संदर्भ:
हाल ही में मर्सर और सीएफए इंस्टीट्यूट द्वारा जारी किए गए वैश्विक पेंशन सूचकांक में भारत को दुनिया की पेंशन प्रणालियों में निचले स्तर पर रखा गया है। भारत को 100 में से 43.8 का समग्र स्कोर मिलने के कारण इसे D ग्रेड प्रदान किया गया।
वैश्विक पेंशन सूचकांक के बारे में:
· वैश्विक पेंशन सूचकांक 2025 मर्सर और सीएफए इंस्टीट्यूट का सत्रहवां संस्करण है, जो दुनिया के सेवानिवृत्ति आय (पेंशन) प्रणालियों की वार्षिक तुलना करता है।
· यह वर्तमान में 52 देशों के सेवानिवृत्ति प्रणालियों को कवर करता है, जो विश्व की लगभग 65% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं।

पद्धति और ढांचा:
सूचकांक प्रत्येक देश के पेंशन या सेवानिवृत्ति आय प्रणालियों का मूल्यांकन तीन मुख्य स्तंभों के आधार पर करता है:
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स्तंभ |
कुल स्कोर में भार |
क्या दर्शाता है |
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पर्याप्तता (Adequacy) |
40% |
रिटायरमेंट में पेंशन से पर्याप्त आय मिलती है या नहीं (प्रतिस्थापन दरें, कवरेज, सामाजिक सहायता) |
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(स्थायित्व) (Sustainability) |
35% |
जनसंख्या परिवर्तन, वित्तीय दबाव, निवेश रिटर्न को ध्यान में रखते हुए क्या सिस्टम वित्तीय रूप से दीर्घकालीन रूप से सक्षम है? |
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सत्यनिष्ठा (Integrity) |
25% |
प्रशासन, नियम, पारदर्शिता, लागत और सिस्टम में विश्वास |

मुख्य निष्कर्ष:
शीर्ष प्रदर्शन करने वाले देश / A ग्रेड सिस्टम:
2025 में A ग्रेड (80 से ऊपर स्कोर) पाने वाले देश हैं:
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- नीदरलैंड्स (85.4)
- आइसलैंड (84.0)
- डेनमार्क (82.3)
- सिंगापुर (80.8) (पहली बार, सिंगापुर A ग्रेड में शामिल हुआ और 2025 में अकेला एशियाई देश बना)
- इज़राइल (80.3)
- नीदरलैंड्स (85.4)
भारत का प्रदर्शन:
· कुल स्कोर और ग्रेड: 43.8, D ग्रेड। यह 2024 के 44.0 की तुलना में थोड़ा कम है।
· पर्याप्तता (Adequacy): सबसे कमजोर क्षेत्र। इस स्तंभ में भारत को E ग्रेड (~34.7) मिला, जो कम आय रिप्लेसमेंट और वृद्ध गरीबों के लिए सीमित सामाजिक सहायता को दर्शाता है।
· स्थायित्व (Sustainability): कमजोर। जनसंख्या की बढ़ती उम्र, खासकर अनौपचारिक क्षेत्र में पेंशन कवरेज का कम होना, कम बचत और विभिन्न जोखिम (जैसे जलवायु परिवर्तन) चिंताजनक हैं।
· सत्यनिष्ठा (Integrity): अपेक्षाकृत बेहतर, लेकिन सुधार की आवश्यकता है। नियामक नियंत्रण, पारदर्शिता और प्रशासन शीर्ष पेंशन सिस्टम के स्तर तक नहीं हैं।
चुनौतियाँ:
· अनौपचारिक क्षेत्र का कम कवरेज: भारत की कार्यबल का बड़ा हिस्सा अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में है, जिसे औपचारिक पेंशन प्रणाली पर्याप्त रूप से कवर नहीं करती। कई कर्मचारियों के पास पेंशन नहीं है, और जो है वह भी बहुत कम है।
· अपर्याप्त पेंशन राशि / कम प्रतिस्थापन अनुपात: रिटायर होने के बाद मिलने वाली आय (जैसे EPFO, NPS आदि से) अक्सर पर्याप्त नहीं होती। कामकाजी उम्र में प्राप्त आय की तुलना में रिटायरमेंट आय (रिप्लेसमेंट रेट) बहुत कम है।
· पेंशन प्रणालियों में विखंडन: विभिन्न पेंशन योजनाएँ (पुराना पेंशन सिस्टम, EPFO, NPS) अलग-अलग नियम और लाभ प्रदान करती हैं, जिससे प्रणाली में भ्रम और कार्यक्षमता की कमी पैदा होती है।
निष्कर्ष:
वैश्विक पेंशन सूचकांक 2025 में भारत का D ग्रेड एक गंभीर चेतावनी है। आर्थिक विकास के बावजूद लाखों लोगों की सेवानिवृत्ति सुरक्षा असुरक्षित बनी हुई है। वृद्ध जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए इन कमियों को सुधारने के लिए समय सीमित है। नीति निर्माताओं को अब सुधारात्मक कदम उठाने होंगे, जैसे सार्वभौमिक सहायता, बेहतर पेंशन कवरेज और मजबूत नियमन, जिससे पेंशन प्रणाली केवल वित्तीय रूप से टिकाऊ ही नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से न्यायसंगत भी बन सके।
