सन्दर्भ:
24 सितम्बर 2025 को वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की केंद्रीय मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय अधिकरण (GSTAT) का औपचारिक शुभारंभ किया।
जीएसटी अपीलीय अधिकरण के बारे में:
-
- जीएसटीएटी एक वैधानिक अधिकरण है, जिसकी स्थापना केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (सीजीएसटी अधिनियम) की धारा 109 और 110 के अंतर्गत की गई है। यह केंद्रीय जीएसटी अधिनियम और संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी अधिनियमों के अंतर्गत अपीलों के लिए एक साझा मंच के रूप में कार्य करता है।
- इसकी संरचना सहकारी संघवाद को दर्शाती है—नई दिल्ली में एक प्रधान पीठ तथा 45 स्थानों पर फैली 31 राज्य पीठें।
- जीएसटीएटी में एक अध्यक्ष (हेड), एक न्यायिक सदस्य, और दो तकनीकी सदस्य (एक केंद्र का प्रतिनिधित्व करता है और दूसरा राज्य का) शामिल होंगे। प्रत्येक राज्य पीठ में दो न्यायिक सदस्य और केंद्र एवं राज्य से एक-एक तकनीकी सदस्य होंगे।
- अध्यक्ष अनिवार्य रूप से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अथवा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे व्यक्ति होंगे।
- न्यायिक सदस्य वे होंगे जिन्होंने कम से कम 10 वर्षों तक हाई कोर्ट या जिला न्यायाधीश के रूप में सेवा दी हो।
- केंद्र और राज्यों से तकनीकी सदस्य वरिष्ठ अधिकारी होंगे जिनके पास कम से कम 25 वर्षों का अनुभव तथा जीएसटी या कर प्रशासन का ज्ञान हो।
- जीएसटीएटी एक वैधानिक अधिकरण है, जिसकी स्थापना केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (सीजीएसटी अधिनियम) की धारा 109 और 110 के अंतर्गत की गई है। यह केंद्रीय जीएसटी अधिनियम और संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी अधिनियमों के अंतर्गत अपीलों के लिए एक साझा मंच के रूप में कार्य करता है।
शक्तियाँ एवं कार्य:
-
- जीएसटीएटी, जीएसटी संरचना में द्वितीय अपीलीय निकाय है—यह केंद्रीय और राज्य जीएसटी कानूनों के अंतर्गत अपीलीय या पुनरीक्षण प्राधिकरणों द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करेगा।
- अप्रैल 2026 से, प्रधान पीठ राष्ट्रीय अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (AAR) के रूप में भी कार्य करेगा, जिससे इसका क्षेत्राधिकार और बढ़ेगा।
- यह कर सकता है:
- आदेश पारित करना, दंड लगाना, पंजीकरण निरस्त/रद्द करना, त्रुटियों का संशोधन करना, दस्तावेज़ तलब करना, गवाहों की जाँच करना आदि। (जीएसटी विवादों से जुड़े पहलुओं में सिविल न्यायालय जैसी शक्तियाँ)
- राज्यों और केंद्र के बीच जीएसटी की व्याख्या में एकरूपता सुनिश्चित करना, जिससे परस्पर विरोधी निर्णयों की स्थिति कम होगी।
- आदेश पारित करना, दंड लगाना, पंजीकरण निरस्त/रद्द करना, त्रुटियों का संशोधन करना, दस्तावेज़ तलब करना, गवाहों की जाँच करना आदि। (जीएसटी विवादों से जुड़े पहलुओं में सिविल न्यायालय जैसी शक्तियाँ)
- जीएसटीएटी, जीएसटी संरचना में द्वितीय अपीलीय निकाय है—यह केंद्रीय और राज्य जीएसटी कानूनों के अंतर्गत अपीलीय या पुनरीक्षण प्राधिकरणों द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करेगा।
अधिकरण का महत्व:
-
- निर्णय जटिल शब्दावली रहित होंगे और साधारण भाषा में प्रस्तुत किए जाएंगे, साथ ही सरलीकृत प्रारूप और चेकलिस्ट प्रदान की जाएगी।
- डिजिटल-फर्स्ट प्रणाली—फाइलिंग और वर्चुअल सुनवाई ऑनलाइन होंगी, साथ ही सूचीकरण, सुनवाई और निर्णय के लिए समय-सीमा निर्धारित होगी।
- 30 जून 2026 तक पुरानी अपीलों का क्रमिक दाखिला किया जाएगा ताकि मामलों की अधिकता को नियंत्रित किया जा सके।
- कानूनी अड़चनों को कम कर सरल विवाद निपटान संभव होगा, जिससे तेज़ नकदी प्रवाह और एमएसएमई व निर्यातकों के लिए विश्वास बढ़ेगा।
- एक पारदर्शी, पूर्वानुमेय और विश्वसनीय अपीलीय प्रक्रिया तैयार कर, करदाताओं के विश्वास को मजबूत किया जाएगा।
- निर्णय जटिल शब्दावली रहित होंगे और साधारण भाषा में प्रस्तुत किए जाएंगे, साथ ही सरलीकृत प्रारूप और चेकलिस्ट प्रदान की जाएगी।
चुनौतियाँ:
-
- अपीलों का अनुमानित बैकलॉग (~4.8 लाख) शुरुआत से ही अधिकरण पर बोझ डालेगा।
- केंद्र–राज्य समन्वय आवश्यक होगा—पीठों में स्टाफ की नियुक्ति, प्रक्रियाओं पर सहमति और सुचारु संचालन सुनिश्चित करने के लिए।
- न्यायिक और तकनीकी सदस्यों की स्वतंत्रता, दक्षता और एकरूपता सुनिश्चित करना जरूरी होगा ताकि क्षेत्रीय असमानताओं से बचा जा सके।
- छोटे करदाताओं के लाभ हेतु डिजिटल विभाजन को पाटना (ऑनलाइन फाइलिंग और वर्चुअल सुनवाई को सुलभ बनाना) महत्वपूर्ण होगा।
- अपीलों का अनुमानित बैकलॉग (~4.8 लाख) शुरुआत से ही अधिकरण पर बोझ डालेगा।
निष्कर्ष:
जीएसटीएटी का शुभारंभ भारत की जीएसटी संरचना में परिपक्वता का संकेत है। यदि इसे पारदर्शिता, गति और निष्पक्षता के साथ लागू किया गया तो यह करदाताओं, व्यापार और भारत में अप्रत्यक्ष कराधान की संस्थागत विश्वसनीयता के लिए परिवर्तनकारी सिद्ध हो सकता है।