संदर्भ:
हाल ही में मिस्र के शर्म अल-शेख में इज़राइल और हमास के बीच एक ऐतिहासिक युद्धविराम (सीज़फ़ायर) समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। यह समझौता अमेरिका, मिस्र और कतर की मध्यस्थता में हुआ। इसका उद्देश्य दो साल से अधिक समय से चल रहे संघर्ष को रोकना, चरणबद्ध तरीके से लड़ाई को खत्म करना, बंधकों की रिहाई और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप से शुरू करना है।
समझौते के प्रमुख बिंदु:
1. युद्धविराम:
· लड़ाई को पूर्ण रूप से रोक दिया जाएगा, ताकि गाज़ा में मानवीय सहायता की आपूर्ति शुरू की जा सके और पुनर्निर्माण की कार्यवाही आगे बढ़ाई जा सके।
2. हमास द्वारा बंधकों की रिहाई
· हमास द्वारा बंदी बनाए गए सभी 20 इज़राइली बंधकों को रिहा किया गया।
· यह रिहाई युद्धविराम लागू होने के 72 घंटे के भीतर की जानी प्रस्तावित थी।
3. कैदियों का आदान-प्रदान
· इज़राइल भी संभावित रूप से लगभग हजारों फिलिस्तीनी कैदियों और बंदियों को रिहा करेगा, जिनमें वे भी शामिल होंगे जिन्हें संघर्ष के दौरान गिरफ्तार किया गया था।
· कुछ दीर्घकालिक कैदियों को भी इस सूची में शामिल किया जाएगा।
4. इज़राइली सेना की वापसी और मानवीय पहुँच
· इज़राइल अपने कुछ सैन्य बलों को गाज़ा के क्षेत्रों से चरणबद्ध तरीके से वापस बुलाएगा।
· खाद्य सामग्री, चिकित्सा सहायता और ईंधन जैसी मानवीय राहत जरूरतों को बिना किसी बाधा के गाज़ा तक पहुँचने दिया जाएगा, ताकि गंभीर मानवीय संकट को कम किया जा सके।
· मलबा हटाना, बुनियादी ढांचे की बहाली और पुनर्निर्माण को प्राथमिक कार्यों के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा।
5. गारंटी और निगरानी व्यवस्था
· अमेरिका, क़तर, मिस्र और तुर्की जैसे मध्यस्थ देशों ने समझौते के लागू होने को सुनिश्चित करने के लिए गारंटी देने और अनुपालन की निगरानी करने का वादा किया है।
· हमास की गाज़ा नेतृत्व इकाई ने कहा है कि उसने युद्ध समाप्ति को लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य मध्यस्थ देशों द्वारा दी गई गारंटी को स्वीकार कर लिया है।
आगामी चुनौतियाँ और जोखिम:
· कार्यान्वयन की चुनौती: ऐसे समझौते अक्सर पूरी तरह लागू नहीं हो पाते। दोनों पक्षों को शर्तों का पालन कराना एक बड़ी चुनौती होगी।
· भरोसे की कमी: वर्षों से चल रहे संघर्ष ने आपसी विश्वास को गहरा नुकसान पहुँचाया है। आम जनता और पक्षकारों के बीच शंका बनी हुई है कि क्या दोनों पक्ष सच में वादों पर टिकेंगे।
· शासन व्यवस्था का प्रश्न: गाज़ा का प्रशासन कौन संभालेगा? क्या हमास ही सत्ता में रहेगा, फिलिस्तीनी प्राधिकरण आएगा या कोई अंतरराष्ट्रीय निगरानी तंत्र स्थापित होगा, यह एक विवादास्पद और जटिल मुद्दा है।
· हिंसा के फिर से उभरने का खतरा: यदि कोई पक्ष समझौते का उल्लंघन करता है या यह आधा-अधूरा रह जाता है, तो संघर्ष दोबारा शुरू होने का खतरा मौजूद रहेगा।
· पुनर्निर्माण और न्याय: गाज़ा को फिर से खड़ा करने के लिए पर्याप्त संसाधन, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और युद्ध अपराधों व जवाबदेही जैसे जटिल मुद्दों को हल करना आवश्यक होगा।
गाज़ा युद्ध के बारे में:
गाज़ा युद्ध 7 अक्टूबर 2023 को शुरू हुआ, जब हमास ने अचानक बहु-स्तरीय हमला किया, जिसमें लगभग 1,200 लोगों की मौत हुई।
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- जवाब में इज़राइल ने एक बड़े सैन्य अभियान की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य हमास को कमजोर करना, बंधकों को सुरक्षित छुड़ाना और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
- संघर्ष के दौरान हिज़्बुल्लाह के साथ सीमा पर झड़पें और ईरान द्वारा सीधे इज़राइल पर हमले जैसे क्षेत्रीय तनाव भी देखने को मिले।
- लगातार दो वर्षों तक चलने वाली विनाशकारी लड़ाई के बाद, अक्टूबर 2025 में अमेरिका की मध्यस्थता में एक शांति योजना तैयार हुई और युद्धविराम लागू किया गया, जिसमें हमास के कब्जे में बचे सभी जीवित बंधकों की रिहाई शामिल थी। यह कदम क्षेत्र में स्थिरता और शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
- जवाब में इज़राइल ने एक बड़े सैन्य अभियान की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य हमास को कमजोर करना, बंधकों को सुरक्षित छुड़ाना और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
निष्कर्ष:
गाज़ा घोषणा और बंधकों की रिहाई हाल के वर्षों के सबसे जटिल और कठिन संघर्षों में एक महत्वपूर्ण कदम है। फिर भी, इसे अंतिम सफलता नहीं, बल्कि एक नाज़ुक शुरुआत माना जाना चाहिए। असली परीक्षा अब इसके क्रियान्वयन में होगी, यह सुनिश्चित करना कि लोग सुरक्षित रहें, सम्मान बहाल हो और इज़राइली और फ़िलिस्तीनी दोनों के लिए दीर्घकालिक, न्यायसंगत और स्थायी शांति स्थापित हो।

