संदर्भ:
हाल ही में केंद्र सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों के निर्माण हेतु विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) स्थापित करने से संबंधित नियमों में संशोधन की अधिसूचना जारी की है।
प्रमुख बदलाव:
• भूमि की न्यूनतम आवश्यकता में कमी: विशेष आर्थिक क्षेत्र नियम, 2006 के नियम 5 में संशोधन करते हुए सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़े विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए अब न्यूनतम 50 हेक्टेयर के स्थान पर केवल 10 हेक्टेयर संलग्न भूमि की आवश्यकता को मंजूरी दी।
• घरेलू आपूर्ति की अनुमति: विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाइयाँ अब केवल निर्यात तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि देश के अन्य हिस्सों को भी उत्पाद बेच सकेंगी, बशर्ते वे निर्धारित शुल्कों का भुगतान करें। (नियम 18 में संशोधन)
• भूमि पर ऋण या पट्टे की छूट: यदि विशेष आर्थिक क्षेत्र की भूमि सरकार या किसी अधिकृत एजेंसी के पक्ष में गिरवी रखी गई या पट्टे पर दी गई है, तो अब ऐसी स्थिति में भी उसे बाधा-मुक्त (encumbrance-free) माने जाने की अनुमति दी जा सकती है। (नियम 7 में संशोधन)
• मुफ्त प्राप्त वस्तुओं की गणना में समावेश: अब नेट फॉरेन एक्सचेंज (NFE) की गणना में नि:शुल्क प्राप्त वस्तुओं के मूल्य को भी शामिल किया जा सकेगा, जिससे निर्यात और आयात का संतुलन बेहतर होगा।
प्रभाव:
• उन्नत तकनीक आधारित विनिर्माण को प्रोत्साहन: इन संशोधनों से उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा तथा सेमीकंडक्टर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को गति प्राप्त होगी।
• कुशल मानव संसाधन के अवसर बढ़ेंगे: सेमीकंडक्टर निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास से देश में उच्च दक्षता वाली नौकरियों के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
• निवेश आकर्षण में वृद्धि: इन नीतिगत सुधारों के माध्यम से सेमीकंडक्टर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में निवेश को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा।
नई परियोजनाएं:
अधिसूचना के बाद, गुजरात और कर्नाटक में ₹13,100 करोड़ के कुल निवेश के साथ दो एसईजेड सुविधाओं को मंजूरी दी गई है। माइक्रोन सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी इंडिया ₹13,000 करोड़ के अनुमानित निवेश के साथ गुजरात के साणंद में एक एसईजेड सुविधा स्थापित करेगी , जबकि एक्वस ₹100 करोड़ के अनुमानित निवेश के साथ कर्नाटक के धारवाड़ में एक एसईजेड स्थापित करेगी ।
विशेष आर्थिक क्षेत्र क्या होते हैं?
• विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones - SEZ) ऐसे निर्दिष्ट क्षेत्र होते हैं जिन्हें व्यापार, कर तथा सीमा शुल्क के संदर्भ में देश के सामान्य क्षेत्र से भिन्न, एक स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में माना जाता है। इनका मुख्य उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना, निवेश आकर्षित करना तथा रोजगार के अवसर सृजित करना है।
• इन क्षेत्रों का संचालन विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 एवं विशेष आर्थिक क्षेत्र नियम, 2006 के अंतर्गत किया जाता है। वर्तमान में भारत में कुल 276 विशेष आर्थिक क्षेत्र सक्रिय हैं। वित्त वर्ष 2023–24 के दौरान इन क्षेत्रों से कुल निर्यात 163.69 अरब अमेरिकी डॉलर दर्ज किया गया।
भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) के प्रमुख लाभ:
· विकास के लिए वस्तुओं का शुल्क मुक्त आयात
· कर छूट (जैसे, जीएसटी शून्य रेटिंग)
· एकल खिड़की मंजूरी
· प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रोत्साहन
· प्रति वर्ष 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक की ईसीबी की अनुमति
विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 के बारे में:
यह अधिनियम फरवरी 2006 में लागू हुआ और इसका उद्देश्य निर्यात बढ़ाना, विदेशी निवेश आकर्षित करना और रोज़गार के अवसर बनाना है। यह पहले के निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (EPZ) की जगह लाया गया। अधिनियम में विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना के लिए सरल अनुमोदन प्रक्रिया और शुल्क-मुक्त आयात व कर छूट जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
निष्कर्ष:
विशेष आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित नियमों में किया गया यह संशोधन भारत में उन्नत प्रौद्योगिकी आधारित विनिर्माण को प्रोत्साहन देने तथा निवेश एवं औद्योगिक विकास के लिए एक अनुकूल वातावरण सृजित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।