संदर्भ:
हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने वैश्विक लैंगिक अंतर रिपोर्ट (Global Gender Gap Report) 2025 जारी की है।
भारत की समग्र रैंकिंग और स्कोर:
वर्ष 2025 की वैश्विक लैंगिक अंतर रिपोर्ट में भारत दो स्थान नीचे खिसककर 148 देशों में 131वें स्थान पर आ गया है, जबकि पिछले वर्ष 2024 में यह 129वें स्थान पर था।
भारत का कुल लैंगिक समानता स्कोर 64.1% है, जो दक्षिण एशिया के सबसे निचले स्थानों में से एक है।
विभिन्न क्षेत्रों में भारत का प्रदर्शन:
1. आर्थिक भागीदारी और अवसर
- इस क्षेत्र में भारत ने थोड़ा सुधार किया है और उसका स्कोर 39.8% से बढ़कर 40.7% हो गया है।
- अनुमानित अर्जित आय समनता 28.6% से बढ़कर 29.9% हो गई।
- श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी 45.9% पर बनी रही, जो अब तक का भारत का सबसे ऊँचा आंकड़ा है।
2. शैक्षिक उपलब्धि
- इस उपसूचकांक में भारत का स्कोर 97.1% रहा।
- यह वृद्धि बेहतर महिला साक्षरता दर और उच्च शिक्षा में नामांकन में वृद्धि के कारण है।
- इससे पता चलता है कि शिक्षा में लैंगिक अंतर लगातार कम हो रहा है।
3. स्वास्थ्य और जीवन रक्षा
- इस क्षेत्र में भी भारत ने थोड़ा सुधार दिखाया है।
- यह लाभ मुख्य रूप से जन्म के समय बेहतर लिंग अनुपात और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा के कारण हुआ।
- हालाँकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समग्र जीवन प्रत्याशा में थोड़ी गिरावट आई है।
4. राजनीतिक सशक्तिकरण
- भारत में इस क्षेत्र में गिरावट देखी गयी।
- संसद में महिला प्रतिनिधित्व 14.7% से घटकर 13.8% हो गया।
- मंत्रिस्तरीय भूमिकाओं में महिलाओं की संख्या 6.5% से घटकर 5.6% हो गयी।
- इसके परिणामस्वरूप पिछले वर्ष की तुलना में राजनीतिक सशक्तिकरण स्कोर में 0.6 अंकों की गिरावट आई।
दक्षिण एशिया और वैश्विक स्थिति:
- बांग्लादेश दक्षिण एशिया में सबसे ऊपर है, जो 75 स्थान चढ़कर 24वें स्थान पर पहुंच गया।
- अन्य दक्षिण एशियाई देशों की रैंकिंग:
- भूटान – 119
- नेपाल – 125
- श्रीलंका – 130
- मालदीव – 138
- पाकिस्तान – 148 (सबसे अंतिम)
· विश्व स्तर पर आइसलैंड 16वें वर्ष भी शीर्ष स्थान पर बना हुआ है, उसके बाद फिनलैंड, नॉर्वे, यूके और न्यूजीलैंड का स्थान है।
वैश्विक प्रवृत्तियाँ और चुनौतियाँ:
- वैश्विक लैंगिक अंतर 68.8% तक कम हो गया है, जो कोविड-19 महामारी के बाद से सबसे अच्छी प्रगति है।
- वर्तमान गति से पूर्ण लैंगिक समानता प्राप्त करने में 123 वर्ष लगेंगे।
- महिलाएं अब वैश्विक कार्यबल का 41.2% हिस्सा हैं, लेकिन नेतृत्व के पदों पर उनकी हिस्सेदारी केवल 28.8% है।
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट के बारे में:
ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स एक वार्षिक रिपोर्ट है, जिसे विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) द्वारा पहली बार 2006 में प्रकाशित किया गया था। यह लैंगिक समानता को मापने वाला दुनिया का सबसे पुराना और विश्वसनीय तरीका माना जाता है।
यह सूचकांक चार प्रमुख क्षेत्रों में लैंगिक अंतर को कम करने की प्रगति पर निगरानी रखता है:
1. आर्थिक भागीदारी और अवसर
2. शैक्षिक प्राप्ति
3. स्वास्थ्य और जीवन रक्षा
4. राजनीतिक सशक्तिकरण
स्कोर निर्धारण प्रणाली:
- प्रत्येक क्षेत्र को 0 से 1 के बीच स्कोर दिया जाता है।
- 1 का अर्थ है पूर्ण समानता, जबकि 0 का अर्थ है पूर्ण असमानता।
इस सूचकांक का महत्व:
· यह देशों को एक-दूसरे के साथ अपनी स्थिति की तुलना करने और लैंगिक समानता के क्षेत्र में अपने प्रदर्शन को समझने में मदद करता है।
· यह सरकारों को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और राजनीति जैसे क्षेत्रों में लक्ष्य निर्धारित करने और उनमें हुई प्रगति को ट्रैक करने में सहायक होता है।
· यह नीति-निर्माताओं और नेतृत्वकर्ताओं को अपने देश की जरूरतों के अनुरूप प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का मार्गदर्शन प्रदान करता है।
निष्कर्ष:
दुनिया जब आर्थिक, तकनीकी और जनसंख्या से जुड़े बदलावों का सामना कर रही है, तो लैंगिक समानता केवल एक सामाजिक उद्देश्य नहीं, बल्कि आर्थिक आवश्यकता भी बन गई है। भारत ने शिक्षा और आर्थिक भागीदारी में सुधार जरूर किया है, लेकिन राजनीतिक सशक्तिकरण और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में अब भी बड़ा अंतर बना हुआ है। इन अंतरालों को पाटने के लिए स्थायी नीति, संरचनात्मक सुधार और समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी है।