 6.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। यह आँकड़े दोनों देशों के बीच मजबूत और बढ़ते व्यापारिक संबंधों को दर्शाते हैं।
- CEPA के माध्यम से भारत को खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक प्रवेश द्वार प्राप्त होता है। इसके साथ ही यह समझौता पूर्वी यूरोप, मध्य एशिया और अफ्रीका जैसे उभरते बाजारों तक पहुँच को आसान बनाता है, जिससे भारत के व्यापार का विविधीकरण और विस्तार संभव होगा।
- यह समझौता कई कारणों से विशेष महत्व रखता है, क्योंकि:
- वर्ष 2006 में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बाद यह ओमान का पहला द्विपक्षीय व्यापार समझौता है, और
- वर्ष 2022 में भारत–संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) CEPA के बाद यह किसी खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देश के साथ भारत का दूसरा व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता है।
- वर्ष 2006 में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बाद यह ओमान का पहला द्विपक्षीय व्यापार समझौता है, और
- वर्ष 2024–25 में भारत ने ओमान को लगभग 4.06 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का माल निर्यात किया, जबकि इसी अवधि में ओमान से भारत का आयात लगभग 6.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। यह आँकड़े दोनों देशों के बीच मजबूत और बढ़ते व्यापारिक संबंधों को दर्शाते हैं।
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CEPA के प्रभाव:
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- व्यापार वृद्धि: कम शुल्क और बेहतर बाजार पहुँच के कारण भारत के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है, विशेष रूप से श्रम-प्रधान और उच्च-मूल्य वाले विनिर्माण क्षेत्रों में। इससे भारत–ओमान के बीच द्विपक्षीय व्यापार का समग्र स्तर और गहराई दोनों बढ़ेंगी।
- रोजगार और कौशल विकास: बेहतर श्रम गतिशीलता से भारतीय पेशेवरों और कुशल श्रमिकों के लिए नए रोजगार अवसर सृजित होंगे। साथ ही आईटी, स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और तकनीकी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में कौशल विकास और कौशल हस्तांतरण को भी बढ़ावा मिलेगा।
- रणनीतिक साझेदारी: ओमान के साथ मजबूत आर्थिक संबंध पश्चिम एशिया में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को और सुदृढ़ करते हैं। यह समझौता भारत की ‘एक्ट वेस्ट नीति’ को बल देता है तथा क्षेत्रीय संपर्क, समुद्री सहयोग और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में साझेदारी को आगे बढ़ाता है।
- युवा और नवाचार: CEPA से उद्यमिता, नवाचार और स्टार्ट-अप सहयोग के नए अवसर खुलने की संभावना है। इससे दोनों देशों के युवाओं को विशेष लाभ मिलेगा और यह भारत की जनसांख्यिकीय क्षमता तथा दीर्घकालिक आर्थिक लक्ष्यों के अनुरूप है।
- व्यापार वृद्धि: कम शुल्क और बेहतर बाजार पहुँच के कारण भारत के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है, विशेष रूप से श्रम-प्रधान और उच्च-मूल्य वाले विनिर्माण क्षेत्रों में। इससे भारत–ओमान के बीच द्विपक्षीय व्यापार का समग्र स्तर और गहराई दोनों बढ़ेंगी।
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निष्कर्ष:
भारत–ओमान व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को नई दिशा देने वाला एक ऐतिहासिक कदम है। यह समझौता व्यापार उदारीकरण, सेवा क्षेत्र की बेहतर पहुँच और श्रम गतिशीलता को एक समग्र ढाँचे में समाहित करता है। शुल्क-मुक्त बाजार पहुँच, रियायती टैरिफ तथा पेशेवरों की सरल और सुगम आवाजाही के माध्यम से यह आर्थिक संबंधों के साथ-साथ रणनीतिक साझेदारी और लोगों-से-लोगों के संपर्क को भी सशक्त बनाता है। इसके प्रभावी क्रियान्वयन से व्यापार विस्तार, रोजगार सृजन और क्षेत्रीय स्तर पर भारत की भूमिका तथा प्रभाव में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। साथ ही, यह समझौता भविष्य में होने वाले अन्य व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौतों के लिए एक प्रभावी और व्यावहारिक मॉडल के रूप में भी उभर सकता है।

