संदर्भ:
हाल ही में ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट (जीसीपी) द्वारा जारी ग्लोबल कार्बन बजट 2025 रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में जीवाश्म ईंधन स्रोतों से होने वाले भारत के CO₂ उत्सर्जन की वृद्धि 2024 की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम रहने का अनुमान है।
प्रमुख निष्कर्ष:
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- 2025 में भारत के जीवाश्म ईंधन आधारित CO₂ उत्सर्जन में 1.4% की वृद्धि का अनुमान है, जबकि 2024 में यह वृद्धि 4% थी।
- कुल उत्सर्जन 2024 के 3.19 बिलियन टन से बढ़कर 2025 में 3.22 बिलियन टन पहुँचने की संभावना है।
- भारत की यह वृद्धि दर अमेरिका (1.9%) से कम है, जो दोनों देशों की ऊर्जा माँग, आर्थिक गतिविधियों और नीतिगत हस्तक्षेपों में अंतर को दर्शाती है।
- 2025 में भारत के जीवाश्म ईंधन आधारित CO₂ उत्सर्जन में 1.4% की वृद्धि का अनुमान है, जबकि 2024 में यह वृद्धि 4% थी।
भारत की धीमी वृद्धि के प्रमुख कारण:
1. अनुकूल जलवायु परिस्थितियाँ:
• समय से पहले और व्यापक मॉनसून वर्षा के कारण:
o एयर-कंडीशनर के उपयोग में कमी से बिजली की माँग घटी
o सिंचाई से जुड़ी ऊर्जा खपत कम हुई
2. नवीकरणीय ऊर्जा में तेजी से वृद्धि:
• सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्रों में मजबूत क्षमता विस्तार
• बिजली ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी में वृद्धि
• चरम मांग अवधि में कोयले से होने वाली अतिरिक्त बिजली उत्पादन की आवश्यकता कम हुई
3. कोयले की खपत में संयम
• भारत के कुल जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन में कोयला सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।
• मानसून के दौरान औद्योगिक मांग में कमी और जल विद्युत उत्पादन में वृद्धि ने कोयले के उपयोग को स्थिर रखने में मदद की।
वैश्विक निष्कर्षों के बारे में:
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- रिकॉर्ड स्तर पर जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन: वैश्विक जीवाश्म CO₂ उत्सर्जन 2025 में 1.1% बढ़कर 38.1 अरब टन पहुँचने का अनुमान है। यह वृद्धि सभी प्रमुख ईंधन स्रोतों “कोयला (+0.8%), तेल (+1%) और प्राकृतिक गैस (+1.3%)” से प्रेरित है।
- उत्सर्जन और आर्थिक विकास का पृथक्करण: कुल उत्सर्जन में वृद्धि के बावजूद, यह एक महत्वपूर्ण सकारात्मक संकेत है कि पिछले दशक में 35 देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं में निरंतर वृद्धि के साथ-साथ जीवाश्म कार्बन उत्सर्जन में सफलतापूर्वक कमी की है।
- क्षेत्रीय रुझानों में विविधता:
- चीन में उत्सर्जन में 0.4% वृद्धि का अनुमान है, जो नवीकरणीय ऊर्जा में बड़े विस्तार के कारण हाल के वर्षों की तुलना में धीमी वृद्धि है।
- भारत में उत्सर्जन में 1.4% वृद्धि का अनुमान है, जो पिछले रुझानों से कम है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका (+1.9%) और यूरोपीय संघ (+0.4%) में 2025 में हल्की वृद्धि होने की संभावना है।
- चीन में उत्सर्जन में 0.4% वृद्धि का अनुमान है, जो नवीकरणीय ऊर्जा में बड़े विस्तार के कारण हाल के वर्षों की तुलना में धीमी वृद्धि है।
- शेष कार्बन बजट लगभग समाप्त: वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित रखने के लिए उपलब्ध शेष कार्बन बजट लगभग 170 अरब टन CO₂ रह गया है, जो वर्तमान उत्सर्जन दर के आधार पर मात्र चार वर्षों में समाप्त हो सकता है। वर्तमान गति से विश्व पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में नहीं बढ़ रही है।
- रिकॉर्ड स्तर पर जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन: वैश्विक जीवाश्म CO₂ उत्सर्जन 2025 में 1.1% बढ़कर 38.1 अरब टन पहुँचने का अनुमान है। यह वृद्धि सभी प्रमुख ईंधन स्रोतों “कोयला (+0.8%), तेल (+1%) और प्राकृतिक गैस (+1.3%)” से प्रेरित है।
वैश्विक कार्बन बजट के बारे में:
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- वैश्विक कार्बन बजट एक ऐसा मूल्यांकन है जो बताता है कि मानव कुल कितनी कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) उत्सर्जित कर सकता है, जिससे वैश्विक तापमान वृद्धि को विशेष सीमा “जैसे 1.5 डिग्री सेल्सियस” के भीतर रखा जा सके। यह सीमा पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में निर्धारित की जाती है।
- वैश्विक कार्बन प्रोजेक्ट द्वारा प्रतिवर्ष जारी की जाने वाली यह रिपोर्ट जीवाश्म ईंधन, भूमि-उपयोग परिवर्तनों और अन्य स्रोतों से होने वाले वैश्विक CO₂ उत्सर्जन के साथ-साथ वनों, मिट्टी और महासागरों द्वारा CO₂ के प्राकृतिक अवशोषण का विस्तृत आकलन करती है।
- वैश्विक कार्बन बजट एक ऐसा मूल्यांकन है जो बताता है कि मानव कुल कितनी कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) उत्सर्जित कर सकता है, जिससे वैश्विक तापमान वृद्धि को विशेष सीमा “जैसे 1.5 डिग्री सेल्सियस” के भीतर रखा जा सके। यह सीमा पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में निर्धारित की जाती है।

