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Blog / 30 May 2025

ई-हंसा

संदर्भ:
भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान ई-हंसा परियोजना के शुभारंभ के साथ हरित विमानन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। यह घोषणा केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में आयोजित मासिक समीक्षा बैठक के दौरान की।

ई-हंसा के बारे में:
ई-हंसा हंसा-3 नेक्स्ट जेनरेशन (NG) कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पूरे देश में पायलट प्रशिक्षण के लिए किफायती और स्वदेशी विमान बनाना है। भारत में विमानन उद्योग तेजी से विस्तार कर रहा है, जिससे योग्य पायलटों की मांग बढ़ रही है। ई-हंसा इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक लागत प्रभावी और स्थानीय रूप से निर्मित विकल्प प्रदान करता है, जो आयातित ट्रेनर विमानों की जगह ले सकता है।
इस परियोजना का एक प्रमुख उद्देश्य भारत की विदेशी विमानन तकनीक पर निर्भरता को कम करना है, साथ ही निजी पायलट लाइसेंस (PPL) और वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (CPL) दोनों के लिए पायलटों के प्रशिक्षण का समर्थन करना है।

विशेषताएँ और डिज़ाइन की मुख्य बातें:

  • ई-हंसा में एक एडवांस्ड ग्लास कॉकपिट है, जो एक आधुनिक डिजिटल डिस्प्ले प्रदान करता है और पायलट की स्थितिजन्य जागरूकता को बढ़ाता है।
  • यह रोटैक्स 912 आईएससी3 स्पोर्ट इंजन द्वारा संचालित है, जो अपनी ईंधन दक्षता और डिजिटल नियंत्रण के लिए जाना जाता है, जिससे यह विमान स्मार्ट और किफायती दोनों बन जाता है।
  • विमान में बबल कैनोपी है, जो पायलटों को प्रशिक्षण के दौरान पैनोरमिक दृश्यता और बेहतर आराम प्रदान करता है।
  • हल्के कंपोज़िट एयरफ्रेम और इलेक्ट्रिक रूप से संचालित फ्लैप्स प्रदर्शन को बेहतर बनाने और संचालन को आसान बनाने में सहायक हैं।

महत्त्व

  • ई-हंसा घरेलू विमानन क्षमताओं के विकास में मदद करेगा।
  • ई-हंसा के आयातित विकल्पों की तुलना में काफी अधिक किफायती होने की संभावना है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग ₹2 करोड़ है जो इसी तरह के विदेशी मॉडलों की कीमत का लगभग आधा है।
  • यह परियोजना भारत की उन्नत तकनीक में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में पहल को रेखांकित करती है, साथ ही नवाचार के माध्यम से जलवायु परिवर्तन का समाधान भी करती है।

हरित विमानन और स्वच्छ ऊर्जा
ई-हंसा भारत के हरित विमानन लक्ष्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह विमानन क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने का समर्थन करता है, जिससे उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी आती है।
यह पहल प्रमुख क्षेत्रों में सतत और पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के व्यापक राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा है।

निष्कर्ष
ई-हंसा का विकास भारत की उच्च तकनीकी विमानन में आत्मनिर्भरता और परिवहन में हरित विकल्पों की ओर संक्रमण की दिशा में एक मील का पत्थर है। जैसे-जैसे देश अपनी वैज्ञानिक और औद्योगिक आधारशिला को मजबूत कर रहा है, इस प्रकार की पहलें न केवल आर्थिक दक्षता को बढ़ावा देती हैं बल्कि स्वच्छ ऊर्जा और सतत नवाचार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी सुदृढ़ करती हैं।