संदर्भ:
हॉर्नबिल महोत्सव का 26वाँ संस्करण 1 दिसंबर 2025 से आरंभ हुआ, जो नागालैंड के स्थापना दिवस के अवसर पर मनाया जाता है और यह 10 दिसंबर 2025 तक आयोजित किया जाएगा। इस वर्ष महोत्सव में अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के रूप में छह “कंट्री पार्टनर्स” फ्रांस, आयरलैंड, स्विट्ज़रलैंड, यूनाइटेड किंगडम, माल्टा और ऑस्ट्रिया तथा एक “स्टेट पार्टनर” अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।
महोत्सव की मुख्य विशेषताएँ:
10 दिनों तक चलने वाला यह महोत्सव पर्यटकों को नागालैंड संस्कृति की समृद्ध विरासत और उसके समकालीन स्वरूप का जीवंत एवं मनमोहक अनुभव प्रदान करता है:
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- जनजातीय प्रस्तुतियाँ और सांस्कृतिक प्रदर्शन: नागालैंड की सभी प्रमुख जनजातियाँ एक ही मंच पर एकत्र होकर अपने पारंपरिक नृत्य, संगीत, युद्ध घोष, लोककथाओं के नाट्य रूपांतरण और विविध अनुष्ठानों का प्रदर्शन प्रस्तुत करती हैं।
- मोरुंग्स और हेरिटेज प्रदर्शनी: पारंपरिक जनजातीय झोपड़ियाँ (मोरुंग) स्थापित की जाती हैं, जिनमें विरासत से जुड़ी प्राचीन वस्तुएँ, पारंपरिक कला, लकड़ी की नक्काशी, जनजातीय परिधान और सामुदायिक जीवन की झलक प्रदर्शित होती है।
- हैंडिक्राफ्ट्स और स्थानीय कला: हाथ से बुने वस्त्र, मोतियों के गहने, बाँस–बेंत के शिल्प, लकड़ी की नक्काशी और पारंपरिक आभूषण जैसी कलाकृतियों का प्रदर्शन और विक्रय किया जाता है, जिससे कारीगरों और हस्तशिल्पी समुदाय को आर्थिक सहयोग मिलता है।
- पारंपरिक व्यंजन और खान-पान संस्कृति: स्मोक्ड मीट, बाँस की कोपलों से बने व्यंजन, किण्वित खाद्य पदार्थ आदि जैसे स्थानीय भोजन पर्यटकों को नागालैंड के खान-पान की विशिष्ट और बहुरंगी परंपरा का स्वाद देते हैं।
- खेल, खेल-कूद और पारंपरिक गतिविधियाँ: पारंपरिक खेल, कुश्ती, तीरंदाजी, ढोल वादन तथा अन्य सांस्कृतिक–खेल आयोजनों के माध्यम से आदिवासी ऊर्जा, उत्साह और सामुदायिक भावना का प्रदर्शन किया जाता है।
- जनजातीय प्रस्तुतियाँ और सांस्कृतिक प्रदर्शन: नागालैंड की सभी प्रमुख जनजातियाँ एक ही मंच पर एकत्र होकर अपने पारंपरिक नृत्य, संगीत, युद्ध घोष, लोककथाओं के नाट्य रूपांतरण और विविध अनुष्ठानों का प्रदर्शन प्रस्तुत करती हैं।
हॉर्नबिल महोत्सव 2025 का महत्व:
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महत्व का क्षेत्र |
व्याख्या |
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सांस्कृतिक संरक्षण और पुनर्जीवन |
• यह महोत्सव नागा जनजातियों की परंपराओं, लोककथाओं, संगीत, शिल्प एवं सांस्कृतिक स्मृतियों को संरक्षित और जीवंत बनाए रखने का प्रभावी मंच है। • 2025 के वैश्वीकरण और सांस्कृतिक समानता के बढ़ते दौर में इसकी प्रासंगिकता और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। • यह पारंपरिक ज्ञान, सांस्कृतिक मूल्यों और पीढ़ियों से चली आ रही विरासत को नई पीढ़ी और वैश्विक समुदाय तक पहुँचाने में सहायक है। |
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पर्यटन और आर्थिक प्रभाव |
• अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के कारण घरेलू और विदेशी पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है। • कारीगरों, संगीतकारों, होमस्टे संचालकों, परिवहन सेवाओं, विक्रेताओं और सांस्कृतिक कलाकारों के लिए व्यापक रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं। • उत्तर-पूर्व क्षेत्र (जो लंबे समय तक मुख्यधारा पर्यटन से दूर रहा) में सतत और समावेशी आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है। |
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सांस्कृतिक कूटनीति और सॉफ्ट पावर |
• विदेशी “कंट्री पार्टनर्स” की भागीदारी इस महोत्सव को सांस्कृतिक कूटनीति के एक प्रभावशाली मंच में परिवर्तित करती है। • भारत की सॉफ्ट पावर को मजबूत करते हुए यह देश की जनजातीय विविधता, परंपराएँ और सांस्कृतिक समृद्धि को वैश्विक समुदाय के समक्ष प्रस्तुत करता है। • विभिन्न देशों और संस्कृतियों के बीच संवाद, समझ और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है। |
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अंतर-समुदाय एकता और राष्ट्रीय एकीकरण |
• सभी नागा जनजातियों की संयुक्त भागीदारी सामाजिक एकजुटता और “विविधता में एकता” की भावना को सुदृढ़ करती है। • विभिन्न जातीय समुदायों के बीच सहयोग, संवाद और पारस्परिक सम्मान को बढ़ावा मिलता है। • यह राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है, साथ ही सांस्कृतिक स्वायत्तता और क्षेत्रीय पहचान का सम्मान भी बनाए रखता है। |
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पहचान, विरासत और जनजातीय अधिकारों का संवर्धन |
• यह मंच ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित जनजातीय समुदायों को दृश्यता, पहचान और सम्मान प्रदान करता है। • मौखिक परंपराओं तथा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और दस्तावेज़ीकरण को मजबूती मिलती है। • जनजातीय पहचान, इतिहास और अधिकारों के सम्मान को राष्ट्रीय विकास संवाद में और अधिक सशक्त रूप से स्थापित करता है। |
